मायावती का बड़ा आरोप, कहा ‘मुझे अखिलेश ने मुसलमानों को टिकट देने से मना किया था’

केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है, और इसलिए इस राज्य को जीतने वाली पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभरकर सामने आती है। इन्हीं महत्व्कांक्षाओं के साथ इस वर्ष के लोकसभा चुनावों से पहले राज्य की दोनों बड़ी क्षेत्रीय पार्टी, यानि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिलाया और इस बार राज्य में भाजपा को पटखनी देने का निश्चय किया। हालांकि, इस बार भी इन दोनों पार्टियों को निराशा ही हाथ लगी और गठबंधन को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 15 सीट ही मिल पाई। हालांकि, नतीजों के 10 दिन बाद ही मायावती ने समाजवादी पार्टी से बसपा का गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया और कहा कि बसपा 11 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में अकेले ही चुनाव लड़ेगी। अब नतीजों के एक महीने बाद मायावती ने अखिलेश पर जमकर हमला बोलते हुए उनपर हार का ठीकरा फोड़ा है। मायावती ने पार्टी की एक बैठक में चुनाव से पहले और बाद में घटित हुई कई घटनाओं का हवाला देकर अखिलेश को गठबंधन टूटने की सबसे बड़ी वजह बताई है।

रविवार को एक बंद बैठक में मायावती ने अपनी करारी हार को लेकर अपने विचार रखते हुए कहा कि चुनावों से पहले अखिलेश ने उनसे मुसलमानों को टिकट ना देने के लिए कहा था क्योंकि उनके मुताबिक उसकी वजह से तुष्टीकरण होगा और भाजपा को इससे फायदा पहुंचेगा। मायावती ने कहा कि उन्होंने अखिलेश के इन सुझावों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था।

इसके बाद उन्होंने कहा कि दलितों ने समाजवादी पार्टी को पूरी तरह नकार दिया क्योंकि पार्टी के शासन के समय दलितों पर खूब अत्याचार हुए थे। साथ ही यादवों ने भी सपा का समर्थन नहीं किया और समाजवादी पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी हार गए। इन दोनों का बुरा असर गठबंधन पर पड़ा और गठबंधन को वो जनसमर्थन नहीं मिल पाया जिसकी उन्हें आशा थी।

मायावती ने यह भी कहा कि हार के बाद अखिलेश का रवैया काफी निराशनजाक रहा और उन्होंने उनको फोन तक करने की ज़हमत नहीं उठाई। इसके उलट अखिलेश ने बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया। उन्होंने आगे कहा कि बड़े होने का फर्ज़ निभाते हुए काउंटिंग के दिन उन्होंने अखिलेश को फोन किया और उनके परिवारजनों के चुनाव हारने पर अफसोस जताया। मायावती ने अखिलेश के साथ-साथ उनके पिता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी आड़े हाथों लिया। मायावती ने कहा कि ‘ताज कॉरीडोर’ केस में भाजपा के साथ-साथ मुलायम सिंह ने भी उनको दोषी सिद्ध करने की भरपूर कोशिश की।

बता दें कि नतीजों के सामने आने के 10 दिन बाद ही मायावती ने अखिलेश से अलग होने का फैसला सार्वजनिक कर दिया था। तब उन्होंने कहा था ‘हमने एक दूसरे से सभी मतभेद भुलाकर साथ आने का निर्णय लिया था, लेकिन राजनीतिक विवशताओं के कारण अभी हमारा अलग होने में ही दोनों की भलाई है। हालांकि, भविष्य में अगर हमें दोबारा गठबंधन करने की जरूरत पड़ेगी, तो हम अवश्य उसपर विचार करेंगे’। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया था कि वे राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में अकेले ही चुनाव लड़ेंगी।

नतीजों में हार के बाद मायावती ने गठबंधन तोड़ने का फैसला तो सुना दिया था लेकिन अब उन्होंने विस्तृत रूप से अपने विचारों को सामने रखा है। यह इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि इन चुनावों में सबसे बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी को हुआ था और पिछले चुनावों में शून्य पर सिमटने वाली पार्टी बसपा को 10 सीटों पर जीत मिली। मायावती के इन आरोपों पर अखिलेश की ओर से अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है लेकिन उनकी प्रतिक्रिया का सबको इंतजार है।

Exit mobile version