“स्वार्थी ना बनिए, बड़ा दिल रखिए”, सैम पित्रोदा ने उस मध्यम वर्ग को यह कहा जो न्याय योजना के लिए फंड देंगे

पित्रोदा कांग्रेस न्याय

(PC: Deccan Chronicle)

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी ‘न्याय’ योजना की घोषणा कर पहले ही वाहवाही बटोरने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी अब भी यह बताने में असक्षम है कि इस योजना को फंड करने के लिए सरकार के पास इतना पैसा कहां से आएगा। आपको बता दें कि न्याय योजना के तहत कांग्रेस ने देश के सबसे गरीब 20 प्रतिशत लोगों को हर वर्ष 72,000 रुपये देने का वादा किया है। इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को सालाना 3.6 लाख करोड़ रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक सरकार को इस स्कीम को फंड करने के लिए देश के मिडिल क्लास पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ डालना पड़ेगा लेकिन कांग्रेस इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से कतरा रही है। अब कांग्रेस के बड़े नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा ने अपने एक इंटरव्यू में यह साफ कर दिया है कि इस न्याय स्कीम को लागू करने के लिए वे मिडिल क्लास पर टैक्स बढ़ाएँगे, यहां तक कि उन्होने मिडिल क्लास को स्वार्थी ना होने की भी नसीहत भी दे डाली।

पित्रोदा ने अपने इंटरव्यू में कहा ‘हाँ मुझे पता है कि न्याय स्कीम को लागू करने के बाद मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ पड़ेगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कोई बड़ा मुद्दा है, मिडिल क्लास को इतना स्वार्थी नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे अपना बड़ा दिल दिखाना चाहिए’। पित्रोदा से पहले कांग्रेस की न्याय स्कीम के मास्टरमाइंड अर्थशास्त्री अभिजीत बैनर्जी भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि बिना टैक्स बढ़ाए न्याय स्कीम को लागू करना नामुमकिन है। जब उनसे यह पूछा गया कि लोगों पर किस तरह का टैक्स बढ़ाया जाएगा, तो उन्होने जवाब दिया कि इनकम टैक्स की दरों को बढ़ाने के साथ-साथ जीएसटी की दरों में भी इजाफा किया जा सकता है। अपने इंटरव्यू में उन्होने इस बात के भी संकेत दिये थे कि मिडिल क्लास को मिलने वाली सब्सिडी में भी कटौती की जाएगी।

आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी अपनी न्याय स्कीम को लागू करने के लिए पेरिस आधारित एक संस्थान ‘द वर्ल्ड इनिक्वालिटी लैब’ की मदद ले रही है। फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी इस संस्थान के निर्देशक हैं। आपको बता दें कि पिकेटी को आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ‘क्रांतिकारी’ कदम उठाने के लिए जाना जाता है। उनका आदर्श टैक्स दर 50-60 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक रहा है। अगर ऐसी संस्था के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी अपनी इस न्याय योजना को लेकर आती है तो जाहिर है कि देश के मिडिल क्लास पर इसका भार आना तय है।

देश में मिडिल क्लास के अंतर्गत आने वाले परिवारों की संख्या करोड़ों में हैं, और कांग्रेस के इस घोषणापत्र में सीधे तौर पर देश के इस मध्यम-वर्गीय धड़े को पूरी तरह नकारने का काम किया गया है। मिडिल क्लास के लिए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस कोई लाभकारी योजना तो नहीं लेकर आई है लेकिन इसके उलट मिडिल क्लास को पूरी तरह निचोड़ने का बंदोबस्त जरूर कर दिया है। यह तय है कि अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आती है तो ना सिर्फ मिडिल क्लास पर टैक्स का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा बल्कि उनको मिलने वाली सब्सिडी में भी कटौती की जाएगी।

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