मायावती के मुस्लिम तुष्टिकरण पर पीएम मोदी ने अवॉर्ड वापसी गैंग और मीडिया की जमकर ली क्लास

मायावती पीएम मोदी

PC : Network 18

रविवार को यूपी के देवबंध में रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पीएम मोदी, बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। मायावती ने कहा था कि कांग्रेस मान कर चल रही  है कि हम जीते न जीते गठबंधन नहीं जीतना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अगर मुस्लिम अपना भला चाहते हैं तो बीजेपी को वोट न दे और कॉंग्रेस को अपना वोट देना मतलब अपना वोट ज़ाया करना क्योंकि कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने का दम नहीं रखती है, कांग्रेस कि हालत खस्ता है अगर बीजेपी को कोई हरा सकता है तो वो बस गठबंधन ही है।

मायावती ने कहा कि कांग्रेस बीजेपी का सामना नहीं कर सकती और बीजेपी मुस्लिम विरोधी है उन्होने योगी को भी मुस्लिम विरोधी बताया और मुस्लिम समाज के लिए इसे खतरा भी कहा। उन्होने कह कि ‘मोदी के साथ साथ, योगी को भी भागना है’ वोट केवल बीएसपी, सपा और राजद के महागठबंधन को ही देना है। उन्होने कहा था कि मुस्लिम समाज भावनाओं मे बेह कर वोट न दें।

जिसपर आज पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए न्यूज़ 18 को दिये एक इंटरव्यू मे कहा कि मायावती लगातार मिलती हार से हताश हो गईं हैं उन्हे कुछ भी करके बचना है तो वो उधर इधर से वोट मांगती रहेंगी साथ ही प्रधानमंत्री ने मायावती को डूबती नैया बताया और कहा कि अपनी नैया को बचाने के लिए मायावती अब धर्म का खेल खेल रही हैं। मुस्लिमो को वो सहारे के तौर पर इस्तेमाल कर रही है ताकि वो अपनी कुर्सी बचा सकें। मोदी जी ने कहा कि सेकुलर समाज का झण्डा लेकर घूमने वालों ने आज चुप्पी क्यूं साध रखी है ? ये जमात इतनी सेलेक्टिव क्यों है ? अब इनके मुह पर ताला क्यों  लग गया है ? अगर ऐसी बात किसी ने हिन्दू समाज के लिए बोल दी होती तो न जाने देश मे कितनी उठा पटक मच जाती। ऐसे दोहरे नकाब वाले लोगो को अब पर्दाफाश करने कि जरूरत है। उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसे बातों  से उनके सेक्युलरिज़्म को कोई चोट नहीं पहुँचती?

मायावती पर तीखा कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने भी तीखा पलटवार किया और कहा कि लगातार हार मिलने के बाद ऐसी ही बातें होती हैं। मैं उनका दुख समझ सकता हूँ, यह स्वाभाविक है। डूबती हुई नैया को बचाने के लिए सहारा तो लेना ही पड़ता है।

उस रैली में ‘मुस्लिम’ शब्द का इस्तेमाल बार-बार करने पर मायावती को चुनाव आयोग के गुस्से का भी सामना करना पड़ा था और साथ ही चुनाव आयोग ने इस पर रिपोर्ट भी तलब की थी। जिस रिपोर्ट के आधार पर ये देखा जाएगा के ये कहीं यह आचार संहिता का उल्लंघन तो नहीं है।

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