सीपीआई (एम) का घोषणापत्र न सिर्फ रक्षा हितों के खिलाफ है बल्कि भारत विरोधी भी है

सीपीआई (एम) घोषणा पत्र

(PC: Peoples Democracy)

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने अपने घोषणापत्र को पिछले महीने जारी किया था। यह घोषणा पत्र सभी की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरा। वह इसलिए क्योंकि, इस घोषणापत्र को पढ़ने से कोई भी बड़ी आसानी से समझ जाएगा कि यह पूरी तरह देश की सुरक्षा और हितों से समझौता करने वाला घोषणा पत्र है। एक तरफ इस घोषणापत्र में देश की सेना को कमजोर करने की बात कही गई है, तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के अलगाववादियों और पत्थरबाज़ों के महिमामंडन करने का भी पूरा बंदोबस्त किया गया है। देश की विदेश नीति और सुरक्षा नीति को लेकर भी इस घोषणा पत्र में कई विवादित बातें लिखी गई है, जिससे कि यह साफ हो गया कि अपनी विचारधारा को राष्ट्रीय सुरक्षा से ऊपर रखने वाली सीपीआई(एम) को देश के नागरिकों की सुरक्षा और उनके विकास की कोई चिंता नहीं है। 

देश की विदेश नीति को लेकर इस घोषणा पत्र में यह साफ लिखा गया है कि सीपीआई(एम) मौजूदा नीति के उलट इज़रायल के खिलाफ अपना कड़ा रुख दिखाएगी। इसके अलावा सीपीआई(एम) ने हमारे आतंकी पड़ोसी पाकिस्तान के साथ बातचीत के रास्ते खोलने की बात कही है। घोषणापत्र में साफ लिखा है कि सीपीआई(एम) की सरकार पाकिस्तान के साथ आतंकवाद सहित सभी मुद्दों पर बातचीत करने की वकालत करेगी। हालांकि, इस पूरे घोषणा पत्र में आतंकवाद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोई बात नहीं की गई है। इसके अलावा इस घोषणापत्र के माध्यम से सीपीआई(एम) ने तुष्टीकरण की राजनीति करने का भी मौका नहीं छोड़ा। घोषणापत्र में रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे को हल करने की बात तो कही गई है, लेकिन पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों का कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया है। 

सीपीआई(एम) की कश्मीर नीति भी कोई कम विवादास्पद नहीं है। घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर से अफस्पा हटाने की बात कही गई है, जिससे कि देश की सेना को कमजोर किया जा सके। इतना ही नहीं, कश्मीर में ‘प्रदर्शनकारियों’ पर पैलेट गन का इस्तेमाल ना करने को लेकर भी सेना को निर्देश देने की बात कही गई है। गौरतलब है कि अपने घोषणा पत्र में सीपीआई(एम) ने पत्थरबाज़ों को ‘प्रदर्शनकारी’ बताया है। इसके अलावा सीपीआई(एम) ने कांग्रेस की तरह ही कश्मीर से विवादित अनुच्छेद 35ए और 370 को ना हटाने की बात कही है। आपको बता दें कि अपने मेनिफेस्टो में सीपीआई(एम) ने कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को राजनीतिक प्रारूप देने की कोशिश की है, जो कि बेहद आपत्तिजनक है।

इसके अलावा पार्टी के घोषणा पत्र में देश की सुरक्षा से समझौता करने वाली भी कई बातें लिखी गई हैं। मेनिफेस्टो के मुताबिक सीपीआई(एम) ने अमेरिका के साथ सभी सुरक्षा समझौते को रद्द करने की बात कही है। इसके साथ ही साइबर स्पेस के सैन्यकरण को रोकने की बात भी इस घोषणापत्र में कही गई है।

आपको बता दें कि देश की मौजूदा सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिहाज़ से यह घोषणापत्र बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं लगता। ऐसा लगता है मानों यह घोषणापत्र भारत के वोटर्स को नहीं, बल्कि पाकिस्तान के वोटर्स को ध्यान में रखकर बनाया गया हो। हालांकि, यह घोषणापत्र बिल्कुल भी निराशाजनक नहीं है। हमें सीपीआई(एम) से एक ऐसे ही घोषणापत्र की उम्मीद थी, जिसपर यह पार्टी पूरी तरह खरी उतरी है।

Exit mobile version