पाकिस्तानी रूपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर

पाकिस्तानी रुपये पाकिस्तान

(PC: NewPictures93)

आर्थिक बदहाली की वजह से भीख मांग कर गुजर-बसर करने वाले पाकिस्तान की करेंसी पर भी आजकल संकट के गहरे-काले बादल मँडराते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, आईएमएफ़ ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर का कर्ज़ देने का ऐलान किया था, जिसकी एवज में पाकिस्तान पर आईएमएफ़ ने कड़ी शर्तें लगाई थीं। खबरों के मुताबिक आईएमएफ के साथ हुए इस समझौते के बाद मिले पैकेज से करेंसी मार्किट पर दबाव बढ़ा है। करेंसी में कारोबार करने वाले पाकिस्तानी ट्रेडर्स का कहना है कि अभी तक सरकार और आईएमएफ के बीच हुई डील की शर्तों का खुलासा नहीं हुआ है जिसके कारण सभी निवेशक और कारोबारियों की चिंताएं बढ़ी हुई है, इसीलिए वो तेज़ी से रुपया बेच रहे हैं। बाज़ार में तेज़ी से गिरती पाकिस्तानी रूपये के मांग का ही यह नतीजा है कि अब पाकिस्तानी रुपये की कीमत 148 प्रति डॉलर पर आ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी रुपये में यह जबर्दस्त गिरावट ऐतिहासिक है।  एक्सपर्ट्स की माने तो आने वाले दिनों में पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 150 पाकिस्तानी रुपये का आंकड़ा छू सकता है।

आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज़ देने के बदले कुछ अहम शर्तों को पूरा करने की बात कही थी। उनमें सबसे बड़ी शर्त पाकिस्तानी रुपए के डीवैल्यूएशन की ही थी। आपको बता दें कि पाक में चुनाव से पहले आई अंतरिम सरकार ने पाकिस्तानी रुपये का डीवैल्यूएशन 102 रुपये से 130 रुपये तक कर दिया था। अब इसके बाद पाकिस्तान में महंगाई पहले के मुक़ाबले काफी ज़्यादा बढ़ जाएगी और आने वाले दिनों में पाकिस्तानी जनता को भयंकर गरीबी और भुखमरी का सामना करना होगा।

नई शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान को बाज़ार द्वारा निर्धारित एक्सचेंज रेट के मुताबिक अपनी करेंसी का मूल्यांकन करना होगा। इसके कारण आने वाले समय में पाकिस्तानी करेंसी की और ज़्यादा डीवैल्यूएशन देखने को मिल सकती है। इसके साथ ही ब्याज़ दरों में भी इजाफा किया जा सकता है जिससे पाकिस्तान में लोन मिलना पहले से महंगा हो जाएगा। आईएमएफ  शर्तों के मुताबिक पाकिस्तान को अपनी कर नीति में भी बड़े बदलाव लाने होंगे जिसके बाद लोगों को मिलनी वाली सब्सिडी में भारी कटौती करनी पड़ेगी। पाकिस्तानी सरकार देश में टैक्स दरों में भी इजाफा कर सकती है जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तानी लोगों पर अब टैक्स की दोहरी मार पड़ने वाली है।

पिछले महीने ही पाक सरकार में वित्त मंत्री असद उमर को उनके पद से हटा दिया गया था। उन्होंने कहा था कि वे इस समय अपने लोगों पर इतना कष्ट डालने के समर्थन में नहीं है। इसके अलावा उन्होंने सरकारी उद्योगों के निजीकरण के खिलाफ भी अपनी आवाज़ उठाई थी। उनकी जगह अब अब्दुल हाफिज़ शेख को पाक का वित्त मंत्री बनाया गया है जो पहले आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं। माना जा रहा है कि आईएमएफ की शर्तों के अनुसार ही आईएमएफ से संबन्धित लोगों को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण वित्त संबंधी पदों पर नियुक्त किया गया है।

इन तथ्यों के आधार पर यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि थोड़े समय के लिए बेशक पाक को इस बेलआउट पैकेज से राहत मिल जाए, लेकिन असल में इसका पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव ही पड़ेगा। कुछ पाकिस्तानी राष्ट्रवादी लोग यह भी मानते हैं कि आईएमएफ के जरिये अमेरिका पाक की राजनीति में हस्तक्षेप कर सकता है। इमरान खान ‘तब्दीली’ लाने के नारे के साथ सत्ता में आए थे, हालांकि अब लगता है कि वे पाकिस्तान में ‘तबाही’ लाने का पूरा जुगाड़ कर चुके हैं।

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