झूठ का पुलिंदा है केजरीवाल और कुणाल कामरा का इंटरव्यू, मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए दिखाई 2013 की वीडियोज

केजरीवाल कुणाल कामरा

PC : Youtube

पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा फैलाने में माहिर और अपने आप को स्टैंडअप कॉमेडियन कहने वाले कुणाल कामरा ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इंटरव्यू लिया है। यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें कामरा ने जमकर प्रोपैगेंडा गेम खेला है। इंटरव्यू की शुरुआत ही प्रधानमंत्री मोदी के लिए अपशब्दों के प्रयोग के साथ की गई। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने एक के बाद एक झूठ बोले और इंटरव्यू लेने वाले कुणाल कामरा पूरे इंटरव्यू में बस उनकी हां में हां ही भरते रहे। यही नहीं, कुणाल ने इस वीडियो में कांग्रेस कार्यकाल की मॉब लिंचिंग की वीडियोज को मोदी सरकार के समय की वीडियोज बताकर चलाई।

कुणाल इस इंटरव्यू में केजरीवाल से सवाल कम पूछते दिखे और उनका पीआर करते ज्यादा दिखे। इंटरव्यू की शुरुआत में ही अरविंद ने पीएम मोदी के लिए ट्यूमर शब्द का प्रयोग किया और कुणाल ने सिवाय मुस्कुराने के उस पर केजरीवाल को कुछ नहीं कहा। इंटरव्यू में केजरीवाल ने पीएम मोदी को हिटलर जैसा तानाशाही बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

इस इंटरव्यू में केजरीवाल के कहा कि पीएम मोदी को मीडिया हर समय दिखाता रहता है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने अभी गंगा आरती की तो पूरी मीडिया ने दिखाया, मैं भी आरती करता हूं तो मुझे तो कोई नहीं दिखाता।’ इसी तरह की द्वेषपूर्ण बचकानी बातें वे इस इंटरव्यू में करते रहे।

इस इंटरव्यू में इतने झूठ थे कि, इसके पब्लिश होने के कुछ देर बाद ही लोगों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिये। अंकुर सिंह नाम के एक ट्वीटर यूजर ने तो कुणाल कामरा के इस इंटरव्यू की बखिया ही उधेड़ दी। अंकुर सिंह ने ट्वीटर पर यह प्रूव किया कि, कुणाल ने इस इंटरव्यू में मॉब लिंचिंग की जिन तीन वीडियो को मोदी सरकार के कार्यकाल की बताकर चलाया, वो यूपीए कार्यकाल की थी। कामरा ने इन वीडियोज को यह बताने के लिए डाला था कि, देखिए किस तरह पीएम मोदी के कार्यकाल में मॉब लिंचिंग की हिंसक घटनाए सामने आईं।

कामरा ने एक वीडियो के हवाले से यह भी बताने की कोशिश की थी कि, देखिए कैसे मोदी सरकार में गौ रक्षक हिंसक हो गए हैं और उन्हें सरकार का संरक्षण मिल रहा है। अंकुर ने कामरा के इस वीडियो की भी हवा निकाल दी। अंकूर ने प्रूव किया कि, यह वीडियो 2013 में ही अपलोड किया चा चुका था जिस समय मोदी सरकार थी ही नहीं।

कामरा ने एक और इसी तरह की वीडियो क्लिप इंटरव्यू में डाली जिसमें उन्होंने गौ रक्षकों को मोदी सरकार में अराजकता, तोड़फोड़ व आगजनी करते हुए दिखाया। अंकुर ने इसका भी भांडाफोड़ किया और सिद्द किया कि वह भी 2013 की ही वीडियो थी।

स्पष्ट है कि, केजरीवाल जैसे लोग प्रोपेगेंडा फैलाने वाले लेफ्ट-लिबरल प्लेटफॉर्म पर झूठ फैलाने की हरसंभव कोशिश में लगे हैं जिससे कि, चुनावों में जनता को बरगलाया जा सके। लेकिन, केजरीवाल और कुणाल कामरा जैसे लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि, जनता इतनी मूर्ख नहीं है। सोशल मीडिया के इस समय में वह सच और झूठ में फर्क कर सकती है।

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