एनडीए को 353 सीटों के मिलने के साथ ही यह तय हो गया कि पीएम मोदी ही देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे। 30 मई को शाम 7 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द राष्ट्रपति भवन में उन्हें शपथ दिलाएंगे। प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए भारत ने बिम्सटेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आधिकारिक न्यौता भेजा है। आपको बता दें कि बिम्सटेक सात दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह है जो समुद्री व्यापार के लिए बंगाल की खाड़ी पर निर्भर रहते हैं। माना जा रहा है कि भारत ने इन देशों को न्यौता देकर अपने पड़ोसियों के हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है।
बिम्सटेक समूह में भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। इन देशों के अलावा भारत ने किर्गिज़स्तान और मॉरीशस के राष्ट्राध्यक्षों को भी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया है। साफ है कि भारत ने इस कार्यक्रम के माध्यम से अपनी कूटनीति साधने का अच्छा मौका ढूंढा है।किर्गिज़स्तान इस वक्त ‘शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन’ का अध्यक्ष है, जिसको न्योता देकर भारत ने तमाम SCO समूह के देशों को एक संदेश देने की कोशिश की है। वहीं दूसरी तरफ मॉरिशस को न्योता देकर भारत ने विश्वभर में फैले भारतीय समुदाय को लुभाने की कोशिश की है, क्योंकि मॉरिशस की आधी से ज़्यादा आबादी हिन्दू धर्म का अनुसरण करती है और इस देश का भारत से काफी पुराना नाता रहा है।
यहां आपके लिए यह जानना जरूरी है कि साल 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी ने सार्क समूह के देशों को आमंत्रित किया था जिसमें दक्षिण एशिया के कुल 8 देश शामिल हैं। पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और मालदीव जैसे देश भी शामिल है। यही कारण है कि साल 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, लेकिन अब की बार भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को कोई न्यौता नहीं भेजा है। हालांकि, पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और पीएम मोदी के बीच फोन पर बात जरूर हुई जिसमें दोनों नेताओं से साथ मिलकर दक्षिण एशिया क्षेत्र के विकास का संकल्प लिया था।
लेकिन सार्क को परे रख अब की बार भारत ने बिम्सटेक देशों को प्राथमिकता दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्यटन, जलवायु परिवर्तन, तकनीक से लेकर कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बिम्सटेक (BIMSTEC) समूह के देशों ने एक दूसरे का सहयोग करने का संकल्प लिया है जिसका भारत को सबसे ज़्यादा फायदा हो रहा है। आर्थिक और सुरक्षा के लिहाज़ से भी भारत इन देशों में अपना प्रभत्व बढ़ाने की कोशिश में है।
भारत ने पिछले काफी समय से दक्षिण एशिया में आपसी तालमेल को बढ़ाने के लिए सार्क को छोड़कर बिम्सटेक समूह को प्राथमिकता दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि सार्क का सदस्य होने के नाते पाकिस्तान का रुख काफी निराशनजाक रहा था और उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से बातचीत भी रद्द कर दी थी। पाकिस्तान के इस रवैये के कारण सार्क समूह की कार्यप्रणाली पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था जिसके बाद भारत ने बिम्सटेक को प्राथमिकता दी। अब भारत द्वारा इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाना इसी दिशा में एक अहम कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।