शेखर गुप्ता ने फैलाई फेक न्यूज़ तो सी-वोटर के संस्थापक ने किया एक्सपोज

शेखर गुप्ता सी-वोटर

PC: India Speaks Daily

देश का वामपंथी मीडिया अपने विलुप्त होते प्रभाव से इतना बौखलाया हुआ है कि अब वह फेक न्यूज़ के सहारे अपना प्रोपेगेंडा फैलाने में लगा हुआ है। ‘द प्रिंट’ के संस्थापक शेखर गुप्ता भी आजकल इसी काम में लगे हुए हैं। रविवार को उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल फेक न्यूज़ फैलाने के लिए किया। उन्होंने ट्वीट में सी-वोटर के एक ‘काल्पनिक’ सर्वे का हवाला देते हुए यह दावा ठोक डाला कि बीजेपी को इन चुनावों में पिछली बार की मुक़ाबले बेहद कम सीट मिलेंगी। जाहिर है कि इस ट्वीट के पीछे उनकी एक एजेंडावादी सोच छिपी हुई थी, हालांकि उनके इस एजेंडा को सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने सबके सामने एक्सपोज कर दिया।

दरअसल, कल शेखर गुप्ता ने एक ट्वीट करते हुए यह बताया कि भाजपा को इन चुनावों में 220 सीटें मिलेंगी जो कि पिछली बार के मुक़ाबले 80-100 सीटें कम हैं। इसके लिए उन्होंने सी-वोटर के एक सर्वे का हवाला दिया। इसके जवाब में सी-वोटर के संस्थाप्क यशवंत देशमुख ने उनको ट्वीट कर जवाब में लिखा कि उन्होंने चुनावों के मध्य किसी सर्वे को रिलीज़ नहीं किया है। उन्होंने लिखा ‘चुनाव आयोग के निर्देशों का सम्मान करते हुए हम चुनाव प्रक्रिया के दौरान वोटों या सीटों के नंबर को जाहिर नहीं करते हैं। या तो ये दिये गए आंकड़े दिसंबर 2018 के सर्वे से हैं या फिर कोई व्यक्ति हमारे नाम पर झूठ फैलाने का काम कर रहा है’। आखिर में उन्होंने शेखर गुप्ता पर व्यंग्य करते हुए लिखा ‘समाचार समाप्त हुए’। जाहिर है कि इसके माध्यम से यह बताना चाहते थे कि जब मीडिया के इस वर्ग के पास कोई खबर नहीं बचती है तो वे फेक न्यूज़ फैलाना शुरू कर देते हैं।  

शेखर गुप्ता और फेक न्यूज़ का नाता कोई नया नहीं है। हर मुद्दे पर वे अपनी फेक न्यूज़ फैलाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करते हैं। अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वे देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी फेक न्यूज़ फैलाने से गुरेज नहीं करते। वे भारतीय सेना को लेकर भी फेक न्यूज़ फैलाने का काम कर चुके हैं। जब भारत और अमेरिका के बीच COMCASA (प्रस्तावित संचार संगतता और सुरक्षा समझौता) संधी पर हस्ताक्षर होने वाले थे, तो शेखर गुप्ता ने यह झूठ फैलाया था कि भारतीय सेना को इस संधी से आपत्ति है क्योंकि इसके बाद अमेरिका पाकिस्तान के साथ भारत के खूफिया सूत्र साझा कर सकता है। लेकिन शेखर गुप्ता को करारा झटका तब लगा जब प्रिंट के इस दावे को खुद सेना के एडीशनल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ पब्लिक इनफार्मेशन ने ख़ारिज किया था। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा था ‘ भारतीय सेना को लेकर पेश किये गये तथ्य पूरी तरह से गलत है, भारतीय सेना ने इस तरह की कोई आपत्ति सरकार के पास नहीं भेजी है’। 

देश में चुनाव जारी है और इस बीच एक काल्पनिक सर्वे का सहारा लेकर अपना भाजपा-विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने का कारण हम भली-भांति समझ सकते हैं। चुनावों के समय लोगों के राजनीतिक मत को अवैध रूप से प्रभाव करना एक गंभीर अपराध है। अगर देश के तथाकथित निष्पक्ष पत्रकार ही ऐसी फेक न्यूज़ फैलाने का काम करेंगे, तो भला देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है?

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