‘यह अस्पताल राहुल गांधी का है और यहां आयुष्मान कार्ड मान्य नहीं है’, मरीज की मौत

कांग्रेस आयुष्मान कार्ड

PC: Amar Ujala

देश के गरीबों को अपने पॉलिटिकल टूल के तौर पर इस्तेमाल करने वाली कांग्रेस पार्टी का असंवेदनशील चेहरा एक बार फिर सबके सामने आया है। अमेठी के संजय गांधी अस्पताल ने एक मरीज़ का सिर्फ इसलिए इलाज़ करने से मना कर दिया क्योंकि उसके पास ‘मोदी का आयुष्मान कार्ड’ था, जिसके बाद उस मरीज़ की मौत हो गई। इस संबंध में अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने अपने ट्विटर पेज पर एक वीडियो भी पोस्ट की है जिसमें मृतक के परिजन अपनी आप-बीती सुना रहे हैं। परिजनों के मुताबिक डॉक्टर्स ने उनको यह कहकर भगा दिया कि वह अस्पताल राहुल गांधी का है और यहां आयुष्मान कार्ड मान्य नहीं है। आपको बता दें कि गांधी परिवार इस अस्पताल का ट्रस्टी है।

इस वीडियो को पोस्ट करते हुए स्मृति ईरानी ने लिखा ‘आज मैं निशब्द हूं – कोई इतना गिर सकता है यह कभी नहीं सोचा था। एक ग़रीब को सिर्फ़ इसलिए मरने दिया गया क्योंकि उसके पास मोदी का आयुष्मान कार्ड था पर अस्पताल राहुल गांधी का था।

स्मृति ईरानी के बाद पीएम मोदी ने भी इसको लेकर कांग्रेस और संजय गांधी अस्पताल पर सवाल उठाए। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा ‘कांग्रेस शुरू से ही गरीबों के प्रति असंवेदनशील रही है। गांधी परिवार जिस अस्पताल का ट्रस्टी है, उस अस्पताल ने एक गरीब का इलाज़ इसलिए नहीं किया, क्योंकि उसके पास आयुष्मान कार्ड था। उस व्यक्ति को यह कहा गया कि यह मोदी का अस्पताल नहीं है जो उसे यहां इलाज़ मिलेगा’।

हालांकि, पोल खुलने के बाद अब संजय गांधी अस्पताल ने इस पर सफाई दी है। अस्पताल ने कहा है कि मृतक मरीज़ के पास कोई आयुष्मान कार्ड नहीं था, हालांकि इसके उलट स्मृति ईरानी द्वारा पोस्ट की गई वीडियो में परिजन यह साफ कहते सुनाई दे रहे हैं कि जब वह अस्पताल गए तो उनके पास आयुष्मान कार्ड था। यानि यह साफ हो गया कि इन दोनों में से कोई एक है जो झूठ बोल रहा है। हालांकि, यहां कांग्रेस संदेह के घेरे में इसलिए भी है क्योंकि वह पहले ही छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आयुष्मान योजना को लेकर अपना निराशाजनक रुख दिखा चुकी है। इसके अलावा इन लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जारी किए अपने घोषणापत्र में भी वह आयुष्मान योजना की बजाय एक अन्य ‘राइट टू हेल्थ’ योजना को लाने की बात कह चुकी है।

कांग्रेस गरीबों को शुरू से ही अपने राजनीतिक ‘संपत्ति’ के तौर पर इस्तेमाल करती आई है। कांग्रेस ने इन्दिरा गांधी के नेतृत्व में वर्ष 1971 में ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था, हालांकि उसके लगभग 50 सालों के बाद भी देश से यह अभिशाप दूर नहीं हो पाया है। इन 50 सालों में देश में अधिकतर कांग्रेस की सरकारें ही रही हैं। हालांकि अब जब मोदी सरकार पिछले कुछ वर्षों से अपनी बेहतर योजनाओं के चलते इन गरीबों को राहत पहुंचाने की कोशिश कर रही है, तो कांग्रेस उससे पीड़ित नज़र आती है। देश में गरीबों के खत्म होने से गरीबों पर की जाने वाली राजनीति भी खत्म हो जाएगी, और आज यही कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता है।

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