लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन भी भारतीय जनता पार्टी के प्रचार में तेजी दिखाई दी। इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवर को दो जगह जनसभाएं की और कांग्रेस ध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना भी साधा। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के 70 साल के शासनकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि आम जनता सोचती रहे कि कोई ऐसा आये जो अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए आये और पीएम मोदी ऐसे ही नेता है।
अपनी जनसभा में अमित शाह ने कहा, अमित शाह ने कहा कि, ‘20 साल से मैंने नरेंद्र मोदी को छुट्टी लेते नहीं देखा। 24 में से 18 घंए वो काम-काम और सिर्फ काम करके देश को आगे ले जाना चाहते हैं। दूसरी ओर राहुल बाबा हैं जो थोड़ी गर्मी होते ही विदेश में चले जाते हैं। युवा हैं, अकेले हैं जाएं लेकिन वो जाते ऐसे हैं कि उनकी मां भी ढूंढती रहती है कि बिटुआ कहां गया।’ अमित शाह के इस बयान को सुनने के बाद मुझे राहुल गांधी की वो छुट्टियाँ याद आयीं जो वो अक्सर लिया करते हैं। मेरा मतलब है कि अचानक से वो बिना किसी को बताये विदेशी दौरे पर निकल पड़ते हैं और कई दिनों तक गायब रहते हैं। हालांकि, मैंने जब गांधी परिवार के वेकेशन की टाइमिंग और जगह को देखा तो मेरे मन में कई सवाल उठे। और मुझे हैरानी हुई कि देश में दशकों तक शासन करने वाली पार्टी के लिए परिवार और रिश्तेदार और करीबी देश से भी ऊपर है वो देश की सत्ता में रहते हुए देश के युद्धपोत का इस्तेमाल भी अपने निजी हित के लिए कई बार किया है। हैरानी तो तब हुई जब ये पाया कि भारत-पाक युद्ध के समय किस तरह से गांधी परिवार छुट्टियां मनाने देश से बाहर चला गया था। तो चलिए हम थोड़ा पीछे जाते हैं और जानने की कोशिश करते हैं अमित शाह के बयान में कितनी गहराई है।
साल 1950 के जून के महीने से जुड़ी दो तीन तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर मैंने देखी। ये तस्वीर इंडोनेशिया यात्रा पर गये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की थी जहां वो सपरिवार युद्धपोत में आराम करते नजर आये थे। इस दौरान उनके साथ उनकी बेटी इंदिरा, उनके पोते राजीव गांधी और संजय गांधी साथ थे। इसकी तसवीरें भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। यही नहीं 50 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अपनी यूरोपियन महिला मित्रों को ले जाने के लिए एयरफोर्स के जेट विमान का इस्तेमाल करते थे। एमओ मथाई ने अपनी किताब “रेमिनिसेंसेस ऑफ द नेहरू एज” में भी इसका जिक्र मिलता है। इस किताब में एक चैप्टर है जिसका शीर्षक है- ‘यूज ऑफ एयर फोर्स एयरक्राफ्ट बाई द प्राइम मिनिस्टर’। इसमें बताया गया है कि जब उस समय तत्कालीन रक्षा सचिव जेडी कपाडिया ने नेहरू को एयरफोर्स का प्लेन देने से मना कर दिया तो उनका तबादला कर दिया गया था। इसके बाद अगले रक्षा सचिव ने नेहरू अपनी यूरोपियन महिला मित्र को एयरफोर्स के जेट विमान इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी थी।
इसके बाद साल 1971का वो समय जब भारत-पाक युद्ध के बीच यूद्ध जैसे हालात थे तब राजीव गांधी देश सेवा करने के बजाय छुट्टी लेकर सपरिवार इटली चले गए थे। उस समय भारत सरकार ने सभी पायलटों की छुट्टियां रद्द कर दी थीं सिर्फ एक पायलट को छुट्टी रद्द नहीं की गई थी और वह पायलट कांग्रेस के युवराज और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सुपुत्र राजीव गांधी थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजीव गांधी, सोनिया गांधी अपने बच्चों प्रियंका और राहुल के साथ देश छोड़कर इटली चले गए थे और जब मामला जब शांत हुआ था तब वो वापस लौटे थे। ऐसे में ये सवाल उठाना लाजमी है कि उस समय उन्हें किस बात का डर था? अब राजीव गांधी तो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन सोनिया गांधी तो इस सवाल का जवाब दे सकती है न? दिन रात देश सेवा और त्याग का राग अलापने वाले क्या ये बता सकते हैं कि जब 1971 के युद्ध के समय जब देश के सभी पायलटों की छुट्टियां रद्द की गई थीं, तब राजीव गांधी को छुट्टी कैसे और क्यों मिली? तब उनमें देशभक्ति का ज्वार क्यों नहीं उठा था। हम उनके देशभक्ति की भावना पर सवाल नहीं कर रहे लेकिन उस समय जो हुआ उसका जवाब तो आम जनता के सामने आना चाहिए न आखिर उस समय राजीव गांधी अपने कर्तव्य से क्यों पीछे हटे थे?
हाला ही में जब पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए करीब 10 दिन तक नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विराट को टैक्सी की तरह इस्तेमाल किया गयाथा तो सोशल मीडिया पर इस खबर की सच्चाई जानने की होड़ लग गयी। जब हमने थोडा google सर्च किया तो सच भी सामने आ गया। वास्तव में 30 दिसंबर, 1987 को राजीव गांधी अपने रिश्तेदारों के साथ लक्षद्वीप के खूबसूरत और निर्जन द्वीप बंगाराम पिकनिक मनाने गये थे। इस दौरान राजीव गांधी के ससुराल वाले भी उनके साथ थे। यही वो वक्त था जब गांधी परिवार को ले जाने के लिए आईएनएस विराट का इस्तेमाल हुआ था। इसकी जानकारी हमें 30 साल पुरानी न्यूज़ रिपोर्ट्स में भी मिले हैं। हालाँकि, नौसेना के शीर्ष पूर्व अधिकारी एडमिरल रामदास ने इन खबरों को झूठ बताया लेकिन उस समय के अख़बार भी झूठ बोल रहे इसपर उनकी क्या प्रतिक्रिया है?
अपने पिताजी की तरह ही राहुल गांधी को विदेश घुमने और छूट्टियाँ मनाने का बहुत शौक है और वो इसके लिए न समय देखते हैं और न ही देश की जरूरत समझते हैं बस बिना बताये निकल जाते हैं। साल 2012 में राहुल गांधी नए साल की छुट्टियां मनाने फ्रांस गए थे जिसमें से एक फोटो में वो एक युवती के साथ दिखाई दिए थे और ये फोटो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में भी रही थी। हालांकि, बाद में ये दावा गलत साबित हुआ था कि वो राहुल गांधी की पत्नी है। इसके बाद जब कांग्रेस के शासनकाल में उत्तराखंड बाढ़ से जूझ रहा था तब जून 2013 में भी राहुल गांधी विदेश में छुट्टी मना रहे थे।
इसके अलावा राहुल गांधी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले गुप्त स्थान पर छुट्टियां मनाने गये थे जिसका पता किसी को भी नहीं उस समय सोशल मीडिया पर उनके गायब होने को लेकर काफी चर्चा थी। यही नहीं उनके गैर मौजूदगी को लेकर सवाल संसद तक में उठा तो कांग्रेस को बचाव में उतरना पड़ा था। लेकिन जब वो वापस आये तो किसी ने भी स्पष्ट नहीं किया कि आखिर वो गये कहां थे और क्यों गये थे।
इसके बाद साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी फ्रांस चले गये थे। वह अचानक देश से बाहर चले गए थे जिसकी चर्चा खूब हुई थी कि आखिर वो अचानक कैसे कहां गायब हुए और जब 57 दिनों बाद दिल्ली लौटे तो पता चला कि वह बैंकाक, म्यामांर घूमने गए थे। जब बिहार विधानसभा चुनाव पास था तब वो विदेश में बैठकर छुट्टियों का आनंद उठा रहे थे।
वहीँ जब दिसंबर 2016 में नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस मुखर थी तब भी राहुल गांधी विदेश चले गये थे इससे उनकी गैरमौजूदगी में विरोध की धार भी पार्टी के लिए कुछ कमाल नहीं कर पाई थी। एक तरफ उनकी पार्टी इस मुद्दे पर खूब झला रही थी वहीं, पार्टी के हाई कमान विदेश की यात्रा पर थे। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच राहुल गांधी अपनी खाट सभाओं को छोड़कर नए साल की छुट्टियां मनाने लंदन निकल गये थे। जब देश में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थीं उस समय में भी राहुल गांधी को पार्टी पर ध्यान देने से ज्यादा घुमने में व्यस्त थे। हद तो तब हो गयी जब पिछले साल केरल बाढ़ से जूझ रहा था तब राहुल गांधी ब्रिटेन और जर्मनी की यात्रा पर निकल गये थे।
ये सभी घटनाक्रम दिखाते हैं कि जब गांधी परिवार को देश में रहकर देश के साथ खड़ा हिना चाहिए ये परिवार छुट्टियों मनाने निकल जाता था और राहुल गांधी भी यही करते हैं।