देश में सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है और इसी के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी का रोना भी विपक्ष ने शुरू कर दिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पहले चरण के मतदान होने के बाद फिर से मतदान करवाने की बात कही थी। अब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं। ऐसा करके एक बार फिर से आम जनता को गुमराह करने का काम कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने शुरू कर दिया है।
Sam Pitroda, Indian Overseas Congress Chief on EVM: You will have to understand the design, its software. Every little signal will have to be analysed. Then only you can say something. But one thing is clear that there is some problem, what is the problem we don't know https://t.co/9y12n1fQDG
— ANI (@ANI) April 18, 2019
Sam Pitroda, Indian Overseas Congress Chief: As an engineer, as technical expert, I'm not satisfied with EVM (Electronic Voting Machine), but I've not been able to pinpoint because we don't have EVM. If someone gives us EVM to study for 1 year, we'll be able to tell you something pic.twitter.com/eAcfcnwNbt
— ANI (@ANI) April 18, 2019
गुरुवार को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘आपको इसका सॉफ्टवेयर, डिजाइन समझना होगा। हर छोटे सिग्नल का विश्लेषण करना होगा। तब ही आप कुछ कह सकते हैं। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि कुछ समस्या तो है, क्या समस्या है वो हम नहीं जानते हैं।‘ वाह पित्रोदा जी! एक तरफ आप कह रहे हैं गड़बड़ी है दूसरी तरफ कह रहे हैं कि क्या गड़बड़ी है वो आपको समझ नहीं आ रहा और आप खुद को एक इंजीनियर भी कह रहे हैं। वैसे पित्रोदा यही नहीं रुके और आगे भी बोलें।
मीडिया से बातचीत में सैम पित्रोदा ने आगे कहा, “एक इंजीनियर के रूप में, तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में, मैं ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से संतुष्ट नहीं हूं, लेकिन मैं ईवीएम नहीं होने के कारण पिनप्वाइंट नहीं कर पा रहा हूं। अगर कोई हमें एक साल के लिए अध्ययन करने के लिए EVM देता है, तो हम आपको कुछ बता पाएंगे।“ सैम पित्रोदा के मुताबिक ईवीएम में गड़बड़ी तो है लेकिन उन्हें ये समझ नहीं आ रहा कि आखिर गड़बड़ी है कहां ? अरे समझ तो तब आयेगा जब कुछ खराबी होगी। हर चुनाव में चाहे वो विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा कांग्रेस पार्टी की आदत हो गयी है ईवीएम में गड़बड़ी का रोना रोने की। वैसे भी कांग्रेस के लिए ये आम बात हो गयी है और विपक्षी पार्टियां भी इसमें इस पुरानी पार्टी का पूरा सहयोग करती है। विपक्षी दल बड़े ही शर्मनाक तरीके से जब अपने पसंद का निर्णय न आए तो देश की सवैंधानिक संस्थाओं की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह उठाते हैं, चाहे वो उच्चत्तम न्यायालय हो, चुनाव आयोग हो या संसद हो। जब नतीजे मन मुताबिक हो तब कोई गड़बड़ी नहीं है लेकिन अगर हार हो तो गड़बड़ी ही गड़बड़ी है।
गांधी परिवार के बेहद करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा जिस तरह की बातें कर रहे हैं उससे उनकी पार्टी की साजिश भी नजर आती। कुछ स्पष्ट नहीं है, कोई तो समस्या है जैसे शब्द तो वही लोग इस्तेमाल करते हैं जिन्हें पता होता है कि वो गलत साबित होंगे। पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान भी ईवीएम में गड़बड़ी का रोना रोने वाली कांग्रेस पार्टी तब बिलकुल शांत थी जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार बनी थी, लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस के विपरीत हार को स्वीकार था। चुनाव के दौरान भी इस पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी की बात कही थी हंगामा किया था।
Congress Leader Kapil Sibal attends EVM Hackathon in London
Athar Khan with the details #HaathWithHackathon pic.twitter.com/o9h3DVKK6F
— TIMES NOW (@TimesNow) January 21, 2019
हद तो तब हो गयी जब देश में EVM मशीन में गड़बड़ी है का रोना रोने से मन नहीं भरा तो अब विदेश में जाकर कांग्रेस पार्टी भारत के लोकतंत्र की निष्पक्ष छवि पर बट्टा लगाने की भरपूर कोशिश की। लंदन में EVM हैकिंग को लेकर एक साइबर एक्सपर्ट सैयद शूजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़े-बड़े दावें किये थे जो बेबुनियाद साबित हुए थे। उस समय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का उसकी प्रेस कांफ्रेंस में मौजूदगी ने कई सवाल भी खड़े कर दिए थे। ऐसा लग रहा था जैसे ये ड्रामा भी कांग्रेस द्वारा प्रायोजित किया गया था और इसके पीछे कांग्रेस की ही रणनीति थी जो विदेशी धरती से देश की राजनीतिक माहौल को गरमाने चाहती थी। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ये पार्टी यही कर रही है। ई.वी.एम. हैकिंग का विषय बार-बार उछालने के पीछे की मंशा केवल और केवल जनता के मन में संदेह और अविश्वास पैदा करना है, देश में अंशाति पैदा करना है और कुछ नहीं है।
हालांकि, कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को ये पता है कि इस बार के चुनाव उनके अस्तित्व की लड़ाई है और अगर वो हार जाते हैं तो जाहिर है अपनी खामियों की जगह हार का ठीकरा फोड़ने के लिए ईवीएम तो है ही।