गुजरात के गृह मंत्री रह चुके अमित शाह अब देश के नए गृह मंत्री पद पर आसीन हो गए हैं और उन्होंने अपना पदभार संभाल लिया है। अमित शाह को गृह मंत्री बनाए जाने के ऐलान के साथ ही देश के भीतर रह रहे अपराधियों, अलगाववादियों, नक्सलवादियों और और देश को तोड़ने का काम करने वाले लोगों का काउंटडाउन शुरू हो गया है।।यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए उनके फैसलों से साफ जाहिर होता है। साथ ही सोश्ल मीडिया पर कई लेफ्ट लिबरल गैंग के लोगों की तिलमिलाहट भी यह साफ दर्शा रही है कि अब ऐसे लोगों की खैर नहीं। जाहिर है मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल के दौरान आतंकवादी घटनाओं में कमी आने के साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी गतिविधियां कम हुई हैं। लेकिन अब अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद यह साफ है कि, देश को इन सभी समस्याओं से निजात पाने में पूरी तरह से सफलता हासिल हो सकती है। अब कुछ उन मुद्दों की बात कर लेते हैं जिसकों देखते हुए ये कहा जा सकता है कि अमित शाह इस पद के लिए सबसे बेस्ट हैं।
योजनाओं को सख्ती से लागू करवाना
आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद जैसे मामलों पर उनकी जीरों टोलेरेंस की नीति देश को नई दिशा दिलाने में काफी कारगर साबित हो सकती है। अमित शाह एक बेहतरीन रणनीतिकार हैं और वो जो भी रणनीति बनाते हैं उसपर अमल भी करते हैं। ये अमित शाह ही हैं जिन्होंने भाजपा को 2014 में जीत दिलाने बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्यों में भाजपा को स्थापित किया और उस बार के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा।
गृह मंत्री की ज़िम्मेदारी होती है कि, वह देश को ऐसे मुद्दों से निजात दिलाये इसके लिए जीरो टोलरेंस की रणनीति, निसंकोच फैसले लेना, राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ तालमेल बनाए रखना जैसी कई चीजें शामिल हैं। जिस तरह से अमित शाह ने 2003 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए कई बड़े बदलाव किये और अपराधियों को ठिकाने लगाया वो किसी से छुपा नहीं। जिस तरह से जम्मू-कश्मीर समेत भारत के कई अन्य राज्यों से लगातार आतंकवादियों को सहायता और आतंकवाद के फलने-फूलने की खबरें आती रहती हैं उसपर भी अमित शाह राज्य के अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर सख्त योजना पर काम कर सकते हैं। अब अगर वह देश के गृह मंत्री पद पर आसीन रहते हुए हर राज्य से अपराध को खत्म करने के लिए कठोर फैसले लेते हैं तो वो राज्यस्तर पर उसे लागू करने के लिए पूरी रणनीति भी बनाएंगे. हां, उनके सामने कुछ मुद्दों और गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों को मनाने की चुनौती जरुर होगी लेकिन वो इसे भी पूरा करने में सक्षम होंगे।
कानून व्यवस्था और और सुरक्षा व्यवस्था होगी दुरुस्त
राज्य में सुरक्षा व्यसथा को दुरुस्त करने के लिए जरूरी है कानून व्यवस्था में सुधार लाना इसके लिए पुलिस प्रशासन को मजबूती प्रदान करना अहम है जो कड़े फैसले लेकर ही जा सकता है। ऐसे फैसले लेने के लिए अमित शाह जाने जाते हैं और उनकी छवि भी एक सख्त नेता के रूप में बनी हुई है जिससे अपराधी खुद ही घबराकर अपना रास्ता बादल देते हैं या फिर वह पुलिस के सामने सरेंडर कर देते हैं। सभी को उम्मीद है कि सुरक्षाकर्मियों के वर्दी से लेकर उनके लाइसेंसी हथियारों के नवीनीकरण पर भी काम करेंगे, साथ ही लचीली व्यवस्था को सख्त बनाने के लिए कदम उठाएंगे। केंद्रीय सुरक्षा बलों की देश में तैनाती से लेकर आइबी समेत अन्य खुफिया सूचनाओं के इस्तेमाल पर भी वो बारीकी से काम करेंगे। ये सब हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि गुजरात में उनके गृह मंत्री रहते हुए उनका ट्रैक रिकॉर्ड कह रहा है। बता दें कि जब अमित शाह गुजरात में के गृह मंत्री रहने थे उस समय प्रदेश के क्राइम रेट में काफी गिरावट आई थी। जाहिर है उनके गृह मंत्री पद पर आने के बाद आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में डर का महौल जरुर बन गया है। ऐसे में वो सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुलिस अधिकारीयों और जवानों को छूट दे सकते हैं।
वो मुद्दे जो अभी तक विवादित हैं
देश में कश्मीर से जुड़ा धारा 370, अनुच्छेद 35A का मुद्दा हो या फिर पूर्वोत्तर में लागू किया जा रहा एनआरसी का मुद्दा हो, ये कुछ ऐसे मसले हैं जो आज तक सुलझ नहीं पाए हैं। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी इन मुद्दों पर काफी विवाद हुआ था। अब ऐसे में पीएम मोदी द्वारा अमित शाह का गृह मंत्रालय के लिए चुनाव करना सबसे सही फैसला है क्योंकि इस बार पीएम मोदी के सबसे भरोसेमंद नेता अमित शाह के ऊपर इस मसलों का रुख तय करने का जिम्मा होगा। वो जो भी फैसला लेंगे उसका असर दूरगामी और गहरा होगा। इसके अलावा जबसे मोदी सरकार आई है पत्थरबाजों के साथ ही कश्मीर में जो अलगाववादी नेता हैं जो युवकों को भड़काने का काम करते हैं उनपर भी सख्ती बरती गयी है। गौरतलब हो कि पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद से अलगाववादी नेताओं की जिस तरह से सुरक्षा वापस ले ली गई थी और यासीन मालिक को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया था उससे यह जाहिर है कि अब अमित शाह के नेतृत्व में इन अलगाववादियों की अब खैर नहीं।
यही नहीं पाकिस्तानी सीमाओं से होने वाली घुसपैठ के खिलाफ भी अमित शाह का रुख सख्त रहा है। अमित शाह ने गुजरात के गृह मंत्री रहने के दौरान पाकिस्तानी सीमाओं से होने वाली घुसपैठ जैसे मामलों का भी निपटारा किया है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में जिस तरह से बार बार पाकिस्तान द्वारा सीज फायर का उल्लंघन किया गया है उसे देखते हुए पीएम मोदी का अमित शाह का चुनाव बेहतरीन है।
नक्सलवाद जड़ से होगा खत्म
नॉर्थ ईस्ट के साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे कुछ राज्य हैं जहां पर राजनाथ के कार्यकाल में ही इनपर काफी हद तक रोक लगी है बल्कि यूं कहें कि यह खत्म से हो गए हैं। ऐसे कुछ गुट जो राज्यों में सक्रिय थे वह खत्म हो गए हैं लेकिन अभी भी कुछ इलाकों में वह छिपकर अशांति फैलाने का काम करते हैं। वहीं अब जब अमित शाह गृह मंत्री बन गए हैं तो उनके कार्यकाल में तो इन क्षेत्रों से नक्सलवाद और माओवादी का खात्मा भी होगा। लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, छत्तीसगढ़ के बीजापुर सहित बिहार और झारखंड में नक्सली उत्पात की खबरें समाने आई थीं जिसमें कई सुरक्षाबल शहीद हो गये थे। पश्चिम बंगाल में राजनीति हिंसा और असम में घुसपैठ से निपटने के लिए भी अमित शाह कई बड़े कदम उठा सकते हैं। साथ ही उन्हें पूर्वोत्तर में उग्रवाद को काबू करने की दिशा में भी बड़े फैसले लेने होंगे। वहीं श्रीलंका में पिछले दिनों हुई उग्रवाद संबंधी घटनाओं के बीच दक्षिण भारत में शांति स्थापित करने के लिए अमित शाह को कदम उठाने होंगे।
विभाजनकारी नीति वाले कुछ राष्ट्रविरोधी गैंग के लोग
देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो खुलकर सामने नहीं आते हैं लेकिन अपनी तथाकथित विभाजनकारी नीति के बल पर देश को तोड़ने का काम करते हैं। ऐसे में अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद के खिलाफ मोदी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति के साथ शहरी नक्सलियों के खिलाफ सख्त कदम उठाये जाने की पूरी संभावना है। अगर कोई देश को तोडना चाहता है और देश विरोधी नीतियों का समर्थन करता है जाहिर है वो अमित शाह के निशाने पर होगा। इसका मतलब है कि टुकड़े टुकड़े गैंग के कन्हैया कुमार हो या माओवादियों का समर्थन करने वाले जिग्नेश मेवनी जैसे नेता इनकी अब खैर नहीं है। पिछले साल एनआईए और कई सुरक्षा एजेंसियों की गाज इन अर्बन नक्सलियों पर गिर थी जिसने नक्सलियों के पारिस्थितिकी तंत्र को हिला कर रख दिया था।
कुल मिलाकर देश में अपराधियों और आतंकी गतिविधियों और लगाम कसने के लिए पीएम मोदी ने सोच समझकर अमित शाह को देश का गृह मंत्रालय बनाया है। अभी से इन अपराधियों में डर बैठ गया है। अमित शाह बतौर गृह मंत्री रहते हुए आतंकवाद, अलगाववाद, सुरक्षा व्यवस्था एनआरसी, बंगाल से घुसपैठियों को बाहर करने जैसे मुद्दों को जड़ से खत्म करने के लिए फैसले लेंगे। आने वाले वक्त में सभी को समझ भी आ जायेगा कि आखिर क्यों अमित शाह इस पद के लिए बेस्ट हैं।