साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर रोक लगावाने के लिए चुनाव आयोग गए थे ये कांग्रेसी नेता, मुंह की खाकर वापस लौटे

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PC : ThePrint

मध्यप्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से दिग्विजय सिंह के सामने बीजेपी द्वारा साध्वी प्रज्ञा को उतारते ही विरोधियों की सांसें फूलती दिखाई दे रही है। यही कारण है कि, अब वे साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी को रोकने के असफल प्रयास करते दिख रहे हैं। कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने भी साध्वी के चुनाव लड़ने पर रोक लगवाने की कोशिश लेकिन, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है।

दरअसल, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग को लेकर चुनाव आयोग गए थे। तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग से कहा था कि साध्वी के खिलाफ आतंकवादी घटनाओं में लिप्त होने का मामला चल रहा है, वे जमानत पर बाहर हैं, ऐसे में उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। तहसीन पूनावाला ने कल गुरुवार को ही साध्वी प्रज्ञा की भोपाल संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी पर सवाल खड़े करते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी।

कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला ने चुनाव आयोग को लिखे एक पत्र में कहा कि साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने से रोका जाए क्योंकि उन पर आतंकवाद संबंधी आरोप हैं। पत्र में उन्होंने लिखा कि, महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते(एटीएस) ने पाया कि साल 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में ठाकुर ‘‘मुख्य षड्यंत्रकर्ता’’ हैं। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने इस पत्र में लिखा, ‘‘इस पत्र को मेरी ओर से शिकायत पत्र माना जाए। मैं भारत के चुनाव आयोग से विनम्रतापूर्वक अपील करूंगा कि वह आदर्श आचार संहिता 2019 को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई करते हुये उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाये।’’

इस पत्र में तहसीन पूनावाला ने साध्वी प्रज्ञा पर लगे सारे आरोप गिना दिये लेकिन यह नहीं बताया कि आरोप सिद्द ना होने पर एनआईए द्वारा उन्हें क्लीन चिट दी जा चुकी है। चुनाव आयोग ने भी पूनावाला की इस याचिका पर अहम फैसला दिया। पूनावाला के पत्र के जवाब में चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। आयोग ने कहा कि, कानून के तहत साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

पूनावाला की शिकायत पर आयोग ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर किसी भी मामले में दोषी नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा, ‘उन पर कोई भी दोष साबित नहीं हुआ है और कानून के मुताबिक, दोष सिद्द होने पर चुनाव न लड़ने का प्रावधान है। जब तक दोष सिद्द न हुआ हो, तब तक चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती।’

जब तहसीन पूनावाला के मंसूबे नाकामयाब हो गए तो साध्वी की उम्मीदवारी पर रोक लगाने के लिए एक और याचिका दायर की गई। पूनावाला के बाद मालेगांव बम धमाके के पीड़ित के पिता ने महाराष्ट्र के एनआईए कोर्ट में याचिका दायर करके साध्वी की जमानत पर सवाल उठाए। इस याचिका में कहा गया कि, साध्वी प्रज्ञा को कोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों के चलते जमानत दी थी, तो ऐसे में वह भोपाल से लोकसभा का चुनाव कैसे लड़ सकती हैं। याचिका में पीड़ित के पिता की ओर से मांग की गई कि, कोर्ट द्वारा साध्वी प्रज्ञा को 2019 का चुनाव लड़ने से रोका जाए।

बता दें कि, साध्वी प्रज्ञा ने भी गुरुवार को आजतक से बातचीत में अपनी जमानत को लेकर हो रही बयानबाजी पर करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा, ‘उनकी जानकारी गलत है। मुझे लगता है उन्होंने यह क्यों नहीं कहा कि मुझे तत्काल फांसी पर लटका देना चाहिए। इनका षड्यंत्र तो यही था। मुझे स्वास्थ्य के आधार पर बेल नहीं मिली है।’ प्रज्ञा ने आतंकवाद के आरोपों पर कहा कि, ‘आरोप भी इनके कहने पर लगाया है और उन्होंने षड्यंत्र के तौर पर यह काम किया है। जिससे कोई भी देशभक्त हो वह खड़ा न हो सके और यह इनका छल है। मैं जमानत पर हूं। मुझे एनआईए ने क्लीन चिट दी है क्योंकि मेरे विरुद्ध कभी कुछ नहीं था और न ही है।’

यहां आपको यह बता दें कि, कानून के अनुसार, कोई भी 25 साल से अधिक आयु का व्यक्ति चुनाव लड़ने का अधिकार रखता है। शर्त सिर्फ यह है कि, उसे किसी ऐसे अपराध में दोषी न ठहराया गया हो जिसमें सजा की अवधि दो साल से अधिक की हो। साध्वी प्रज्ञा की बात करें तो उन पर लगाए गए आरोप सिद्द नहीं हुए हैं। यह भी बताया जाता है कि, उन्हें फंसाया गया था। सबसे बड़ी बात तो यह कि उन्हें एनआईए क्लीन चिट दे चुका है लेकिन उनके विरोधियों को यह बात हजम नहीं हो रही। हो सकता है चुनाव आयोग द्वारा मुंह की खाने के बाद कांग्रेस और भी हथकंडे अपनाए लेकिन सच तो आखिर सच ही रहने वाला है। वहीं एक बड़ा सच यह भी है कि, भोपाल सीट से साध्वी प्रज्ञा कांग्रेस के उम्मीदवारी दिग्विजय सिंह पर हर तरह से भारी पड़ती दिखाई दे रही है। यही कारण है कि, उनके विरोधी बौखलाए हुए हैं।

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