तुष्टिकरण की राजनीति: कांग्रेस के सहयोगी उपेंद्र कुशवाह ने दिया माता सीता के बारे में बेहद शर्मनाक बयान

उपेंद्र कुशवाह कांग्रेस

PC : NDTV Khabar

लोकसभा चुनाव की गरमा गरमी में एक दूसरे पर पार्टियों के तीखे वार तो लाज़मी है, लेकिन धर्म को या देवी देवताओं को अपनी निम्न स्तर की राजनीति का हिस्सा बनाना भला कहाँ तक जायज़ है? लेकिन, हमारे नेताओं के लिए तो जैसे ये मामूली बात बन गई है।दरअसल, रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपने भाषण में माता सीता का अपमान कर डाला। उपेंद्र बिहार के दरभंगा में एक चुनावी भाषण दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी को घेरने के लिए माता सीता का ही अपमान कर डाला। बीजेपी पर वार करने के लिए कुशवाहा ने देवी सीता के नाम का इस्तेमाल किया। हर चुनाव में नेता जनता की समस्याओं को भूलकर विपक्षी दलों पर टीका टिप्पणियाँ करने लगते है जिसमें वो ये भी भूल जाते है कि बातों की भी कोई सीमा होती है। इसी का एक बड़ा उदाहरण कांग्रेस के सहयोगी उपेंद्र कुशवाह का ये बयान है।

कांग्रेस के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने अपने भाषण में कहा, “हम तो एनडीए में रहकर आए हैं। हम तो बेहद नजदीक से देखकर आए हैं। ये अंदर से अलग हैं, बाहर से अलग हैं।‘ कुशवाह ने आगे कहा, ‘रामलीला में तो इधर के लोगों का ज्यादा अनुभव है। रामलीला आप लोगों ने देखी है न?  रामलीला जब होती है तो मंच सजता है,  सभी पात्र होते हैं। जब पर्दा उठता है तो कलाकार आते हैं। उन्हीं में एक व्यक्ति मां सीता का रूप धारण करके आता है। जब माताएं-बहनें उसे देखती हैं तो सिर झुका लेती हैं। इतना सम्मान होता है मन में देवी के रूप के लिए। पर्दे के सामने वो मां सीता होती है लेकिन पर्दे के पीछे जाकर देख लीजिए तो वही सीताजी सिगरेट पीती रहती है।‘

आपको बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा दरभंगा में महागठबंधन प्रत्याशी ‘अब्दुल बारी सिद्दीकी’ का प्रचार करने पहुंचे थे, जिनकी खुद की छवि भी एक विवादित नेता की रही है। सिद्दीकी भी अपने बयानों से अक्सर ही गंदी राजनीति की भट्टी में घी डालने का काम करते रहे हैं। अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि ‘भारत माता की जय बोलने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वन्दे मातरम वो नही बोलेंगें।‘

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ऐसा पहली बार नही है जब नेताओं ने अपना वोट बैंक भरने के लिए ऐसे विवादित बयान दिये हों । इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को भी कितनी ही बार ऐसी ही निम्न स्तर की राजनीति करते देखा जा चुका है। तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए ममता ने भी ऐसे हथकंडे कई बार अपनाए हैं। यहाँ तक की दीदी ने तो दूसरे देशों से लोगों को बुला कर चुनाव प्रचार भी करा लिया।

ममता की ही तरह बसपा सुप्रीमो मायावती भी कुछ दिन पहले धर्म के नाम पर राजनीति करती नज़र आईं थीं। उन्होंने एक चुनावी रैली के दौरान मुस्लिम शब्द का बार बार इस्तेमाल किया था। ये सभी नेता चुनावी लहर मे इतने खो जाते है कि अपने शब्दों पर काबू नही रख पाते और साथ ही चुनाव में जीत हासिल करने के लिए किसी भी स्तर तक चले जाते हैं। कुछ ऐसा ही अब कांग्रेस के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने भी किया है।

अपनी पार्टी के प्रत्याशी का सपोर्ट करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने धर्म के नाम पर वोट बटोरनें की कोशिश की। कुशवाहा बीजेपी पर निशाना साध रहे थे लेकिन निशाना साधने के नाम पर देवी देवताओं की छवि को इस्तेमाल करना कहाँ तक जायज़ है ? उपेंद्र कुशवाहा का ये बयान यकीनन ही हैरान करने वाला था। माना कि वो अपनी पार्टी का चुनाव में सपोर्ट करना चाहते हैं लेकिन किसी धर्म और आस्था पर कोई भी टिप्पणी करने से पहले सोच लेना ज़रूरी है।

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