कांग्रेस पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र को आज जारी कर दिया। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र को ‘जन-आवाज’ के नाम से जारी किया। हर बार की तरह कांग्रेस ने इस बार भी बड़े-बड़े चुनावी वादे किये हैं। घोषणापत्र में एक तरफ जहां देश के गरीबों को हर वर्ष 72 हजार रुपये देने की बात कही गई है तो वहीं दूसरी तरफ यह भी ऐलान किया कि अगर किसान अपना कर्ज नहीं चुका पाते हैं तो उनपर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होगा। लेकिन इसके साथ ही इस घोषणापत्र के जरिए कांग्रेस ने देश की सेना के खिलाफ अपनी ओछी सोच को भी जगजाहिर कर दिया। कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो वह प्रतिकूल स्थिति में सेना को विशेषाधिकार देने वाले अफस्पा कानून में कुछ बदलाव करेगी। इसके अलावा कांग्रेस ने राजद्रोह की धारा 124ए को हटाने का वादा भी किया है। वहीं कुछ वादे ऐसे भी है जो कांग्रेस वर्ष 2009 से करती आ रही है और कांग्रेस द्वारा इस बार भी उन्ही वादों को अपने घोषणापत्र में चिपका दिया गया है।
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अफस्पा कानून में बदलाव
अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह वादा किया है कि उनकी सरकार “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर कानून में बदलाव करेगी ताकि सेना को मिलने वाली छूटों में कमी की जा सके। घोषणापत्र में लिखा है ”हम अफस्पा कानून, 1958 में बदलाव लाएंगे ताकि लोगों के मानवाधिकारों एवं सेना की शक्तियों में एक संतुलन बनाया जा सके। हम ऐसा इसलिए करेंगे ताकि यौन उत्पीड़न, जबरन लापता एवं शारीरिक उत्पीड़न जैसी घटनाओं को कम किया जा सके।” अपने इस ऐलान से कांग्रेस ने यह दर्शाने की कोशिश की है कि कश्मीर जैसे राज्यों में सेना अफस्पा का गलत इस्तेमाल कर वहां के लोगों के खिलाफ अत्याचार करती है। आपको बता दें की अफस्पा के तहत देश के सेना को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं ताकि बिगड़े हालातों में सेना अपने स्तर पर कार्रवाई कर जल्द से जल्द हालातों को काबू में कर सके। लेकिन ऐसे संवेदनशील कानूनों के साथ छेड़छाड़ कर क्या कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का काम नहीं करेगी? वहीं मोदी सरकार के समय में सेना को खुली छूट मिली है और सेना द्वारा पाकिस्तान में दो बार घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने का काम भी किया गया है, लेकिन अब यह साफ हो गया कि अगर कांग्रेस दोबारा सत्ता में आती है तो दोबारा वह सेना के हाथ बांधने का काम करेगी।
जाहिर है कि सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के अलावा कश्मीर में अफस्पा कानून लगाया जाता रहा है, देश की सेना को कश्मीर में जारी हिंसा को रोकने के लिए इस कानून के प्रावधान की आवश्यकता पड़ती है। हमने इतिहास में देखा है कि एक तरफ जम्मू-कश्मीर की सरकार सेना के खिलाफ कार्रवाई करने की फ़िराक में रहती है, तो वहीं पाकिस्तान-परस्त पत्थरबाज भी सेना को चोट पहुंचाने का मौका नहीं छोड़ते। लेकिन अपने इस घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहीं भी पथरबाज़ों की चर्चा तक नहीं की गई है। और तो और, कश्मीर समस्या की जड़, अलगाववादी नेताओं को लेकर भी इस घोषणापत्र में कोई बात नहीं कही गयी है। कश्मीर नीति को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस ने अपनी जिस कश्मीर नीति को सामने रखने के संकेत दिए हैं, वह वाकई भयावह है और इन नीतियों की वजह से कश्मीर में अलगाववाद की आग भड़काने का ही काम होगा।
ब्रॉडबैंड नेटवर्क का लॉलीपॉप
कांग्रेस का यह शुरू से ही फॉर्मूला रहा है कि सरकार बनाने के लिए पहले तो वह आकर्षक चुनावी वादों का ढोल पीटती है, और जब उसकी सरकार बन जाती है तो वह लोगों को लॉलीपॉप देने का काम करती है। कांग्रेस ने वर्ष 2009 के अपने घोषणापत्र में ऐसा ही एक ऐलान किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो तीन साल के अंदर-अंदर देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जाएगा। लेकिन सरकार बनने के बावजूद उसपर कोई काम नहीं किया गया। वर्ष 2014 के चुनावी घोषणापत्र में फिर एक बार यह घोषणा की गई। और अब इस वर्ष भी उन्होंने यही वादा किया है। कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2021 तक फिर से देश की तमाम ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का वायदा किया है। आपको बतादें कि मोदी सरकार अपने ‘डिजिटल भारत’ अभियान के तहत पहले ही इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा चुकी है।
सेना पर लगाये गंभीर आरोप
So, Basically this clause in #CongressManifesto suggests that Congress Party Believes that Indian Armed forces sexually abuse and torture people. Wow, What respect for our Armed Forces @RahulGandhi ji. Shameful. pic.twitter.com/5Rph2ZE4GC
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) April 2, 2019
चुनावी वादे कर उनको भूल जाने की एक्सपर्ट बन चुकी कांग्रेस का घोषणापत्र है तो बहुत आकर्षक, लेकिन तथ्यों का इसमें बहुत आभाव दिखता है। अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह कहीं नहीं दिखाया कि वह कैसे अपनी ‘न्याय’ योजना को बिना भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किये लागू कर सकेगी। अपने इस घोषणापत्र के जरिये कांग्रेस ने यह मान लिया है कि जम्मू-कश्मीर में देश की सेना ही अत्याचार करती है। जाहिर है कि अपने इस घोषणापत्र के जरिये वह बेशक कुछ लोगों का दिल जीतने में कामयाब हो जाये, लेकिन वतन-पसंद लोगों को उनका यह घोषणापत्र किसी स्थिति में भी नहीं भाएगा।