आईसीसी का धोनी के स्पेशल ग्लोव्स पर आपत्ति उठाना उसके पक्षपाती रुख को दर्शाता है

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हाल ही में शुरू हुए आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका को 6 विकेट से हराया। जहां स्पिनर युजवेंद्र चहल ने चार विकेट चटकाते हुए दक्षिण अफ्रीका को महज 227/9 पर समेट दिया, तो वहीं रोहित शर्मा ने नाबाद 122 रन बनाकर भारत को विजय के पथ पर अग्रसर किया।

हालांकि, मैच के तुरंत बाद भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और विकटकीपर विवादों में घिर गये, जब आईसीसी ने भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के ग्लोव्स पर बने प्रतीक पर आपत्ति जताई। सूत्रों के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी ने इस मैच में जो ग्लोव्स पहने थे, उसपर बना प्रतीक चिह्न आईसीसी की आचार संहिता का उल्लंघन करता है, और इसलिए आईसीसी ने बीसीसीआई से निवेदन किया है कि इस प्रतीक चिन्ह को अविलंब इन ग्लोव्स से हटाया जाये। 

आईसीसी की जनरल मैनेजर [स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन्स] क्लेयर फरलॉन्ग ने एनआई से बातचीत में कहा धोनी के ग्लव्स को लेकर कहा था, “यह नियमों के ख़िलाफ़ है और हमने इसे हटाने का अनुरोध किया है।”

अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये विवाद किस बात पर उपजा? धोनी के ग्लोव्स पर बने बलिदान बैज के चिन्ह से आईसीसी को इतनी आपत्ति क्यों हो रही है? दरअसल, महेंद्र सिंह धोनी ने मैच के दौरान जो ग्लोव्स पहने थे, उनपर भारतीय थलसेना के पैराशूट रेजीमेन्ट की स्पेशल फोर्स का प्रतीक चिन्ह ‘बलिदान बैज’ अंकित था।  

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वयं महेंद्र सिंह धोनी भारतीय थलसेना के सदस्य है। महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट में उनकी उपलब्धियों के कारण साल 2011 में उन्हें भारतीय थलसेना की प्रादेशिक इकाई के तहत पैराशूट रेजीमेन्ट में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि प्रदान की गयी थी, और 2015 में उन्होंने बतौर पैराट्रूपर प्रशिक्षण भी लिया था।

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महेंद्र सिंह धोनी की देशभक्ति किसी से छुपी नहीं है, और जब उन्हें पिछले वर्ष पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया था तब उन्होंने पूरे यूनिफ़ॉर्म में एक आर्मी अफसर की भांति इसे ग्रहण किया था। इस बार के विश्व कप के पहले मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने ‘बलिदान बैज’ (सेना का प्रतीक चिह्न) चिन्ह वाले विककेटकीपिंग ग्लोव्स पहने, तो कई भारतीयों ने धोनी के इस निर्णय की खूब प्रशंसा भी की।  

जैसे ही सोशल मीडिया पर धोनी की तारीफ होने लगी इसके बाद आईसीसी ने इन ग्लोव्स पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए नियमों का उल्लंघन बताया और इसे न पहनने की बात कही। लेकिन यहां ये समझना मुश्किल है कि आखिर आईसीसी को ऐसी देशभक्ति से क्या आपत्ति है? जबकि आईसीसी की आचार संहिता के अनुसार आईसीसी के किसी भी अहम टूर्नामेंट में खिलाड़ी को ऐसा कोई प्रतीक चिन्ह नहीं पहनना चाहिए, जो या तो धार्मिक हो, या फिर राजनीतिक हो, या फिर नस्लभेद को बढ़ावा देता हो। यहां तक कि किसी खिलाड़ी को अगर कोई व्यक्तिगत संदेश भेजना हो, तो उसे भी आईसीसी से स्वीकृत कराना पड़ेगा।  

अब अगर इन आईसीसी के नियमों के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी के ग्लोव्स को देखा जाये, तो वो किसी भी स्थिति में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों पर सेना का प्रतीक चिन्ह (बलिदान बैज) अंकित होना उनके सेना के शौर्य के प्रति सम्मान को दर्शाता है। ऐसे में आईसीसी की आपत्ति न केवल अनुचित है, बल्कि पक्षपाती भी है। जब मैच से पहले दूसरे देश के खिलाडी मैदान में नमाज़ पढ़ सकते हैं, तो फिर महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स कैसे नियमों का उल्लंघन करते हैं?

आईसीसी को तब भी आपत्ति नहीं हुई, जब पिछले वर्ष ओवल टेस्ट में इंग्लैंड ने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले भारतीय एवं अंग्रेज़ी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी थी। आईसीसी को तब आपत्ति नहीं हुई थी भारतीय टीम और इंग्लैंड टीम के दोनों कप्तानों ने टॉस के समय महात्मा गांधी द्वारा निर्मित खादी पौपी को बतौर प्रतीक चिन्ह पहना था।

आईसीसी को तब भी आपत्ति नहीं होती, जब कुछ खिलाड़ी अपनी धार्मिक भावनाओं के सम्मान में कई स्पॉन्सर लोगो पहनने से मना कर देते हैं. लेकिन तब आपत्ति होने लगती है जब महेंद्र सिंह धोनी अपने देश की सेना के शौर्य के प्रति सम्मान को जताते हुए अपने दस्तानों पर पैरा स्पेशल फोर्स का प्रतीक चिन्ह पहनते हैं जो न ही राजनीति से जुदा है और न ही धर्म से और न ही नस्लभेदी है। इसे पक्षपाती रवैया न कहें तो क्या कहा जाये ?

आईसीसी का धोनी के दस्तानों को लेकर आपत्ति की खबर जैसे ह फैली वैसे ही इसका भारत में विरोध शुरू हो गया जो लाजमी भी है। #DhoniKeepTheGlove नामक ट्रेंड कुछ ही समय में ट्विट्टर पर वायरल हो गया। इस ट्रेंड के तहत कई भारतीयों ने अनुरोध किया है कि जब भारत 9 जून को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलने के लिए उतरे, तो महेंद्र सिंह धोनी अपने ‘स्पेशल ग्लोव्स’ पहन कर अवश्य खेलें। जाते जाते हम भी यही अनुरोध करेंगे कि 9 जून को होने वाले अगले मैच में भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ‘स्पेशल ग्लोव्स’ जरुर पहनना चाहिए क्योंकि उन्होंने किसी भी तरह के नियम का उल्लंघन नहीं किया है और आईसीसी को अपने इस पक्षपाती रुख पर एक बार विचार करना चाहिए.

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सच पूछें तो आईसीसी ने इस बार खुद मुसीबत को निमंत्रण भेजा है। अभी कल ही सम्पन्न हुए ऑस्ट्रेलिया बनाम वेस्टइंडीज़ के मैच में अधिकांश प्रशंसकों ने लचर अंपायरिंग पर सवाल उठाए थे। हालांकि, बीसीसीआई और दिग्गज खिलाड़ियों ने धोनी का समर्थन किया है। बीसीसीआई की प्रशासनिक समिति के मुखिया विनोद राय ने धोनी का समर्थन करते हुए कहा, “हम अपने खिलाडी के साथ खड़े हैं। धोनी के ग्लोव्स पर जो चिह्न है, वो न ही किसी धर्म का प्रतीक और न ही ये कमर्शल है। जहां तक पहले से अनुमति लेने की बात है तो हम इसके लिए आईसीसी से धोनी को ग्लोव्स के इस्तेमाल को लेकर अपील करेंगे।’

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