जिन पत्थरबाजों को महबूबा ने संरक्षण और ताकत दी आज वे ही उनके काफिले पर बरसा रहे पत्थर

हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि, कर्म कभी खाली नहीं जाता, देर-सवेर उसका फल मिलता अवश्य है। अब शास्त्रों में कहा गया है तो जम्मू कश्मीर की पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के कर्म कैसे उनका पीछा छोड़ सकते थे। अब वो अलग बात है कि, कर्म बुरे थे तो फल भी बुरा ही मिला। दरअसल बात यह है कि, कल महबूबा मुफ्ती के साथ एक अजीब दुर्घटना घट गई। अजीब इसलिए क्योंकि महबूबा के साथ वह हुआ जो उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा। महबूबा कल शाम अनंतनाग जिले में खिराम की एक दरगाह पर गई थीं और जब वे वापस लौट रही थीं तो पत्थरबाजों ने महबूबा के काफिले पर हमला कर दिया।

मुफ्ती सोमवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में खिर्रम स्थित मज़ार पर माथा टेकने गई थीं। जब वहां से वे अपने गृहनगर बिजबेहड़ा के लिए लौट रही थीं तभी रास्ते में उनके काफ़िले पर पत्थरबाज़ों ने हमला कर दिया। पत्थरबाजों ने महबूबा के काफिले में चल रहे वाहनों पर जमकर पत्थरबाजी की। हालांकि, इस पत्थरबाजी में महबूबा मुफ्ती को तो किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ लेकिन काफिले की एक गाड़ी का ड्राइवर घायल हो गया।

बता दें कि, ये वही महबूबा मुफ्ती हैं जो पत्थरबाजों के केस वापस लेने और उन्हें माफी देने का काम करती रही हैं। महबूबा मुफ्ती ने पहली बार कश्मीर घाटी में सबसे ज्यादा संख्या में पत्थरबाजों को माफी देने का काम किया था। नवंबर 2017 में उन्होंने पत्थरबाजी में लिप्त युवकों के 4500 से ज्यादा मामले वापस लेने की घोषणा की थी। कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद भड़की हिंसा के दौरान पत्थरबाजों के खिलाफ 11500 मामले दर्ज किए थे। महबूबा ने इन्हीं में से 4500 से ज्यादा मामले वापस लेने की घोषणा की थी।

उस समय पत्थरबाजों को माफी देने की घोषणा करते हुए महबूबा ने ट्विटर पर लिखा था, ‘पत्थरबाजी में लिप्त पाए गए लड़कों के खिलाफ एफआइआर वापस लेने की प्रक्रिया को दोबारा शुरू करते हुए मुझे बहुत तसल्ली हो रही है। मेरी सरकार ने यह प्रक्रिया बीते साल मई, 2016 में भी शुरू की थी, लेकिन जुलाई, 2016 में पैदा हुई कानून- व्यवस्था की स्थिति के चलते यह प्रक्रिया अधर में लटक गई थी। यह प्रक्रिया पत्थरबाजी के मामलों में पकड़े गए लड़कों व उनके परिजनों के लिए उम्मीद की एक नई किरण है। इससे इन लोगों को अपना जीवन सुधारने का एक और मौका मिला है।’

पत्थरबाजों की एफआईआर वापस लेते समय महबूबा जो तसल्ली महसूस कर रही थी, आशा की जा सकती है कि, कल की घटना के बाद उसमें कुछ बदलाव तो आया ही होगा। शायद महबूबा को अपने पिछले कर्म याद आ गए होंगे।

बता दें कि, यह हमला अनंतनाग में उस जगह हुआ जो पीडीपी की मजबूत पकड़ वाला इलाका माना जाता है। महबूबा मुफ़्ती इस लोक सभा चुनाव में अनंतनाग सीट से पीडीपी प्रत्याशी भी हैं। इस लोकसभा सीट में चार जिले आते हैं। अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां। खास बात यह है कि, ये सभी जिले आतंक प्रभावित माने जाते हैं और महबूबा ने चुनाव लड़ने के लिए यही सीट चुनी है। आतंक प्रभावित होने के कारण इस सीट पर 29 अप्रैल से छह मई तक तीन चरणों में मतदान कराने का इंतज़ाम किया गया है।

महबूबा मुफ्ती पर उनकी मजबूत पकड़ वाले इलाके में पत्थरबाजों द्वारा हमला किया जाना बताता है कि, कर्म बहुत प्रबल होता है। पत्थरबाजों को माफी देकर महबूबा ने जो काम किया आज उसी का परिणाम उनके समाने हैं। अगर पहले ही उन्होंने इन पत्थरबाजों के खिलाफ अपने शासनकाल में सख्त कदम उठाये होते तो शायद आज इन पत्थरबाजों के हौंसले इतने बुलंद नहीं होते।

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