लाल बहादुर शास्त्री पर बनी फिल्म द ताशकंद फाइल्स को मिली एक और बड़ी सफलता

द ताशकंद फाइल्स लाल बहादुर शास्त्री

साल 1966 में 10 जनवरी को ताशकंद समझौता हुआ था और इसके अगले ही दिन ताशकंद में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत हो जाती है। इस मौत का रहस्य आज भी कई बड़े सवाल खड़े करता है। इसी पर बनी फिल्म द ताशकंद फाइल्स की स्क्रीनिंग राष्ट्रपति भवन में रखी जाएगी। यह जानकारी फिल्म के निर्देशक और सह निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने दी है।

हाल ही में कुछ दिनों पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब पर अनुपम खेर की फिल्म आई थी द एक्सीडेंटर प्राइम मिनिस्टर। इस फिल्म ने यूपीए सरकार की पोल खोलकर रख दी थी। जब इस फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ था उसके कुछ ही दुन बाद द ताशकंद फाइल्स का पोस्टर रिलीज हो गया था और इस तरह कांग्रेस पर बालीवुड की ओर से एक के बाद एक दो झटके लग गए थे। अब यह फिल्म न सिर्फ काफी सफल रही है बल्कि राष्ट्रपति भवन में इसकी स्क्रिनिंग फिल्म की महत्ता को कई गुना बढ़ा देती है।

बता दें कि द ताशकंद फाइल्स 12 अप्रैल को रिलीज हुई थी। नसीरुद्दीन शाह, मिथुन चक्रवर्ती और श्वेता प्रसाद बसु स्टारर यह फिल्म सिर्फ 5-6 करोड़ रुपये के कम बजट में ही बनी फिल्म है जिसने बॉक्स ऑफिस पर काफी अच्छा-खासा कारोबार किया। कलंक से लेकर अवेंजर्स एंडगेम जैसी फिल्मों के बीच भी यह फिल्म बॉक्स ऑफि पर डटी रही थी। यह फिल्म कल ऐसे में विवेक के लिए ये दोहरी खुशी का मौका है कि अब उनकी फिल्म की स्क्रीनिंग राष्ट्रपति भवन में हो रही है। विवेक ने अपनी खुशी मीडिया के बीच साझा करते हुए कहा, “राष्ट्रपति भवन में बेहद चुनिंदा फिल्मों की ही स्क्रीनिंग होती है। ऐसे में मेरे लिए ये बेहद गर्व और सम्मान की बात है।” फिल्म की स्क्रीनिंग बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा 22 मई यानि आम चुनावों के नतीजों के एक दिन पहली रखी गयी है। इस स्क्रीनिंग में मीनाक्षी लेखी समेत बीजेपी के कई सांसाद और मंत्री शामिल होंगे।

भारत से बाहर हुई लाल बहादुर शास्त्री की मौत आज भी कई सवाल खड़े करती है। उनकी मौत के वक्त पत्रकार कुलदीप नैयर उस होटल के कमरे में ही मौजूद थे। बता दें कि, साल 1965 में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर हमले के बाद कच्छ की ओर से पाकिस्तान में सेना को भेजने का निश्चय किया और पाकिस्तान के कईं इलाकों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन लाल बहादुर शास्त्री ने 1966 में हुए ताशकंद समझौते में पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल के जीते इलाके वापस कर दिए थे। जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हो रही थी।

कुलदीप नैयर के अनुसार उस समय भारत-पाकिस्तान समझौते के जश्न में होटल में पार्टी चल रही थी। नैयर शराब नहीं पीते थे तो वे अपने कमरे में आ गए और सो गए। सपने में उन्होंने देखा कि शास्त्री जी का देहांत हो गया है। नैयर बताते हैं कि उनकी नींद दरवाजे की दस्तक से खुली। सामने एक रूसी औरत खड़ी थी, जो उनसे बोली, “यॉर प्राइम मिनिस्टर इज दाइंग।” अब ये पूरा घटनाक्रम अपने आप में कई राज छुपाए हुआ नजर आता है। द ताशकंद फाइल्स फिल्म इन छुपे राजों को उजागर करती है। इस फिल्म ने कांग्रेस को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।

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