हाल ही में ये खबर फैली थी कि 100 से ज्यादा फिल्म मेकर्स ने आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को वोट न देने की अपील की है। इनमें आनंद पटवर्धन, एसएस शशिधरन, सुदेवन, दीपा धनराज, गुरविंदर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, कबीर सिंह चौधरी, अंजलि मोंटेइरो, प्रवीण मोरछले देवाशीष मखीजा और उत्सव के निर्देशक और संपादक बीना पॉप जैसे नामी फिल्म मेकर्स का नाम सामने आया था। ये खबर तेजी से सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय भी बन गयी जिसके बाद खुद फिल्म मेकर्स ने इसकी पुष्टि की कि उन्होंने ऐसी कोई अपील नहीं की है। इस खबर के सामने आने से कांग्रेस और मीडिया रिपोर्ट्स का झूठ भी सामने आ गया।
खबरों की मानें तो इन फिल्म मेकर्स के अनुसार मोदी सरकार के शासनकाल में देश में लोकतंत्र खतरे में है। इन सभी के मुताबिक बीजेपी के शासनकाल में ध्रुवीकरण और नफरत की राजनीति में बढ़ोत्तरी हुई है। ये सभी फिल्म मेकर्स लोकतंत्र बचाओ के तहत एकजुट हुए है। इस रिपोर्ट के नुसार फिल्म मेकर्स मानते हैं कि मोदी सरकार में धुव्रीकरण और घृणा की राजनीति में बढ़ोतरी हुई है। दलितों, मुसलमान और किसान हाशिए पर हैं। बीजेपी पर आरोप में ये भी कहा कि ‘साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से देश का धार्मिक रूप से धुव्रीकरण किया किया जा रहा है।‘ इन फिल्म मेकर्स ने देश की जनता से बीजेपी के खिलाफ वोट करने और ऐसी सरकार चुनने की अपील की थी जो भारत के संविधान का सम्मान करती है, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करती है। इस खबर को कांग्रेस पार्टी ने खूब हवा भी दी।
हालांकि, इस रिपोर्ट से कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। ऐसा ही कुछ 5 साल पहले हुआ था जब 50 से अधिक फ़िल्मी हस्तियां पीएम मोदी के खिलाफ एकजुट हुई थीं। उस समय जिन फिल्म कलाकारों, निर्देशकों, लेखकों, गीतकारों, एडिटर्स, निर्माताओं और अन्य फिल्मी हस्तियों ने अपील की थी उनमें इम्तियाज अली, विशाल भारद्वाज, गोविंद निहलानी, सईद मिर्जा, जोया अख्तर, नंदिता दास, विजय कृष्णा आचार्य, कबीर खान, आनंद पटवर्धन, राकेश शर्मा, हंसल मेहता, साकेत चौधरी, महेश भट्ट, शुभा मुदगल आदि थे। इन सभी ने उस समय सभी से अपील की थी कि पीएम मोदी को वोट न दें। हालांकि, इन सभी की अपील धरी की धरी रह गयी थो क्योंकि पीएम मोदी भारी बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री बने थे।
इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला बस फर्क इतना रहा कि इस बार फेक खबर को प्रचारित किया गया जब इस सूची में शामिल फिल्म मेकर्स को सोशल मीडिया पर टैग किया जाने लगा तब इस खबर का दूसरा पहलू सामने आया। गुजरात की एक्ट्रेस व फिल्म प्रोडूसर आरती व्यास पटेल ने इस झूठ खुलासा किया ।
It's fake.. I don't know from where they have got the names, may be from a film directory. I haven't given any statement nor signed any appeal.https://t.co/Acz6vM5vXH https://t.co/T5UpU1NXkQ
— Aarti (@aartivyaspatel) March 31, 2019
आरती ने लिखा, “ये फेक है, मुझे नहीं पता उन्हें ये नाम कहां से मिला, शायद किसी फिल्म निर्देशिका से लिया होगा। मैंने ऐसा कोई बयाना नहीं दिया, न ही कोई हस्ताक्षर किया है और न ही कोई अपील।
इसके बाद अपने अगले ट्वीट में आरती ने अपना रुख साफ़ किया।। इसके साथ ही उन्होंने द क्विंट, द हिंदू और एनडीटीवी से इस खबर को लेकर सवाल भी किया।
And now @ndtv @ndtvindiahttps://t.co/PTWkV9RAo8
Can you explain @TheQuint ?? https://t.co/BHUMwChbyV— Aarti (@aartivyaspatel) March 31, 2019
इस खबर से मोदी विरोधियों का निम्न स्तर सामने आ गया है। इस सूची में ऐसे नाम शामिल हैं जिन्हें खुद नहीं पता कि उनके नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है वो भी एक ऐसे प्रोपेगंडा के लिए जो वास्तव में उनसे जुड़ा ही नहीं है। अपने ट्वीट से आरती व्यास ने लेफ्ट-लिबरल गैंग के इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया।