अगले साल यानि वर्ष 2020 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन उपलब्धि के नाम पर केजरीवाल सरकार के पास निल बटे सन्नाटा है, और यही कारण है कि अब आम आदमी पार्टी ने अपनी वोटबैंक की राजनीति को साधने के लिए लोगों की आंखों में धूल झोंकना शुरू कर दिया है। दरअसल, आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली में सार्वजनिक यातायात की सुविधा को इस्तेमाल करने के लिए महिलाओं को कोई शुल्क नहीं देना होगा और नई योजना के तहत महिला यात्रियों का सारा खर्चा दिल्ली सरकार वहन करेगी। इस योजना को लागू करने में दिल्ली सरकार को कुल 700 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। हालांकि, जिस वक्त मुख्यमंत्री महोदय महिलाओं के सशक्तिकरण के नाम पर इस बेतुकी योजना की घोषणा करके वाहवाही बटोर रहे थे, ठीक उसी वक्त दिल्ली यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाले 28 कॉलेज पैसों की भयंकर कमी के कारण दिल्ली सरकार से फंड जारी करने की मांग कर रहे थे।
दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, और कहा कि दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की सभी बसों के साथ-साथ दिल्ली मेट्रो में भी महिलाओं की यात्रा के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया है। अरविंद केजरीवाल का यह फैसला इसलिए हैरान करने वाला है क्योंकि दिल्ली में वर्ष 2015 से ही आम आदमी पार्टी की सरकार है और महिला सुरक्षा का मुद्दा कोई नया नहीं है। ऐसे में लोकसभा चुनावों में करारी हार के ठीक बाद ऐसी योजना को लेकर आना मेहनती टैक्सपेयर्स के पैसों के बल पर आम आदमी पार्टी की घटिया राजनीति को दर्शाता है।
साफ है कि उपलब्धि के नाम पर केजरीवाल जी के पास कुछ नहीं हैं जिसके बूते वे लोगों से दोबारा वोट मांग सके, इसलिए अब महिला वोटर्स को लुभाने के लिए दिल्ली सरकार ने अपनी फ्री मेट्रो योजना को सबके सामने रखा है।
— Dr. Nandini Sharma (Modi Ka Parivar) (@DrNandiniBJP) June 3, 2019
जैसा हमने आपको बताया, इस योजना को लागू करने में दिल्ली सरकार पर कुल 700 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, लेकिन दूसरी तरफ इसी दिल्ली सरकार ने डीयू के अधीन आने वाले कुल 28 कॉलेजों को फंड जारी करने पर रोक लगा दी है। अब इस रोक के बाद इन कॉलेजों में फंड की इतनी भारी कमी हो गयी है कि इन कॉलेजों के 2700 से ज़्यादा टीचिंग स्टाफ़ को शायद इस महीने की सैलरी भी नहीं मिल पाएगी। दिल्ली सरकार ने बड़ी ही चालाकी से इस पूरे मामले का ठीकरा दिल्ली यूनिवर्सिटी पर फोड़ने की कोशिश की और कहा कि डीयू ने गवर्निंग बॉडी का गठन नहीं किया है जिसकी वजह से उसने इन कॉलेजों के फंड्स को रोका है, लेकिन यह खबरें भी सामने आई है कि दिल्ली सरकार ने गवार्निंग बॉडी के गठन के लिए डीयू को अभी तक नाम नहीं सुझाए हैं और इसी वजह से डीयू द्वारा इन गवर्निंग बॉडी का गठन नहीं हो पाया है।
जब डीयू के महत्वपूर्ण संस्थान फ़ंड की भारी कमी से जूझ रहे हों, तो इस मामले को हल करना दिल्ली सरकार की प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए था, ताकि इन शैक्षणिक संस्थानों की कार्यप्रणाली पर कोई फर्क ना पड़े, लेकिन दिल्ली सरकार ने महिलाओं को मुफ्त यात्रा करने का अवसर देने वाली इस बेतुकी योजना के जरिये अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने में भलाई समझी। यह योजना बेतुकी इसलिए है क्योंकि इस योजना के पीछे दिल्ली सरकार का कोई लॉजिक नज़र नहीं आता।
पिछले 4 वर्षों में दिल्ली सरकार ने दावों और वादों की राजनीति करने में विश्वास रखा जबकि जमीनी स्तर पर लोगों की मुश्किलों में कोई कमी नहीं आई। यही कारण था कि इन लोकसभा चुनावों में दिल्ली में पार्टी के खाते में 1 भी सीट नहीं आई और पार्टी को भाजपा के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। अब विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी हित में ऐसी योजनाओं को जारी कर अरविंद केजरीवाल ने खुद अपने पांच सालों का रिकॉर्ड सबके सामने रखा है। साफ है कि उपलब्धि के नाम पर उनके पास कुछ नहीं हैं जिसके बूते वे लोगों से दोबारा वोट मांग सके, और अब महिला वोटर्स को लुभाने के लिए दिल्ली सरकार ने अपनी इस योजना को सबके सामने रखा है।