कांग्रेस देशभर में अन्य दलों के साथ गठबंधन करने के लिए काफी समय से तड़प रही है लेकिन उसको कोई भी चारा डालने को तैयार नहीं है। अब उसने सपा-बसपा के गठबंधन को लुभाने के लिए एक नई चाल का सहारा लिया है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने उन 7 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करने की बात कही है, जहां से यादव परिवार, मायावती, अजित सिंह तथा जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि ‘हम धन्यवाद देते हैं कि हमारी विचारधारा का सम्मान करते हुए गठबंधन ने हमारे लिए 2 सीट छोड़ीं।‘ अमेठी और रायबरेली छोड़ने के गठबंधन के फैसले के बाद अब कांग्रेस ने सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के लिए यूपी में 7 सीट छोड़ने का एलान किया है। सपा के लिए मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद, मायावती के लिए जहां से भी चुनाव लड़ती है वो सीट छोड़ी जाएगी, RLD के लिए अजित सिंह और जयंत चौधरी की सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार नहीं उतारेगी। राज बब्बर ने अखिलेश यादव के आजमगढ़ से लड़ने पर उनके खिलाफ भी उम्मीदवार नहीं उतारने की बात कही है।
कांग्रेस पार्टी की यह दरियादिली बसपा सुप्रीमों मायावती को बिल्कुल भी रास नहीं आई। मायावती ने कांग्रेस के इस ऐलान के बाद ट्वीट करते हुए लिखा “बीएसपी एक बार फिर साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से हमारा कोई भी किसी भी प्रकार का तालमेल व गठबंधन आदि बिल्कुल भी नहीं है। हमारे लोग कांग्रेस पार्टी द्वारा आये दिन फैलाये जा रहे किस्म-किस्म के भ्रम में कतई ना आयें। कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहां की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहां बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रांति ना फैलाएं।“
कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।
— Mayawati (@Mayawati) March 18, 2019
मायावती ने अपने ट्वीट के माध्यम से कांग्रेस की उन कोशिशों को झटका देने का काम किया है, जिसमें कांग्रेस लगातार गठबंधन में शामिल होने के ख्वाब देख रही है। कांग्रेस यह खुद भी भली-भांति जानती है कि उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण राज्य है व यहां अच्छा प्रदर्शन करना बेहद जरूरी है, और कांग्रेस अभी अकेले चुनाव लड़कर कुछ अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं है। मार्च 2017 में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को मात्र 6% वोट शेयर मिला था, जबकि उसे सिर्फ 7 सीटें ही मिली थी।
कांग्रेस गठबंधन में शामिल होने के लिए कितनी बेचैन है, ये इस बात से भी साफ है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कुछ दिनों पहले ही बसपा पर दबाव बनाने के लिए भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण से मिली थीं। तब यह माना जा रहा था कि कांग्रेस भीम आर्मी के साथ खड़े होकर बहुजन समाज की वोट अपने खाते में करने की सोच सकती है, जिसके बाद बसपा सुप्रीमो काफी आहत भी भी हुई थीं। मायावती ने तब भी कहा था कि वह कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। मायावती ने तब अखिलेश यादव के साथ मुलाकात में यह भी कहा था कि उन्हें गठबंधन में कांग्रेस के लिए छोड़ी गयी अमेठी व रायबरेली की सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारने चाहिए। अब मायावती की इस धमकी के बाद कांग्रेस द्वारा यह ऐलान करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस कतई नहीं चाहती की अमेठी एवं रायबरेली जैसी संवेदनशील सीटों पर कोई अन्य विपक्षी पार्टी भी उम्मीदवार उतारे, और पार्टी अपने गढ़ में भी भाजपा से पिछड़ जाए। गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़कर कांग्रेस पार्टी मायावती को संतुष्ट करना चाहती थी लेकिन उसका यह कदम बसपा सुप्रीमो को बिल्कुल भी नहीं भाया।