मणि से लेकर सैम और अधीर तक, कांग्रेसी नेताओं ने गाली देने फिर सारा दोष खराब हिंदी पर मढ़ने की आदत बना ली है

(PC: India TV)

जो भाषा आपको आती नहीं, उस भाषा में भला आप किसी को गाली कैसे दे सकते हो? यह सवाल आज हर कोई कांग्रेस से पूछ रहा है। आजकल कांग्रेस के नेताओं में हिन्दी का अल्पज्ञान बड़ा ट्रेंड कर रहा है। कांग्रेस के नेता पहले हिन्दी में विवादित बयान देते हैं, उसके बाद अपने बचाव में हिन्दी का अपमान करते हैं और कहते हैं कि उनकी हिन्दी कमजोर है। इसी वर्ष लोकसभा के चुनावों के दौरान जब कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने ‘हुआ तो हुआ’ विवाद खड़ा किया था, तो भी पित्रोदा ने अपने बचाव में हिन्दी का अल्पज्ञान होने का ही हवाला दिया था। अब लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कुछ ऐसा ही काम किया है। कल उन्होंने लोकसभा में गंगा और गंदी नाली की तुलना करते हुए पीएम मोदी को अपमान करने की कोशिश की। जब विवाद खड़ा हुआ तो उन्होंने भी अपनी हिन्दी को कमजोर बताते हुए डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। हैरानी की बात तो यह है कि यही लोग भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार का भी खुलेआम विरोध करते हैं। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी तो कांग्रेस के एक सांसद द्वारा हिन्दी में शपथ लिए जाने को भी सहन नहीं कर सकती।

इसकी शुरुआत इस वर्ष के लोकसभा चुनावों के दौरान इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने की। उन्होंने 1984 सिख दंगों के पीड़ित परिवारों का अपमान करते हुए उस वक्त कहा था ‘अब क्या है 84 का? आपने क्या किया पांच साल में उसकी बात करिये, 84 में जो हुआ वो हुआ, आपने क्या किया। उनके इस बयान से ऐसा लग रहा था मानो 1984 के सिख दंगो की घटना कोई मामूली सी बात हो। जब उनके इस बयान पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा था ‘‘मेरी हिन्दी कमजोर है। मैं कहना चाहता था कि जो हुआ वह बुरा हुआ, मैं दिमाग में ‘बुरा’ शब्द को अनुवाद नहीं कर पाया’’।

इसके बाद कल कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी प्रधानमंत्री मोदी का अपमान करते हुए उनकी तुलना गंदी नाली से कर डाली। दरअसल जब संसद में अधीर रंजन चौधरी भाजपा के नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी की कथित चाटुकारिता ना करने की नसीहत दे रहे थे, तो उस वक्त भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने उनसे कहा कि भाजपा के नेता कम से कम ‘इन्दिरा इज़ इंडिया और इंडिया इज़ इन्दिरा’ वाला काम तो नहीं कर रहे हैं। इसपर अधीर रंजन चौधरी अपना आपा खो बैठे और उन्होंने पीएम मोदी की तुलना गंदी नाली से कर डाली। उन्होंने कहा ‘कहां माँ गंगा, और कहां गंदी नाली’। जब इस बयान पर विवाद गरमाया तो बाद में संसद से बाहर आकार उन्होंने भी सैम पित्रोदा का अनुसरण करते हुए कहा कि उनकी हिन्दी कमजोर है, और वे कभी भी प्रधानमंत्री का अपमान करना नहीं चाहेंगे।

साफ है कि कांग्रेस के नेता अपने बयानों से पहले विवाद खड़ा करते हैं, उसके बाद अपने बचाव में हिन्दी का अपमान करते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि हिन्दी का अपमान करने में सिर्फ कांग्रेस के नेता ही आगे रहे हों। इसी हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का अपमान किया था और राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर ध्यान ना देकर अपने फोन में व्यस्त होते दिखाई दे रहे थे। जब भाजपा ने इसको लेकर विरोध किया तो कांग्रेस की तरफ से आनंद शर्मा ने बड़ा बेतुका सा कारण बताते हुए कहा कि वे राष्ट्रपति के अभिभाषण के कुछ शब्दों को समझ नहीं पा रहे थे और फोन में वे कठिन हिन्दी शब्दों का अनुवाद कर रहे थे। इसके अलावा पिछले वर्ष जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच कहा था तो उसपर सफाई देते हुए उन्होंने भी हिन्दी भाषा को अपनी प्रथम भाषा ना होने का बहाना बनाया। हिन्दी भाषा केंद्र की राजभाषा होने के साथ-साथ लगभग 40 प्रतिशत भारतवासियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। अगर कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं ने हिन्दी भाषा का अपमान इसी तरह जारी रखा तो भविष्य के चुनावों में पार्टी को और ज़्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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