जब से मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार गयी है, तबसे मानो राज्य की प्रगति को ग्रहण लग गया हो। कभी चहुंमुखी प्रगति के लिए देश भर में प्रसिद्ध मध्य प्रदेश एक बार फिर ‘बीमारू राज्य’ का टैग प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। बात तो यहां तक पहुंच चुकी है कि कई वर्षों से बिजली उत्पादन में अग्रणी मध्य प्रदेश आज कांग्रेस मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है। लेकिन इस समस्या को सुलझाने की बजाय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं। अब आप सोच रहे हैं कि आखिर हम यहां केजरीवाल का जिक्र क्यों कर रहे हैं।
पिछले कई महीनों से मध्य प्रदेश की जनता अंधाधुंध बिजली कटौती से जूझ रही है। यही नहीं, हाल फिलहाल की गर्मी में बिजली कटौती ने प्रदेशवासियों का जीना दूभर कर दिया है। जाने माने शायर राहत इंदौरी भी इस समस्या से आहत दिखे, जब उन्होंने ये ट्वीट किया –
आजकल बिजली जाना आम हो गया है, आज भी पिछले तीन घंटों से बिजली नहीं है….. गर्मी है – रमज़ान भी हैं….. @mppkvvclindore में कोई फ़ोन नहीं उठा रहा…. कुछ मदद करें….@iPriyavratSingh @OfficeOfKNath
— Dr. Rahat Indori – forever (@rahatindori) June 2, 2019
उक्त ट्वीट में राहत इंदौरी ने रमज़ान के परिप्रेक्ष्य में राज्य में व्याप्त बिजली संकट के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाई, और उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि इस समस्या पर त्वरित कारवाई करे। राहत इंदौरी की इस ट्वीट पर जहां सोश्ल मीडिया यूज़र्स ने जमकर कांग्रेस की भ्रष्ट गतिविधियों का मज़ाक उड़ाया, तो वहीं कमलनाथ को इस संकट की स्थिति में अखबारों में विज्ञप्ति निकालकर अपनी सफाई देनी पड़ी। राज्य के प्रमुख अखबारों में उनकी विज्ञप्ति कुछ इस प्रकार प्रकाशित हुई –
इस विज्ञप्ति में छपे एक अंश के में मध्य प्रदेश में बिजली संकट के कारणों को कुछ इस तरह बयां किया गया ‘……..अभी पिछले कुछ दिनों से सामने आई बिजली की समस्या के पीछे बिजली की कमी कारण नहीं है, अपितु सालों से व्यवस्था में सुधार नहीं करना और उपभोक्ताओं तक सतत पूर्ति में मानव जनित बाधाएं उत्पन्न करना है। तात्कालिक रूप से पैदा की गई समस्या का निदान आने वाले दिनों में शीघ्र हो जाएगा जबकि व्यवस्थागत समस्याओं के समाधान में थोड़ा वक्त लगेगा।‘
अब यहां ये समझना मुश्किल है कि कमलनाथ ने बिजली कटौती की समस्या के लिए बीजेपी के शासनकाल को क्यों दोषी ठहराया ? जबकि शिवराज सिंह चौहान ने अपने शासनकाल में आम जनता को हर तरह की सुविधा का लाभ देने का पूरा प्रयास किया और तो और उनके शासनकाल में इस तरह से बिजली कटौती की समस्या अख़बारों की हैडलाइन नहीं हुआ करती थी। अब कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के एक दो महीने के अंदर ही इस तरह की खबरों के सामने आने का मतलब तो यही है कि उनके शासनकाल में बिजली व्यवस्था न सिर्फ लचर हुई है बल्कि आपूर्ति में भारी अनियमितता बरती जा रही है। पर राज्य सरकार इसे ठीक करने की बजाय बीजेपी पर ठीकरा फोड़कर इसपर भी गंदी राजनीति कर रही है।
ऐसा लगता है कमलनाथ भी दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। जिस तरह अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में विकास कार्य छोड़कर हर गड़बड़ी और लापरवाही के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर ठीकरा फोड़ते हैं उसी प्रकार कमलनाथ भी अपने राज्य में चल रहे इस बिजली संकट के लिए बीजेपी को दोषी ठहरा रहे हैं।
चाहे वो राज्य में डेंगू जैसी बीमारियों का बढ़ता प्रकोप हो, या दिवाली के समय बढ्ने वाला प्रदूषण हो। चाहे वो खुद के लचर प्रदर्शन के लिए ईवीएम पर ठीकरा फोड़ना हो, या फिर अपराध दर को काबू करने में असफल होने के लिए दिल्ली पुलिस एवं केंद्र सरकार पर दोषारोपण करना, ऐसा कोई अवसर नहीं आया है जब केजरीवाल ने अपनी हर असफलता के लिए पीएम मोदी को कटघरे में न खड़ा किया हो।
पर कमल नाथ, आपको तो केजरीवाल की तरह पूर्ण अधिकार है। आपके पास तो पूर्ण राज्य भी है, और आप पूरी तरह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, जो हाल फिलहाल राज्य में घटित कई जघन्य अपराधों पर आपके प्रशासन की कारवाई से साफ दिखता भी है। तो फिर आप बिजली संकट के लिए भाजपा को क्यों दोष दे रहे हैं? यदि सरप्लस उत्पत्ति होने के बाद भी आप राज्य को उचित बिजली न दे सके, तो उसके लिए बीजेपी दोषी है या आपकी सरकार के अफसरों की अकर्मण्यता?
हमने तो बड़े बुजुर्गों से सुना था की यदि किसी का अनुसरण करना है, तो योग्य मनुष्यों का, विशेषकर सज्जनों का अनुसरण करना चाहिए। और आप अनुसरण किसका कर रहे हैं? अरविंद केजरीवाल का? क्या कांग्रेसी नेतृत्व के इतने बुरे दिन आ गए हैं की उन्हे अरविंद केजरीवाल का अनुसरण करना पड़े?