नई सरकार के आने से पहले ही अमेरिका से आई भारत के लिए यह बड़ी खुशखबरी

PC : India Today

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने से पहले ही अमेरिका से भारत के लिए अच्छी खबर आई है। अमेरिका ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि बाज़ार में भारतीय रुपये के मूल्यांकन की विश्वसनीयता को लेकर अमेरिकी सरकार पूरी तरह आश्वस्त है। अमेरिका ने भारत के साथ-साथ स्विट्ज़रलैंड को भी इस सूची से बाहर कर दिया है। हालांकि, चीन और जापान जैसे देश अभी भी इस सूची में बरकरार रहेंगे। करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर आने की वजह से वैश्विक बाज़ार में भारत की साख और ज़्यादा मजबूत हो सकेगी।

आपको बता दें कि जिन देशों की फॉरेन एक्सचेंज पॉलिसी पर अमेरिका को संदेह होता है, अमेरिका उन देशों को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में शामिल करता है, जिसके बाद अमेरिकी प्रशासन फोरेक्स बाज़ार में उन देशों की गतिविधियों पर खास नज़र रखता है। इसके अलावा अगर कोई देश बड़े पैमाने पर करेंसी मैनीपुलेशन करता पाया जाता है तो अमेरिका अपने बाज़ार तक उस देश की कंपनियों की पहुंच को काफी हद तक सीमित कर देता है। अमेरिका के साथ व्यापार करने में जिन देशों का ट्रेड सरप्लस 20 बिलियन डॉलर से अधिक है और जिन देशों की सरकार लगातार अपने बाज़ार में हस्तक्षेप करती है, अमेरिका उन देशों को अपनी इस लिस्ट में शामिल करता है। अमेरिका द्वारा भारत को इस सूची से हटाये जाने के बाद दोनों देशों के बिगड़ते व्यापार संबन्धों में कुछ मधुरता देखने को मिल सकती है।

बता दें कि पिछले काफी समय से अमेरिका भारत पर ‘बेहद ज़्यादा आयात शुल्क’ लगाने का आरोप लगाता आया है। इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प तो भारत को ‘टैरिफ़ किंग’ घोषित कर चुके हैं। इसके साथ ही अमेरिका भारत को ‘जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस’ सूची से भी बाहर करने की बात कह चुका है। इस सूची में अमेरिका विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को शामिल करता है और उन देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर बेहद कम दरों पर आयात शुल्क लगाया जाता है। अमेरिका ने अब तक भारत को जीएसपी लिस्ट से बाहर तो नहीं किया है, लेकिन भविष्य में अगर वह ऐसा करता है तो उसे भारत की ओर से भी कड़े आयात शुल्कों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका अभी पहले से ही चीन के साथ व्यापार-युद्ध में उलझा हुआ है। ऐसे में अमेरिका बिल्कुल नहीं चाहेगा कि वह चीन के साथ-साथ दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ भी अपने व्यापारिक मतभेदों को हवा दे।

करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर आने की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका कोई खास असर तो नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत में नई सरकार आने के साथ ही अमेरिका ने स्पष्ट रूप से संकेत दे दिये हैं कि वह भारत के साथ मिलकर काम करने में इच्छुक है। राष्ट्रपति ट्रम्प पहले ही दक्षिण एशिया की समृद्धि के लिए पीएम मोदी के साथ काम करने की बात कह चुके हैं। भारत और अमेरिका रक्षा क्षेत्र में एक दूसरे के अहम रणनीतिक साझेदार तो पहले ही बन चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में हमें भारत और अमेरिका के संबन्धों में और ज़्यादा मित्रता देखने को मिल सकती है।  

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