राहुल गांधी का इंडिया टुडे के साथ इंटरव्यू कहीं अर्नब-राहुल संवाद 2.0 तो नहीं ?

राहुल गांधी इंडिया टुडे

PC: India Today

2014 में जो चुनाव हुए थे वो बस एक चुनाव मात्र नहीं था, वो एक महासमर था। एक ओर थी योग्यता और दूसरी ओर वंशवाद, और जो हुआ वो ना सिर्फ अप्रत्याशित था बल्कि ऐतिहासिक भी। लेकिन इस चुनाव से पहले एक कांड हुआ था जिसे हम अर्नब-राहुल संवाद कह सकते हैं। ये भारतीय पत्रकारिता के उन साक्षात्कारों मे से एक है जिसमें एक आदमी की बेवकूफी, उसकी तर्कहीनता और सबसे बढ़कर उसके मानसिक दायरे का छोटापन सबके सामने उभर कर आया था। आज उस साक्षात्कार के पूरे पांच साल बीत चुके हैं लेकिन ऐसा लगता है की कांग्रेस के युवराज श्री श्री 1008 राफाल गांधी जी अभी तक सदमे से उबर नहीं पायें है।

अब आज की बात करते हैं और जो बताने जा रहे हैं वो पूरी तरह से सोशल मीडिया पर चल रहे कयासों और साथ ही साथ कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है।

तो हुआ कुछ यूं कि चुनावी अभियान में जी जान से जुटे राहुल गांधी दिल्ली से आगरा जा रहे फाल्कन विमान पर बैठे और उनके साथ इंडिया टुडे के संपादकीय निदेशक राज चेंगप्पा और सहयोगी संपादक कौशिक डेका भी थे। इस दौरान कौशिक डेका ने राहुल गांधी का इंटरव्यू लिया और कुछ सवाल पूछे। काफी बातें हुई, राहुल जी ने न्याय योजना के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताया, राष्ट्रीयता पर भी अपनी बेबाक राय रखी, भाजपा और पीएम मोदी पर जमकर बरसे भी, अपनी जादू की झप्पी की कहानी सुनाई, सर्जिकल स्ट्राइक और एय र्स्ट्राइक पर भी बातें की और साथ ही कांग्रेस के सत्ता में वापस लौटने की भविष्यवाणी भी की ।

तो आपको ये इंटरव्यू कैसा लगा? अब आप सोच रहे होंगे कि आपने तो ये इंटरव्यू देखा ही नहीं? वास्तव में ये इंटरव्यू कभी प्रसारित ही नहीं हुआ, जिसे टीवी इंटरव्यू होना था वो प्रिंट इंटरव्यू बन कर रह गया। तो ऐसा क्यों हुआ? अगर सोशल मीडिया की मानें तो राहुल गांधी ने इस बार भी वही किया जिसके लिए वो जाने जाते हैं। दरअसल, उनसे पूछा गया लंदन, जवाब आया टोक्यो। सोशल मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, इंटरव्यू खत्म होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इंडिया टुडे से ये इंटरव्यू प्रकाशित नहीं करने के लिए कहा। ऐसा कहने के पीछे उनका डर था, डर ये कि कहीं ये इंटरव्यू  अर्नब-राहुल संवाद का वर्जन 2.0 जैसा कुछ न बन जाए, जिससे उबरना पार्टी के लिए बहुत मुश्किल साबित होगा।

अब सवाल ये है कि सोशल मीडिया इतने यकीन के साथ ऐसा क्यों कह रही है? आइये इसकी वजह समझते हैं।

पहली वजह है इंडिया टुडे के प्रोमोशनल पोस्ट्स और ट्वीट्स

एक ट्वीट में इंडिया टुडे ने ये लिखा था – कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सबसे बड़ा इंटरव्यू, लेकिन इंटरव्यू का वीडियो कभी आया ही नहीं, इस ट्वीट के नीचे सारे कोमेंट्स भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं।

यही नहीं चैनल पर कई बार राहुल गांधी के इंटरव्यू के टिकर भी चलाये गए, जैसे कि आप नीचे दी हुई तस्वीर में देख भी सकते हैं।

और अब आते हैं इंडिया टुडे में प्रकाशित राहुल गांधी के इंटरव्यू पर, ज़रा इन तसवीरों को देखिये आपको  कुछ नजर आया?

हां तो आपने बिलकुल सही समझा, राहुल गांधी प्रिंट इंटरव्यू के लिए कोलर माइक पहन कर बैठे हैं? अब सवाल ये कि ऐसा कहां होता है? ऐसा सिर्फ और सिर्फ टीवी इंटरव्यू में होता है। इसका मतलब तो यही हुआ कि सोशल मीडिया में लगाए जा रहे कयास गलत नहीं हैं।

हो सकता है की सोशल मीडिया पर वायरल होती सभी खबरें गलत हो लेकिन सच्चाई चैनल और राहुल गांधी दोनों को तो पता ही होगी, ऐसे में दोनों को सामने आ कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो जनता तो यही मानेगी की राहुल गांधी ने एक और इंटरव्यू में अपनी ऐसी तैसी कारवाई और इंडिया टुडे ने कांग्रेस की बात मानकर इंटरव्यू का वीडियो रीलीज़ भी नहीं किया। अगर ये कयास सही हैं तो ये प्लायबल जर्नलिज्म का बहुत ही शर्मनाक उदाहरण होगा।

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