भाजपा ने इस साल के लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की, जिसमें बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भाजपा को भारी बढ़त मिली। भाजपा को पश्चिम बंगाल में पहली बार बड़ी सफलता प्राप्त हुई। भारतीय जनता पार्टी ने 18 लोकसभा सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया जो तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। हालांकि, ममता के लिए बुरी खबरों का दौर समाप्त नहीं हुआ है। अब यह खबर आ रही है कि टीएमसी के 2 विधायकों और 50 से ज़्यादा पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी को जॉइन कर लिया है। राज्य में पार्टी लगातार बढ़त बनाते चली जा रही है और अब तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के लिए रास्ता और आसान कर दिया है। टीएमसी पार्टी में ममता बनर्जी की हिटलरशाही झेल रहे इन नेताओं ने अब ममता को करारा झटका दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि भविष्य में भी ममता को ऐसे झटके मिलते रहेंगे तो टीएमसी के लिए बड़ी चिंता की बात है।
Two TMC MLAs and one CPM MLA from West Bengal join BJP at party headquarters in Delhi. More than 50 Councillors also join BJP pic.twitter.com/9cJ0gTn9FC
— ANI (@ANI) May 28, 2019
तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं ने भाजपा को जॉइन करते ही ममता बनर्जी के हिन्दू-विरोधी चेहरे को कुचलते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों के साथ ही सीपीएम के एक एमएलए देवेन्द्र रॉय ने भी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को जॉइन किया। भाजपा नेता मुकुल रॉय ने इसके बाद प्रेस वार्ता बुलाई और मीडिया के सामने यह दावा ठोक डाला कि आज की तरह कुल 7 चरणों में तृणमूल कांग्रेस के नेता भारतीय जनता पार्टी से जुड़ेंगे। उन्होंने कहा ‘जिस तरह लोकसभा चुनाव 7 चरणों में समाप्त हुए, ठीक उसी तरह तृणमूल कांग्रेस के नेता 7 चरणों में भारतीय जनता पार्टी को जॉइन करेंगे, वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी को विपक्षी पार्टी का दर्जा भी नहीं मिलेगा’। कभी ममता बनर्जी के काफी करीबी रहे मुकुल रॉय के नेतृत्व में बीजेपी टीएमसी के नेताओं के अपने पाले में खड़ा करने की कोशिश कर रही है। रॉय खुद 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु को टीएमसी पार्टीविरोधी गतिविधियों के आरोप में पहले ही सस्पेंड कर चुकी है। टीएमसी के नेताओं का इतनी बड़ी संख्या में भाजपा जॉइन करना भाजपा की बड़ी राजनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा में शामिल होने वाले 50 से ज़्यादा पार्षदों में से 17 पार्षद अकेले काचरापारा म्युनिसिपलिटी से हैं। काचरापारा म्युनिसिपलिटी के सदन में कुल सीटों की संख्या 26 है जिसकी वजह से सदन में भाजपा को बहुमत हासिल हो गया है और बीजेपी इस म्युनिसिपलिटी में सत्ता में आ गई है। इसके अलावा दो अन्य म्युनिसिपलिटी पर भी बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। कुल मिलाकर भाजपा राज्य में लगातार अपना वर्चस्व बढ़ाते चली जा रहीं है जबकि ममता के पांव तले की ज़मीन लगातार खिसकती नज़र आ रही है।
पश्चिम बंगाल के वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 2 सीटें मिली थी, जबकि टीएमसी को 34 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं इस साल टीएमसी सिर्फ 22 सीटों पर ही सिमट गई, इसका कारण ममता सरकार द्वारा राज्य में की जा रही तुष्टीकरण की राजनीति को माना जा रहा है। हालांकि, ममता बनर्जी को राज्य की जनता ने इन लोकसभा चुनावों में बखूबी जवाब दिया और यही ट्रेंड आने वाले विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है।