तहसीन पूनावाला और विशाल ददलानी को कोर्ट का करारा तमाचा, जैन मुनि का अपमान करने पर लगाया 20 लाख का जुर्माना

तहसीन पूनावला विशाल ददलानी जैन मुनि

(PC: The Indian Express)

भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मज़ाक उड़ाने का आदि बन चुके लिबरल गैंग के दो सदस्यों को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने करारा झटका दिया है। दरअसल, दिवंगत जैन मुनि तरुण सागर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने विशाल ददलानी और तहसीन पूनावाला पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

आपको बता दें कि, साल 2016 में तरुण सागर को भाषण देने के लिए हरियाणा विधानसभा में बुलाया गया था, जिसको लेकर विशाल ददलानी और तहसीन पूनावाला ने हरियाणा सरकार के साथ-साथ जैन मुनि तरुण सागर का भी मज़ाक उड़ाया था। उस दौरान विशाल ददलानी ने जैन मुनि तरुण सागर को लेकर एक विवादित ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था ‘अगर आप ऐसे लोगों को वोट देंगे, तो यही बकवास देखने को मिलेगी, ये अच्छे दिन नहीं, बल्कि ‘नो कच्छे दिन’ हैं।

गांधी-वाड्रा परिवार के करीबी माने जाने वाले तहसीन पूनावाला ने भी जैन मुनि को लेकर कुछ ऐसा ही विवादित ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था ‘विधानसभा में नंगे घूमने वाले व्यक्ति को भी हम पवित्र मानते हैं, सोचिए अगर इनकी जगह कोई महिला होती तो उनको अब तक वेश्या घोषित किया जा चुका होता’।

हालांकि, लिबरल गैंग के इस शर्मनाक व्यवहार के बावजूद जैन मुनि तरुण सागर ने अपने ज्ञान का परिचय देते हुए बड़ी ही विनम्रता से इन दोनों को जवाब दिया था। उन्होंने कहा था ‘उनको शायद यह नहीं पता है कि दिगंबर साधु वस्त्रहीन रहते हैं। इन दोनों को भारतीय संस्कृति के बारे में थोड़ा जानने की आवश्यकता है। अगर उनको यह पता होता तो शायद वे इस तरह की बात ना करते। मैं उनसे नाराज़ नहीं हूँ, इसलिए माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं उठता। लेकिन मेरा अपमान करने से उन्होंने उन लोगों का अपमान करने का काम किया है जो मेरा अनुसरण करते हैं।’

आपको बता दें कि विशाल ददलानी और तहसीन पूनावाला के द्वारा इन ट्वीट्स को किए जाने के बाद हरियाणा पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज़ की थी जिसके खिलाफ इन दोनों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। हाई कोर्ट के जस्टिस सांगवान ने अब इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि ‘समाज के गरीब लोगों के लिए योगदान करने में अगर याचिकाकर्ताओं और मुनि तरुण सागर का एक तुलनात्मक अध्ययन किया जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि याचिकाकर्ताओं का मकसद सिर्फ सुर्खियां बटोरना था’। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ समय में सोशल मीडिया की वजह से देशभर में हिंसक घटनाओं की दर में वृद्धि देखने को मिली है, हालांकि जैन मुनि तरुण सागर जैसे धार्मिक उपदेशकों के अहिंसावादी विचारों की वजह से इन घटनाओं को काबू पाने में कुछ हद तक सफलता भी मिली है।

हाई कोर्ट ने दोनों पर 10-10 लाख का जुर्माना लगाने के साथ ही इन दोनों के खिलाफ दर्ज़ हुई एफ़आईआर को भी निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों को भविष्य में अपने बयानों को देते वक्त सतर्कता बरतने की नसीहत भी दी है। यहां आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि इन दोनों के ट्विट्स के बाद जब विवाद खड़ा हो गया था तो विशाल ददलानी ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली थी, लेकिन तहसीन पूनावाला ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने ट्विट्स पर कोई खेद ना होने की बात कही थी। तहसीन पूनावाला अपने बयानों के माध्यम से कई बार यह साबित कर चुके हैं कि उन्हें दूसरों के धर्म और संस्कृति की कोई चिंता नहीं है। अपने आप को ‘कलाकार’ कहने वाले लिबरल गैंग के इन सदस्यों का भारतीय संस्कृति का अपमान करना ना सिर्फ निंदनीय है, बल्कि शर्मनाक भी है। हाई कोर्ट द्वारा अब इस गैंग को मुंह तोड़ जवाब मिलने के बाद एक नया उदाहरण स्थापित हुआ है। यह बात स्पष्ट है कि अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिये किसी को भी भारतीय संस्कृति का अपमान करने की इजाजत बिल्कुल नहीं है।

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