मायावती पर लगे प्रतिबंध से पार्टी को लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान होने वाला है

मायावती चुनाव प्रतिबंध

(PC: NDTV)

बीते सोमवार को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा सुप्रीमों मायावती को आंचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाते हुए दोनों नेताओं पर कार्रवाई की थी। चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार अभियान में हिस्सा लेने पर 72 घंटो का प्रतिबंध लगाया था, जबकि मायावती पर भी 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया गया था। इस प्रतिबंध के बाद बेशक उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रचार पर थोड़ा असर पड़ सकता है लेकिन इस प्रतिबंध ने बहुजन समाज पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। दरअसल, बहुजन समाज पार्टी में मायावती के बाद नंबर 2 का कोई नेता ही नज़र नहीं आता, जिसके कारण बसपा के चुनाव प्रचार अभियान के पूरी तरह ठप होंने का खतरा अब बढ़ गया है। दूसरे चरण के चुनावों से ठीक पहले मायावती पर 48 घंटो के बैन के बाद जहां एक तरफ पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है, वहीं महागठबंधन को भी इससे गहरा झटका पहुंचना तय है।

पिछले वर्ष अगस्त में बसपा के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा जॉइन कर लिया था, जिसके बाद बहुजन समाज पार्टी में मायावती के अलावा कोई बड़ा नेता नहीं रह गया है। उधर भाजपा की बात करें तो सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी और अरुण जेटली जैसे बड़े नेता भी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। खुद पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनावी मैदान में उतरकर अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं। ऐसे में बसपा के लिए आने वाले समय में बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

दरअसल, अगर आप भाजपा के वोटबैंक पर नज़र डालें तो अधिकतर मिडिल क्लास और अप्पर क्लास तबके के लोग भाजपा के लिए वोट डालने जाते हैं। आमतौर पर यह तबका मुद्दों को लेकर अपना विचार बनाता है, और सरकार के कामकाज करने के तरीके पर आधारित होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करता है, जिससे भाजपा को हर बार फायदा पहुंचता है। लेकिन दूसरी तरफ, अगर बहुजन समाजवादी पार्टी के वोटबैंक की बात करें तो उसका वोटबैंक ज़्यादातर जाति आधारित होता है, जिनको अक्सर वोट डालने के लिये प्रोत्साहित करने के लिए उन्हीं की जाति के किसी बड़े नेता का होना आवश्यक होता है। बसपा सुप्रीमों मायावती पहले ही अपनी पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं, ऐसे में मायावती इतने महत्वपूर्ण समय में अगर कुछ समय के लिए भी प्रचार अभियान से दूर होतीं हैं, तो पार्टी के साथ-साथ पूरे गठबंधन को नुकसान पहुंचना तय है।

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