शबाना आज़मी ने हिंदुओं के खिलाफ अपने प्रोपेगंडा के लिए हिंदू देवी-देवताओं का किया इस्तेमाल

शबाना आजमी हिंदू

PC: Dainik Bhaskar

शबाना आजमी हिंदी सिनेमा की ऐसी मंझी हुई अदाकारा मानी जाती हैं जिन्हें उनके अभिनय के लिए खूब सराहा भी जाता है। अक्सर वो कभी अपने पक्षपाती रुख तो कभी दोहरे रुख की वजह से चर्चा में रहती हैं और इस बार कुछ ऐसा ही हुआ है। साल 2017 में किये हुए उनके ट्वीट से जुड़ा एक मीम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें शबाना आजमी का हिंदू विरोधी रुख जगजाहिर हो रहा है। इस मीम पर शबाना आज़मी ने सफाई भी दी है।

दरअसल, सोशल मीडिया पर एक मीम तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें लिखा है, “मैं इस नवरात्रि पर अल्लाह से दुआ करती हूं कि लक्ष्मी को भीख ना मांगना पड़े, दुर्गा की भ्रूण हत्या ना हो, पार्वती को दहेज ना देना पड़े, सरस्वती बिना स्कूल के अनपढ़ ना रहे और काली को फेयर एंड लवली की जरूरत ना पड़े! इंशा अल्लाह!” हालांकि, इस मीम पर सफाई देते हुए शबाना आज़मी ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कभी कुछ नहीं कहा। उन्होंने अपनी सफाई में कहा, ‘मैंने ये सब कभी नहीं कहा। ट्रोल्स पहले से ही आवेशित वातावरण में ध्रुवीकरण करने के लिए इतना नीचे गिर जाएंगे, यह देखना घिनौना है। मैं सभी महिलाओं के लिए उनके धर्म को देखे बिना काम करती हूं।”

हालांकि, शबाना आज़मी के इस ट्वीट पर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनकी पुरानी ट्वीट का स्क्रीन शॉट लेकर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया और कहा कि आपको झूठ बोलने से बचना चाहिए और अगर आपने कभी ऐसा कुछ नहीं कहा तो ये साल 2017 के इस ट्वीट को किसने लिखा है? वास्तव में शबाना आजमी ने ऐसा ट्वीट 29 सितंबर 2017 को किया था जिसमें लिखा था:

उस समय भी शबाना ने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था और आज उनका वही ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है तो वो कह रही हैं मैंने कभी ऐसा कुछ कहा ही नहीं था। अपनी ही कहीं हुई बातों को नकारते हुए आज शबाना आजमी आज विक्टिम कार्ड खेल रही हैं कि जानबुझकर निशाना बनाया जा रहा है।

शबाना आज़मी खुद को मानवतावादी और सभी बुराइयों के खिलाफ एक सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करती हैं। फिर भी उन्हें ये ध्यान नहीं है कि उनके द्वारा कहे गये शब्दों से और एक धर्म से जुड़े लोगों की भावनाओं को आहत कर रही हैं।  अगर वो वास्तव में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकना चाहती हैं तो उन्हें किसी एक धर्म को लक्षित करते हुए उनके देवी-देवताओं का अपमान करने से पहले एक बार जरुर विचार करना चाहिए

भारतीय संस्कृति में आदि काल से महिला स्वयं ईश्वरीय शक्तियों से युक्त जन्म से पूजनीय एवं सम्माननीय रहा है लेकिन उन्होंने सिर्फ एक धर्म की महिलाओं के खिलाफ अपराध को उठाया जबकि उनके अपने धर्म में तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह को लेकर कभी क्यों खुलकर नहीं कहा? इन प्रथाओं से उनके धर्म की महिलाओं को काफी कुछ सहना पड़ता है उसपर वो खुलकर अपने विचार नहीं रखती। ऐसा लगता है कि उनका मकसद सिर्फ एक धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करना था और अब जब उनका ये चेहरा सामने आया है तो वो अपनी ही कही बैटन से मुकर रही हैं।

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