मुस्लिमों से एकमुश्त वोट की मांग कर फंसी मायावती, निर्वाचन आयोग ने की रिपोर्ट तलब, सोशल मीडिया पर भी हो रही जमकर खिंचाई

PC : ABP NEWS

चुनावी हवा में खुद को सबसे अच्छा और फायदेमंद बताने की सभी पार्टियों की दौड़ जारी है इसके साथ ही पार्टियों की सभी वोटरों को धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भी अपनी तरफ खींचने की जद्दोजहद जारी है कुछ ऐसा ही नज़ारा यूपी के सहारनपुर में देखने को मिला। बसपा सुप्रीमों मायावती ने यूपी के ‘देवबंद’ मे रैली करते हुए मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ करने का ऐसा ही कुछ तरीका अपनाया।  मायावती ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यदि मुस्लिम मोदी और योगी को यूपी से भगाना चाहते हैं तो केवल सपा, बसपा और रलोद गठबंधन को ही वोट दें। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब न करें। बसपा सुप्रीमों का कहना है कि कांग्रेस मे इतना दम नहीं है कि वो मोदी की आंधी को रोक सके केवल महागठबंधन ही बीजेपी के विजय रथ को रोक सकता है। वहीं बसपा सुप्रीमों की इस अपील को सीएम योगी ने कांशीराम का अपमान बताया  है।

चुनावी रैली में मायावती ने कई बार ‘मुस्लिम’ शब्द का इस्तेमाल किया जिसपर उत्तर प्रदेश के ‘मुख्य निर्वाचन आयुक्त’ ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वेंकेटेश्वर लू ने बताया कि मायावती के खिलाफ़ इस रैली के बाद काफी शिकायतें मिली थीं। दरअसल, देवबंद मे गठबंधन की चुनावी रैली मे मुस्लिम मतदाताओं का आह्वान करते हुए मायावती ने उन्हें गठबंधन को वोट करने के फायदे गिनाए और साथ ही कांग्रेस को वोट देकर अपना कीमती वोट खराब ना करने की सलाह भी दी। बीजेपी को हिन्दूवादी पार्टी बताने वाली मायावती खुलकर मुस्लिमों से वोट अपील करती नज़र आईं।  मायावती के इस बयान पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बसपा सुप्रीमों पर निशाना साधते हुए कहा, “मायावती जी के द्वारा इस प्रकार का संबोधन… कांशीराम जी और आंबेडकर जी का इससे बड़ा दूसरा अपमान नहीं हो सकता है। अगर उन्हें केवल मुस्लिम वोट ही चाहिए तो स्वाभाविक रूप से दूसरा वोट भी तय कर लेगा कि कहां जाना है।“

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मीडिया हाउस नेटवर्क 18 के साथ इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से इसी मुद्दे को लेकर एक सवाल पूछा गया था जिस पर पीएम ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम तुष्टिकरण करना तो मायावती की मजबूरी बन गया है लेकिन 24 घंटे होने के बाद भी अवॉर्ड वापसी गैंग इस पर चुप क्यों हैं?

रैली में मुस्लिम शब्द बार-बार इस्तेमाल करने के लिए सोशल मीडिया पर भी लोगों ने मायावती को काफी ट्रोल किया साथ ही कई यूजर्स ने सोशल प्लैटफ़ॉर्म पर ही मायावती को खरी खोटी सुना डाली। यूजर्स ने लिखा कि अगर मोदी और बीजेपी हिंदुओं को एकजुट होने को कहे तो वो असहिष्णुता और अगर आप मुस्लिम वोटरों को सीधा वोट देने को कहे तो वो सहिष्णुता कैसे? वो ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करें तो भी गलत और आप हिन्दू मुस्लिम के नाम पर वोट मांगे तो भी सही कैसे हो सकता है? बीजेपी पर हिन्दूवादी राजनीति करने वाली सरकार का आरोप लगाने वाली बसपा सुप्रीमों आज मुस्लिम वोटरों से मुस्लिम होने के नाम पर वोट कैसे मांग रही हैं?

लेखिका ‘शैफाली वैद्य’ ने भी इस पर तीखा प्रहार करते हुए लिखा कि अगर मायावती धर्म के नाम पर मुस्लिमों से वोट मांगे तो सही, राहुल गांधी कि रैली मे इस्लामिक झंडे फहराए जायें तो भी सही कैसे है? यही नहीं लेफ्ट-लिबरल गैंग ने भी मायावती की इस तुष्टिकरण की राजनीति पर चुप्पी साध ली है। अब न ही कोई मीडिया वर्ग इसपर अपनी राय दे रहा है और ही किसी को यहां हिंदू-मुस्लिम के नाम पर रजनीति या आर-पार की लड़ाई नजर आ रही है। वामपंथी मीडिया जो पीएम मोदी के हर बयान में सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का प्रयास करते हैं।  

खैर, इस रैली के बाद मायावती को लोगों के गुस्से का सामना तो करना ही पड़ा साथ ही उन्हें मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भी जवाब देना पडे़गा। देखने वाली बात ये होगी कि ये पार्टियां अब सत्ता पाने के लिए और कौन-कौन से हथकंडे अपनाती हैं।

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