अंजना ओम कश्यप आप जो कर रही थीं वो पत्रकारिता नहीं बल्कि एक क्रूर मज़ाक था

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का कहर झेल रहे बच्चों को लेकर पत्रकारिता का एक ऐसा चेहरा सामने आया जिसे आज की पत्रकारिता के साथ ही पत्रकारों पर कई सवाल खड़े होते हैं। बिहार में इंसेफलाइटिस के कारण मासूमों की हालत पर आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप कैमरा और माइक लेकर लाइव कवरेज के लिए सीधे मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज पहुंच गयी और डॉक्टर की ही क्लास लगाने लगीं। इससे जुड़ा उनका वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो आम जनता ने इसकी खूब आलोचना की।  

बिहार में चमकी बुखार के कारण कई मासूमों की जान जा चुकी है, कई परिवारों ने अपने बच्चों को खो दिया है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है, गावों में मातम छाया हुआ है। ऐसी गंभीर स्थिति में अंजना ओम कश्यप आज तक की तरफ से स्पेशल रिपोर्टिंग करने श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज पहुंची। अस्पताल के आईसीयू में पहुंचकर वो डॉक्टर से सवाल कर रही थीं कि आखिर ।।आप एक बेड पर दो तीन मरीजों को क्यों रख रहे हैं, बच्चा कबसे इलाज के लिए आपका इन्तेजार कर रहा है।। आप उसे क्यों नहीं देख रहे ।।। अस्पताल में अगर सुविधा नहीं है तो बीमार बच्चों को भर्ती ही क्यों ले रहे हैं। डॉक्टर उनके हर सवाल का जवाब दे रहा था वो कह रहा था कि एक-एक करके वो मरीजों को देख रहा है और ध्यान रख रहा है ..फिर भी अंजना ओम कश्यप चीख-चीख कर सवाल पर सवाल कर रही थीं। क्या उन्हें इस बात का ध्यान नहीं था कि आईसीयू में तेज चिल्लाने से मरीजों को परेशानी होगी? इस दौरान वो भूल गयीं कि इस तरह की पत्रकारिता करते हुए उन्होंने डॉक्टर का न सिर्फ समय बर्बाद किया बल्कि बीमार बच्चों के इलाज में और ज्यादा विलंब का कारण भी बनी।

वास्तव में अंजना ओम कश्यप को अगर बिहार में चमकी बुखार के कहर को लेकर सवाल पूछने और वजह जननी थी तो उन्हें अस्पताल में कुप्रबंधन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से सवाल करने चाहिए थे। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री से सवाल करने चाहिए थे कि आखिर इस गंभीर मामले को लेकर हुई बैठक में क्रिकेट के स्कोर क्यों पूछ रहे थे? मरीजों का इलाज सही से हो और अस्पताल में सभी जरूरत के सामान उपलब्ध हो ये सुनिश्चित करना तो अस्पताल के प्रबंधन और उस राज्य की सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए। क्या ये काम भी डॉक्टर करें?  

आईसीयू में वो मरीज होते हैं जो जिंदगी और मौत की जंग से जूझ रहे होते हैं।।डॉक्टर का एक एक पल मरीजों के लिए कीमती होता है और अंजना ओम कश्यप वहां जाकर डॉक्टर का समय बर्बाद कर रही थीं। आपकी इस लापरवाही से मासूमों की मौत का आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता था लेकिन आपको इसकी परवाह नहीं। अगर परवाह होती तो शायद बिहार सरकार से सवाल करती कि आखिर अस्पताल में सभी व्यवस्था क्यों नहीं है? क्यों मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों की संख्या कम है।

अगर इस तरह की पत्रकारिता करके आपको लगता है कि आपने बहुत अच्छी कवरेज की है और आम जनता को जागरूक किया है तो आप पूरी तरह से गलत है। पत्रकारिता सही रिपोर्ट दिखाने और निष्पक्ष होकर सरकार से सवाल करने और आम जनता को जागरूक करने का नाम है…न कि चीखने-चिल्लाने और किसी के कार्य में बाधा उत्पन्न करने का। अगर वाकई आपको बिहार में मासूमों की चिंता है तो इस मामले में वहां के प्रशासन की पोल खोलिए न कि डॉक्टरों का समय बर्बाद करिए।

Exit mobile version