दिल्ली में लोकसभा ही नहीं बल्कि विधानसभा में भी केजरीवाल की हालत पतली, बीजेपी को सीधा फायदा

दिल्ली केजरीवाल

PC : dainikduniya

जब जहाज के डूबने का अंदेशा हो तो उसमें से निकलने में ही फायदा होता है। ऐसा ही कुछ राजनीति में भी है। चुनावी समय में अगर किसी राजनीतिक पार्टी से सामान्य से ज्यादा संख्या में नेता पार्टी छोड़ रहे हों तो समझ जाना चाहिए कि उस पार्टी का भविष्य खतरे में है। वहीं अगर किसी एक पार्टी विशेष से सबसे ज्यादा नेता जुड़ने की कोशिश कर रहे हों तो वह यह दिखाता है कि, वह पार्टी मैदान में सब पर भारी है। कुछ ऐसे ही अनुमान वर्तमान समय में राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा भारतीय जनता पार्टी के लिए लगाए जा रहे हैं। दरअसल, जिस तरह से दिल्ली में एक ही सप्ताह में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है उससे स्पष्ट है कि, दिल्ली के आने वाले चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है चाहे आम चुनाव हों या विधानसभा चुनाव।

बता दें कि, एक तरफ तो केजरीवाल आम चुनावों की तैयारियों में जुटे थे और दूसरी तरफ आप के 2 विधायकों ने केजरीवाल को झटका दे दिया। दिल्ली के बिजवासन से आप के विधायक देवेंद्र सहरावत कल यानी सोमवार को बीजेपी में शामिल हो गए हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और बीजेपी विधायक विजेंदर गुप्ता ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई है। इस तरह सहरावत दूसरे विधायक बन गए हैं जिन्होंने एक सप्ताह के भीतर आप का साथ छोड़ा है। इससे पहले 3 मई को गांधीनगर से आप विधायक अनिल बाजपेयी बीजेपी में शामिल हो गए थे। गौरतलब है कि, बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि, आम आदमी पार्टी के सात विधायक उनके संपर्क में हैं। इससे लगता है कि, आने वाले दिनों में और भी आम आदमी पार्टी के विधायक बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

वहीं अपने विधायक खिसकते देख अरविंद केजरीवाल बौखला गए। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राफेल की दलाली का सारा पैसा विधायक खरीदने में लगा रहे हैं। अब बीजेपी नेता ही बताएं कि कितने विधायक खरीद रहे हैं? अब केजरीवाल को कौन बताए कि राफेल घोटाला हुआ ही नहीं था। राहुल गांधी खुद पीएम मोदी को इस मामले में चौकीदार चोर है कहने पर सुप्रीम कोर्ट की डांट सुन चुके हैं। दरअसल, केजरीवाल अब भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनकी राजनीतिक जमीन खिसक रही है। आने वाले दिल्ली के विधानसभा चुनावों में इसका परिणाम भी दिखना निश्चित है।

आप से विधायकों के खिसकने का एक कारण और भी है। बीजेपी ज्वाइन करते समय बाजपेयी ने इसका जिक्र भी किया। बाजपेयी ने आरोप लगाया कि, अरविंद केजरीवाल अपशब्द कह कर विधायकों को अपमानित करते हैं। अनिल बाजपेयी का ये भी आरोप है कि आम आदमी पार्टी के किसी भी आदेश पर बगैर पढ़ाये विधायकों से हस्ताक्षर ले लिये जाते हैं। अनिल ने कहा कि, केजरीवाल की हिटलरशाली के कारण कई और भी विधायक आम आदमी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं। वहीं आप विधायक कपिल मिश्रा भी काफी समय से बागी बने हुए हैं। वे पार्टी में रहते हुए ही बीजेपी का नारा बुलंद करते रहते हैं। कपिल मिश्रा कुमार विश्वास खेमे के माने जाते हैं जो अरविंद केजरीवाल पर हमले का कोई भी मौका नहीं गंवाते।

वहीं एक थ्योरी यह भी है कि, राज्यों के चुनावों में जब भी किसी पार्टी विशेष के नेता अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में पलायन करते हैं तो, दूसरी पार्टी ही चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही हुआ था। वहां विधानसभा चुनावों से पहले भारी संख्या में कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हुए थे। जिसके बाद चुनावी नतीजों में बीजेपी वहां सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वो अलग बात है कि, बीजेपी वहां सरकार नहीं बना पायी और कांग्रेस ने जोड़-तोड़ की सरकार बना ली। कुछ ऐसा ही उदाहरण गुजरात का भी है।

वहीं हाल ही में पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ’23 मई को लोकसभा चुनावों के नतीजे के बाद हर जगह बीजेपी ही नजर आएगी।’ प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को साधारण समझने की भूल राजनीतिक विश्लेषणों को कतई नहीं करनी चाहिए। पीएम का यह बयान अपने अंदर एक बड़ी राजनीतिक गणना लिये हुए है। दरअसल, राजनीति के जानकारों के अनुसार, अगर 2019 के लोकसभा चुनावों में एनडीए को बहुमत मिलता है, तो देश में राजनीतिक समीकरण काफी बदल जाएंगे और उस स्थिति का असर राज्यों की सियासत पर पड़ेगा। दरअसल, देश में क्षेत्रीय पार्टीयां लगातार अपना जनाधार खो रही हैं और उन पार्टियों के नेता एक मजबूत पार्टी में अपना राजनीतिक करियर बनाना चाहते हैं और वह मजबूत पार्टी इस समय देश में भाजपा ही है।

पश्चिम बंगाल की इस रैली में पीएम ने कहा था, ‘दीदी! आपके तमाम विधायक आपका साथ छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लेंगे। आज भी आपके 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं।’ स्पष्ट है कि, बंगाल में आने वाले समय में लोकसभा चुनावों में ही नहीं बल्कि विधानसभा में भी बीजेपी बड़ा पलटफेर कर सकती है। बता दें कि, लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी की नजर दिल्ली, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में अपने पांव जमाने की है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। बाकी यह तो तय है कि, दिल्ली में आम चुनावों में ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनावों से भी केजरीवाल की पार्टी हाथ धोती दिख रही है।

Exit mobile version