सिद्धू के राजनीतिक सफर का नाटकीय पतन शुरू हो चुका है

नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस

(PC: Open Magazine)

पिछले कुछ समय से क्रिकेटर से राजनेता बने, और पंजाब कैबिनेट में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपने विवादित बयानों और कृत्यों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। हाल ही में भारतीय मीडिया के साथ-साथ पाकिस्तानी मीडिया के भी वे सबसे मनपसंद विषय बन चुके थे। हालांकि, अब यह कांग्रेस नेता अचानक से खबरों से दूर होते दिखाई दे रहे हैं। ना तो अब उनकी खबरों में कोई चर्चा हो रही है, और ना ही वे किसी राजनीतिक मंच से अपनी ‘हुंकार’ भरते नजर आ रहे हैं। यह बड़ा ही हैरान करने वाला है कि कुछ समय पहले तक खबरों के केंद्र में रहने वाला नेता अचानक से लाइमलाइट से गायब हो जाए।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट कि मानें तो पिछले लगभग 20 दिनों से नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने काम से दूरी बना रखी है। खबरों के मुताबिक अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए पिछले कुछ समय से वे किसी से संपर्क भी नहीं साध रहे हैं। दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू आजकल अपनी पत्नी को उनकी मनपसंद लोकसभा सीट से टिकट ना दिये जाने से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। नवजोत कौर अपने लिए चंडीगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट मांग रही थी लेकिन इस सीट से एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन बंसल को टिकट दे दिया गया। इससे पहले यह भी अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से टिकट दिया जा सकता है लेकिन वहां से भी कांग्रेस से एक अन्य मौजूदा विधायक गुरजीत सिंह औजला को टिकट दे दिया गया। यह कांग्रेस पार्टी में सिद्धू परिवार की गिरती साख को दर्शाता है। हालांकि, इसका विरोध करने के लिए सिद्धू ने जो तरीका अपनाया है वह किसी के गले नहीं उतर सकता। एक सार्वजनिक पद पर रहते हुए उनका अपने काम से दूरी बनाना मेहनती करदाताओं के पैसों की बर्बादी नहीं तो और क्या है?

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में अमृतसर से अरुण जेटली को टिकट मिलने के बाद सिद्धू ने भाजपा छोड़ दी थी। बाद में पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले वे कांग्रेस में शामिल हो गए और एमएलए का चुनाव जीतकर पंजाब सरकार में मंत्री भी बन गए। लेकिन अब वे मोगा में हुई एक बड़ी कांग्रेस रैली में उन्हें ना बुलाए जाने के कारण वे गहरे सदमे में हैं। सूत्रों के मुताबिक उनका नाम छत्तीसगढ़ राज्य के स्टार प्रचारकों की सूची में ना होंने से भी वे पार्टी से नाराज चल रहे हैं।

यहां इस बात का ज़िक्र करना भी जरूरी है कि नवजोत सिंह सिद्धू की पिछले कुछ महीनों से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भी जम नहीं रही है। यह बात तब खुलकर सामने आई जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान से बढ़ती उनकी नज़दीकियों पर उनकी आलोचना की थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ-ग्रहण समारोह में जब उन्होंने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बाजवा को अपने गले लगाया था, तो भी सिंह ने उनकी आलोचना करते हुए कहा था ‘मुझे ये पसंद नहीं, नवजोत सिंह सिद्धू को यह समझना चाहिए कि हमारे सैनिक बार्डर पर शहीद हो रहे हैं’। हालांकि इसके बाद भी सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम कुछ कम नहीं हुआ। पुलवामा आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के बालकोट में एयर स्ट्राइक करने का काम किया था तो भी सिद्धू ने पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए कहा था कि भारतीय वायुसेना ने वहां आतंकियों को मारा या सिर्फ पेड़ उखाड़े?

यह साफ है कि नवजोत सिंह सिद्धू के पास कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़ होने के कई कारण हैं। उनका पिछले कुछ दिनों से किसी के संपर्क में नहीं रहना यह दिखाता है कि उनका कांग्रेस नेतृत्व से अब पूरी तरह मोह भंग हो चुका है। उनके व्यक्तित्व के उलट बड़े ही नाटकीय और शांत तरीके से उनकी छवि का एकाएक पतन हुआ है।

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