राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी ने पूरे पांच साल मेहनत की, और एक-एक व्यक्ति से जुड़ीं

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PC: NDTV Khabar

लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह स्पष्ट हो गया है कि देश में फिर एक बार मोदी सरकार ही आने वाली है। भाजपा ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए देश की 303 लोकसभा सीटों पर अपना परचम लहराया जबकि कांग्रेस को सिर्फ 52 सीटों पर जीत हासिल हो सकी। कांग्रेस के लिए सबसे चिंता की बात तो यह है कि अध्यक्ष राहुल गांधी अपने परंपरागत निर्वाचन क्षेत्र और कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट से हाथ धो बैठे। इस हाई प्रोफ़ाइल सीट से अब की बार भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने जीत दर्ज की, जिन्होंने राहुल गांधी को लगभग 50 हज़ार वोटों के मार्जिन से हराया। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में स्मृती ईरानी को राहुल गांधी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था और उसके बाद से ही वे लगातार लोगों के बीच जाकर उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रही थी, जिसके जवाब में अब अमेठी की जनता ने ईरानी पर अपना विश्वास जताया है। हालांकि, जीत के बाद स्मृति ईरानी ने अपनी निस्वार्थता का परिचय देते हुए बड़ी विनम्रता से लोगों का आभार व्यक्त किया।

अपनी जीत के बाद रिपब्लिक भारत से बातचीत में स्मृति ईरानी ने कहा ‘अमेठी की जनता विकास चाहती है और उन्हें ऐसा प्रतिनिधि चाहिए जो पांच साल उनके लिये विकास कर सके। इसके अलावा इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी के प्रेम वाले ढोंग पर कड़ा प्रहार करते हुए पीएम मोदी की विनम्रता की सराहना की। उन्होंने कहा ‘जब से वह (पीएम मोदी) गुजरात के सीएम बने हैं तब से एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब उन्हें गालियों का सामना न करना पड़ा हो। फिर भी जीत के बाद उन्होंने राहुल गांधी को धन्यवाद कहा’।  

अमेठी की जनता के विश्वास को अपनी पैतृक संपत्ति समझने वाले राहुल गांधी को इन चुनावी नतीजों से बेशक करारा झटका लगा हो, लेकिन यहां से स्मृति ईरानी की जीत की कहानी पहले ही लिखी जा चुकी थी। राहुल गांधी को अमेठी की जनता ने भरपूर प्यार दिया, और वर्ष 2004 के बाद से लगातार उनको यहां से सांसद बनाया, लेकिन राहुल कभी उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाये। अमेठी के विकास को लेकर राहुल का रुख इतना निराशाजनक रहा कि आदर्श ग्राम योजना के तहत जिस जगदीशपुर गांव को उन्होंने गोद लिया था, राहुल गांधी ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान उस गांव का दौरा तक नहीं किया।

दूसरी तरफ पिछले पांच सालों के दौरान स्मृति ईरानी ने अमेठी के लगातार दौरे किए और लोगों के विश्वास को जीतने की भरपूर कोशिश की।  उन्होंने जनवरी महीने में कम्बल वितरण किया था और सीएचसी गौरीगंज में सीटी स्कैन मशीन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुईं थी। यही नहीं, वो अक्सर अमेठी की महिलाओं से भी जुड़ने के प्रयास करती रही हैं और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ हर महिला तक पहुंचे, ये सुनश्चित करने का प्रयास करती रही हैं। चुनावों से पहले उन्होंने अमेठी संसदीय क्षेत्र की महिलाओं से वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए बात भी की थी और उनसे उज्जवला योजना समेत अन्य योजनाओं को लेकर जानकारी साझा की थी। इसके अलावा उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र की जनता की फिल्म ‘उरी’ देखने की इच्छा को भी पूरा किया था। स्मृति ईरानी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पिछले पांच सालों में अक्सर अमेठी का दौरा करते रहे और इस तरह से बीजेपी और स्मृति ईरानी ने अमेठी में जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत किया। जिसमें वे अमेठी के पूरब द्वार गांव में अचानक लगी आग को बुझाती नज़र आ रहीं थीं। वीडियो के मुताबिक स्मृति ईरानी बाल्टियों में पानी भर-भर कर आग बुझाने में जजुटे ग्रामीणों की मदद कर रहीं थीं। इन लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान उनकी एक वीडियो भी जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी सब घटनाओं के माध्यम से स्मृति ईरानी बार-बार अमेठी की जनता के दिल में अपने लिए जगह बनाने में कामयाब रहीं। यही कारण था कि जीत के बाद जब रिपोर्टर्स ने अमेठी की जनता से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने राहुल गांधी की हार पर खुशी जताते हुए उनको ‘गेस्ट हाउस का नेता’ घोषित कर डाला।

अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा है। वर्ष 1980 से लेकर 1996 और वर्ष 1999 से लेकर अबतक कांग्रेस का गढ़ है। पूर्व प्रधानमंत्री के बड़े बेटे संजय गांधी ने इस संसदीय क्षेत्र का प्रत्निधित्व किया था लेकिन उनकी विमान दुर्घटना ने मृत्यु के बाद उनके भाई राजीव गांधी ने 1991 तक अमेठी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने इस संसदीय क्षेत्र का 1999 से 2004 तक निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अब सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस तरह से अमेठी का प्रतिनिधित्व नेहरू-गांधी परिवार द्वारा सालों से किया जाता रहा है, लेकिन इस साल के चुनावों में स्मृति ईरानी ने अपने विकासवादी एजेंडे को आगे रखकर अमेठी के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की जिसमें वे पूरी तरह कामयाब हुई।

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