एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अप्रत्याशित फैसले से सभी को चौंका दिया है। सोमवार को हुए बीजेपी संसदीय बोर्ड के बैठक के बाद आज दो बार के सांसद और कोटा से 7 बार विधायक रहे ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर नियुक्त कर मोदी ने फिर से दिखा दिया है कि राजनीति में उनका कोई सानी नहीं हैं। लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। बीजेपी से जीतकर आए वरिष्ठ नेताओं के नाम पर मंथन चल रहा था। लोकसभा अध्यक्ष बनने की रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, राधामोहन सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, एसएस अहलुवालिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार जैसे कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल बताए जा रहे थे। लेकिन एक बार फिर नए चेहरे से सभी को चौंकाने वाले मोदी ने ओम बिरला के नाम का चयन किया और बता दिया कि अहम पदों के लिए सिर्फ अनुभव ही नहीं और भी समीकरण और छवि भी मायने रखती हैं।
ओम बिरला एक अपेक्षाकृत अज्ञात चेहरा है और पद के लिए दौड़ में नामों की सूची में कही भी नहीं था। 2014 की लोकसभा में ओम बिड़ला को कई समितियों में जगह मिली थी। उन्हें प्राक्कलन समिति, याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति, सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था। इससे पहले वो 2003 में उन्होनें विधायक और तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे शांति लाल धारीवाल के खिलाफ अप्रत्याशित जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने ओर इस तरह 2008 और 2013 में भी कोटा से ही विधायक बने थे। 2014 में 16 वीं लोकसभा के चुनाव में पहली बार सांसद बने। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में वह दोबारा कांग्रेस उम्मीदवार राम नारायण मीणा को 2 लाख 79 हजार वोटों से हरा से सांसद बने।
उनकी नियुक्ति के साथ, बीजेपी ने राजस्थान के मतदाताओं की वफादारी को पुरस्कृत किया, जो विधानसभा नुकसान के बावजूद बीजेपी के साथ खड़े रहे और राज्य में बीजेपी को पूर्ण जनादेश देकर सभी 25 सीटों पर जीत दिलाया था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम दिखाता है की अब राजस्थान को नए व मजबूत नेताओं ऊपर लाने का समय है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद यह बदलाओ की अति आवश्यकता थी। बीजेपी ने राजस्थान के 200 विधानसभा सीटों में सिर्फ 73 ही जीत सकी थी।
दूसरी बात यह है कि बिड़ला की नियुक्ति मेनका गांधी के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि नाम पर पद नहीं मिलेंगे जो अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे थीं। इस कदम से पता चलता है कि मोदी सरकार इस बार मदर-सोन जोड़ी (मेनका और वरुण) को पूरी तरह से बाहर रखने की संभावना है।
ओम बिरला राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव भी रह चुके है। इस दौरान उन्होंने गंभीर रोगों के शिकार लोगों के इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की। अगस्त 2004 में बाढ़ पीड़ितों के लिए भी काम किया था।