आज देशभर में लोकसभा चुनावों के छठे चरण का मतदान जारी है। एक तरफ जहां सभी पार्टियां अपने विजयी होने के सपने देख रही है, तो वहीं अपने आप को वोट-कटवा पार्टी घोषित कर चुकी कांग्रेस के लिए देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से एक बुरी खबर आई है। हुआ यूं, कि कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की बदजुबानी से आहत होकर भदोही जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने साथी कार्यकर्ताओं के साथ शनिवार को पार्टी छोड़ दी। माना जा रहा है कि इन सभी कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रियंका गांधी की एक सार्वजनिक टिप्पणी से आहत होने की वजह से पार्टी का दामन छोड़कर अब महागठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने की बात कही है। इस घटना के सामने आने के बाद अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व क्षमता के साथ-साथ पार्टी में महिला कार्यकर्ताओं की इज्ज़त को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
दरअसल, भदोही जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने कुछ दिनों पहले प्रियंका गांधी से भदोही लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रमाकांत यादव की शिकायत की थी। नीलम मिश्रा ने यह आरोप लगाए थे कि रमाकांत यादव जिला कांग्रेस कमेटी से बिल्कुल भी तालमेल नहीं रख रहे हैं और उन्होंने रैली में पार्टी के कई जिला पदाधिकारियों को पास भी नहीं दिया। हालांकि, नीलम मिश्रा की इस शिकायत पर कोई कार्रवाई करने की बजाय प्रियंका गांधी वाड्रा ने उल्टा उनपर ही चिल्लाना शुरू कर दिया और सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ कड़े शब्दों का भी प्रयोग किया। उनका आरोप है कि प्रियंका ने भीड़ के सामने ही उनसे तेज आवाज में कहा कि अगर आप लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं तो करते रहिये। इस घटना के बाद अब नीलम मिश्रा ने अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ महागठबंधन के उम्मीदवार रंगनाथ मिश्रा का समर्थन करने के ऐलान किया है।
इस घटना के बाद अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में महिला कार्यकर्ताओं के सम्मान का मुद्दा उभरकर सामने आया है। पिछले महीने ही कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा उनके अपमान को लेकर पार्टी का हाथ छोडने का फैसला लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी ने उनके साथ बदसलूकी करने वाले कुछ गुंडों को प्राथमिकता दी, जबकि उनकी बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया गया। इसके अलावा पिछले वर्ष जब कांग्रेस आईटी सेल में काम करने वाली एक लड़की से एक युवक द्वारा छेड़खानी का मामला सामने आया था तो भी आईटी सेल की अध्यक्ष दिव्या स्पंदना ने उस युवक को बचाने के लिए एक पूरा अभियान छेड़ दिया था।
इसके अलावा यहां प्रियंका गांधी के नेतृत्व क्षमता पर भी कुछ गंभीर सवाल खड़े होते हैं। प्रियंका गांधी को कांग्रेस में लाने का एक बड़ा कारण पार्टी को मज़बूत नेतृत्व देना था, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके भाई राहुल की तरह ही उनका नेतृत्व पार्टी में किसी को रास नहीं आ रहा है। इसका नतीजा यह है कि पिछले कुछ समय से लगातार बड़े नेताओं द्वारा पार्टी से किनारा करने की वजह से कांग्रेस पार्टी की हालत पहले से काफी कमज़ोर हो चुकी है। देशभर के बड़े नेता पार्टी के आलाकमान से असंतुष्ट होकर पार्टी का ‘हाथ छोड़ रहें हैं जिससे एक तरफ तो पार्टी का जनाधार कमज़ोर हुआ है वहीं दूसरी ओर प्रचार अभियान को भी गहरा झटका पहुंचा है। अब जिस पार्टी से उनके खुद के कार्यकर्ता ही खुश ना हो, उससे आम जनता भला कैसे खुश रह सकती है? देश पहले ही कांग्रेस राज के 60 सालों में भारत की दुर्दशा देख चुका है। ऐसी घटनाओं से देश का मूड बखूबी भांपा जा सकता है।