बलूचिस्तान में पाकिस्तान के लिए समय के साथ मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। बलूच प्रांत के ग्वादर शहर में पांच सितारा पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल पर तीन बंदूकधारियों ने हमला कर दिया जिसमें चार लोग और तीन सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इनका मकसद सीपीईसी (चीन पाक इकॉनमिक कॉरिडोर) गलियारों के शीर्ष अधिकारियों और होटल में रहने वाले अन्य बड़े व्यापारी और राजनीतिक अधिकारियों के बीच भय पैदा करना था। इस क्षेत्र में बीएलए चीन के नागरिकों और उसकी परियोजना से जुड़े लोगों को निशाना बना चुका है।
ग्वादर, चीन और पाकिस्तान के बीच इकॉनोमिक कॉरिडोर का मुख्य केंद्र है। बीएलए को बलूचिस्तान में चीन का बढ़ता प्रभाव बिलकुल रास नहीं आ रहा है। पिछले साल नवम्बर में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने कराची में चीनी दूतावास पर हमला किया था। उस वक्त भी बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि “बलोच जमीन पर चीनी सेना के विस्तारवादी प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा।“ बता दें कि सीपीईसी का सबसे अहम भाग ग्वादर बंदरगाह है। बलूच के लोगों का मानना है कि चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करता है जिससे वो आने वाले समय में वो प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों की प्रचुरता वाली अपनी जमीन खो देंगे और ऐसा जारी रहा तो वो दिन भी दूर नहीं होगा जब बाहरी लोगों के कारण उनकी अपनी पहचान कहीं दब जाएगी। ये परियोजना बलूच समुदाय की तबाही का कारण बन सकता है। बलूच के लोगों का ये भी कहना है कि उन्हें लगा था कि चीन के इतने बड़े निवेश के बाद उन्हें रोजगार मिलेगा लेकिन इसका फायदा भी चीन के लोगों को ही मिल रहा है। यही नहीं गलियारे के लिए जमीनों के अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर भी वहां की जनता में नाराजगी है। यही वजह है कि वहां पाकिस्तान और चीन दोनों के खिलाफ आवाज उठती रही है।
जिस तरह से चीन परियोजना के नाम पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को इस्तेमाल करने के लिए प्रयासरत है उससे वहां की जनता को लगता है कि चीन की सीपीईसी परियोजना की आने वाले समय में बलूच समुदाय के लिए तबाही जैसा होगा। यही वजह है कि वहां पाकिस्तान और चीन दोनों के खिलाफ आवाज उठती रही है। बीएलए के वरिष्ठ कमांडर असलम बलोच ने एक वीडियो इंटरव्यू में कहा भी था, ‘चीन और पाकिस्तान दोनों ही परियोजनाओं के नाम पर बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे हैं, ये दोनों बलूचिस्तान में बलूचों की ही पहचान खत्म करना चाहते हैं। हमें अपनी संप्रुभता की रक्षा के लिए चीनी निवेश का जमकर विरोध करना है। हम यह लड़ाई जारी रखेंगे।’
बलूची राष्ट्रवादी ने अब चीन और पाकिस्तान के उपनिवेश के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। दरअसल यहां के लोग अपने जायज अधिकारों के लिए ही लड़ रहे हैं। बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से मालामाल है, बलूचिस्तान में यूरेनियम, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, तांबा और कई अन्य धातुओं के भंडार हैं और पाकिस्तान की कुल प्राकृतिक गैस का एक तिहाई हिस्सा भी यहीं से निकलता है। बलूचका अधिकांश इलाका पाकिस्तान में है जो कि पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44% है। इसी इलाके में अधिकांश बलूच आबादी रहती है, जो पाकिस्तान की कुल आबादी का महज 5% के आसपास है। यह सबसे गरीब और उपेक्षित इलाका भी है। कई इलाकों के लोगों का आज भी बाहरी दुनिया से सम्पर्क नहीं हैं। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह हिस्सा सबसे ज्यादा पिछड़ा है। सीपीईसी के नाम पर भी इस प्रांत को ठगा गया है जिससे यहाँ के लोगों में गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी बलूच अलगाववादी समूह के रूप में ही जाना जाता है जो पाकिस्तान से मुक्ति पाने की आग में बना था। बलूचिस्तान कि समस्या पाकिस्तान के लिए अब बड़ी समस्या बनता जा रहा है। पाकिस्तान में बलूचिस्तान कि समस्या का समाधान लोकतंत्र के प्रश्न से जुड़ा हुआ है।