जहां एक तरफ इसरो देश के प्रतिष्ठित चंद्रयान 2 अभियान के लिए अपनी कमर कस रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ इसरो के स्पेस मिशन में टांग अड़ाने की कांग्रेस सरकार की पुरानी आदत धीरे-धीरे करके सामने आ रही है। पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन नायर ने हाल ही में दावा किया है कि चंद्रयान 2 के प्रक्षेपण में देरी के पीछे यूपीए सरकार का हाथ रहा है। उनके अनुसार चंद्रयान 2 तो बहुत पहले ही अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित हो गया हो होता, यदि 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने हित को देखते हुए यूपीए सरकार ने स्पेस मिशन का राजनीतिकरण करते हुए मंगलयान को पहले प्राथमिकता न दी होती।
Indian Space Research Organisation Chairman Dr. K Sivan: ISRO has firmed up that Chandrayaan 2 Mission will be launched on July 15 early morning at 2 hours 51 minutes. pic.twitter.com/E64eBaZfu7
— ANI (@ANI) June 12, 2019
दरअसल, इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवान ने घोषणा की है कि 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-2 मिशन 15 जुलाई को तड़के सुबह 2 बजकर 51 मिनट पर लांच किया जायेगा। इस घोषणा के बाद पूर्व इसरो प्रमुख जी माधवन ने यूपीए शासनकाल की स्वार्थ की राजनीति का खुलासा किया।
बता दें कि जी माधवन नायर अक्टूबर 2008 में प्रक्षेपित भारत के पहले मानव रहित चन्द्र अभियान ‘चंद्रयान 1’ के जनक के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने बतौर इसरो प्रमुख एवं अन्तरिक्ष विभाग के सेक्रेटरी के तौर 2003 से 2009 तक अपनी सेवाएं दी थी। उन्होंने हाल ही में खुलासा किया है चंद्रयान 2 को बहुत पहले ही वर्ष 2012 में चंद्रमा पर भेजा जा सकता था।
Former ISRO Chief & BJP leader G Madhavan Nair: Original plan was to launch Chandrayaan-2 in 2012 but due to some policy level decisions of UPA-2 government it was delayed. After Modi ji took over, he gave thrust to such projects, especially Gaganyaan & Chandrayaan-2. (13.6.19) pic.twitter.com/ul5vCei3Uo
— ANI (@ANI) June 14, 2019
जी माधवन नायर के अनुसार, ‘चंद्रयान-2 मिशन पहले ही रवाना किया जा सकता था, लेकिन तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए ‘राजनीतिक कारणों’ से ‘मंगलयान’ परियोजना को आगे बढ़ा दिया। ‘
इतना ही नहीं, जी माधवन नायर ने ये भी बताया कि कैसे चंद्रयान 2 मिशन को यूपीए की स्पेस मिशन की राजनीतिकरण का शिकार बनाया गया था। उनके अनुसार, ‘लगभग आधे से ज़्यादा कार्य पहले ही कर लिया गया था, पर उन सभी कार्यों को मंगलयान मिशन की तरफ मोड़ दिया गया था। तो हमें इसरो को शुरू से शुरुआत करनी पड़ी। इस सरकार [मोदी सरकार] के आने के बाद ही चन्द्रयान 2 के पुराने प्रोग्राम को फिर से बहाल किया गया।’
जी माधवन नायर के इस खुलासे से कांग्रेस राजनेताओं के हाथ-पांव तो अभी से फूलने लगे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता एवं विवादित अधिवक्ता अभिषेक मनु संघवी ने जी माधवन नायर की निंदा करते हुए कहा, ‘”मैंने यह वक्तव्य नहीं देखा है, लेकिन ऐसा है तो मैं इसकी आलोचना करता हूं। इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। आपका काम सरकार की आलोचना करना नहीं है। आप वैज्ञानिक हैं, आपका स्थान तो गौरवान्वित करने वाला है। आप देखते हैं कि एक पार्टी सत्ता से बाहर है तो कुछ बोलने लगते हैं। कल को कांग्रेस सत्ता में आई तो इसकी धुन गाने लगेंगे।” कांग्रेस प्रवक्ता के इस बयान से साफ है कि वो अभी भी यूपीए कार्यकाल की लापरवाहियों और स्वार्थ की राजनीति पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं।
वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब पूर्व इसरो प्रमुख ने कांग्रेस युक्त यूपीए सरकार की स्पेस मिशन को लेकर ओछी राजनीति का खुलासा किया हो। इसी साल जब भारत ने अन्तरिक्ष में अपनी मारक क्षमता का प्रमाण देते हुए ए सैट मिसाइल से एक सक्रिय सैटिलाइट को मार गिराने में सफलता प्राप्त की थी, तब नायर ने बताया कि भारत इस तकनीक को बहुत पहले ही 2007 में प्राप्त कर लेता, यदि तत्कालीन यूपीए सरकार के अंदर राजनीतिक इच्छा होती। जी माधवन के दावों का पूर्व डीआरडीओ प्रमुख वी के सारस्वत ने समर्थन भी किया था।
और हम कैसे भूल सकते हैं 1994 के उस काले दौर को, जब एस नंबी नारायणन को जासूसी और विदेशी एजेंटों को रॉकेट सम्बंधित संवेदनशील जानकारी लीक करने के झूठे आरोपों के तहत केरल की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने गिरफ्तार करवा दिया था और उनकी करियर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यही नहीं उन्हें जेल में उन्हें कई यातनाएं झेलनी पड़ी।।।उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी गयी। बाद में उनपर लगे आरोप झूठे साबित हुए थे।
ये कांग्रेस की ही कृपा थी की जो मंगलयान 1994 में ही प्रक्षेपित हो सकता था, उसे अन्तरिक्ष में भेजने में पूरे 2 दशक लग गए। खुद जी माधवन नायर को भी कांग्रेस के प्रपंचों का सामना करना पड़ा था, जब एंट्रिक्स देवास सौदे के तहत हुए घोटाले का ठीकरा इन्हीं के सर पर यूपीए सरकार ने फोड़ा था।
ऐसे में यह बात तो साफ है कि जहां कांग्रेस सरकार मोदी सरकार पर अपनी योजनाओं का श्रेय चुराने का आरोप लगाती है, लेकिन उसका खुद का ट्रैक रेकॉर्ड कुछ और ही बयां करता है, विशेषकर जब बात आती है भारत के स्पेस प्रोग्राम के राजनीतिकरण की तो इस पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है। ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर चंद्रयान 2 मिशन में देरी करने का आरोप लगाना कोई हंसी मज़ाक नहीं है, और वो भी तब जब इसका खुलासा एक ऐसा व्यक्ति कर रहा हो, जो उस वक्त अन्तरिक्ष विभाग के शीर्ष पर था। लगता है कांग्रेस को सफाई देते देते इस बार बहुत पापड़ बेलने पड़ेंगे।