आईसीसी के पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ बीसीसीआई को अपनी आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए

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PC: Punjab Kesari

आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) क्रिकेट विश्व कप में महेन्द्र सिंह धोनी द्वारा ‘बलिदान बैज’ वाले ग्लव्स पहनने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सामने आ रही खबरों के मुताबिक आईसीसी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महेंद्र सिंह धोनी को बलिदान बैज वाले ग्लव्स पहनकर खेलने की आज्ञा बिल्कुल नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह आईसीसी के नियमों के खिलाफ है। हालांकि, भारत के क्रिकेट प्रेमी आईसीसी की इस हिटलरशाही के खिलाफ सोशल मीडिया पर जमकर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं। हर कोई यह सवाल पूछ रहा है कि धोनी द्वारा अपने ग्लव्स पर बलिदान बैज लगाकर देश की सेना के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने से आईसीसी को भला क्या आपत्ति हो सकती है। आईसीसी के इस पक्षपातपूर्ण रवैये को लेकर जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आईसीसी से पुनर्विचार करने को कहा तो भी आईसीसी ने यह आदेश जारी कर दिया कि धोनी को अपने ग्लव्स से वह बलिदान बैज हटाना ही होगा। बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड होने के नाते हर साल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को करोड़ों रुपए का राजस्व देता है। ऐसे में बीसीसीआई को आईसीसी के इस पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ अपनी आर्थिक शक्ति का उपयोग करने से भी परहेज नहीं करना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को यह समझ लेना चाहिए कि वह भारतीय क्रिकेट प्लेयर्स पर अपने इस बेतुके फरमान को थोप नहीं सकता है। बीसीसीआई एक ऐसे देश का क्रिकेट बोर्ड हैं जहां रहने वाले 132 करोड़ भारतीय क्रिकेट को एक खेल नहीं बल्कि एक धर्म के रूप में देखते हैं। यही कारण है कि भारत में क्रिकेट के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स करोड़ों रुपयों में बेचे जाते हैं और इससे बीसीसीआई और आईसीसी जैसे क्रिकेट बोर्ड्स की भरपूर कमाई होती है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषदकी कुल कमाई का 80% हिस्सा भारत से ही आता है, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि रेविन्यू शेयरिंग एग्रीमंट के तहत आईसीसी भारत के साथ अपने राजस्व का सिर्फ 22.8 प्रतिशत हिस्सा ही साझा करता है, जबकि बाकी बचे हिस्से को आईसीसी अन्य क्रिकेट बोर्ड्स में बांटता है, जिसमें आतंकी देश पाकिस्तान भी शामिल है। कुल मिलाकर देखें तो भारत पूरी दुनिया के क्रिकेट के लिए एक इंजन के तौर पर काम करता है।

अब अगर आईसीसी को भारत से मिलने वाले इस राजस्व को कुछ समय के लिए रोक दिया जाए तो आईसीसी का अपने घुटनों पर आना तय है। आज आईसीसी के पास जो भी आर्थिक और संस्थागत शक्तियां हैं, वो सभी भारत की बदौलत ही हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को भारत के खिलाड़ियों पर बेवजह अपने आधारहीन आदेशों को थोपने का कोई आधार नहीं है। यहां बीसीसीआई को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि उसके लिए क्रिकेट पहले है या देश, और अगर वह देश और देश के गौरव को क्रिकेट से ऊपर रखता है तो बीसीसीआई को तुरंत इंग्लैंड में जारी क्रिकेट विश्व कप का बहिष्कार करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को उसकी जगह दिखानी चाहिए। इस बात में किसी को कोई शक नहीं है आईसीसी का महेंद्र सिंह धोनी को ‘बलिदान बैज’ वाले ग्लव्स पहनने से रोकने का फरमान पूरी तरह आधारहीन और पक्षपातपूर्ण है। बीसीसीआई यहां चाहे तो अपने एक फैसले से आईसीसी को वित्तीय तौर पर दिवालिया कर सकता है। बीसीसीआई को जल्द से जल्द इस मामले पर विचार करके आईसीसी की इस तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठानी ही होगी।

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