इमरान खान को अन्य देशों की समस्याओं की बहुत चिंता है, पर अपने देश की बदहाली की फ़िक्र नहीं

पाकिस्तान इमरान खान

PC: Zee News

पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की हालिया बैठक में उन्होंने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापते हुए ओआईसी के सदस्यों से इसमें उचित हस्तक्षेप की मांग की।

इमरान खान के अनुसार, ‘फिलस्तीन और कश्मीर के लोगों को सालों से उनका हक नहीं मिला है। उन्हें दबाया जा रहा है. हम तो चाहेंगे की यरूशलेम फिलिस्तीन की राजधानी बना दी जाए। अभी कश्मीर के लोगों को काफी अत्याचारों का सामना करना पड़ा है, और मैं चाहता हूं की ओआईसी के रूप में हम मुस्लिम दुनिया के साथ खड़े रहें।‘ऐसा लगता है कि दूसरे देशों में क्या चल रहा है इमरान खान को इस बात की बहुत चिंता है लेकिन उनके अपने इस्लामिक गणराज्य में क्या चल रहा है उससे उन्हें कोई मतलब नहीं है।

पाकिस्तान के अपने घर भले धू-धू कर जल रहा हो, पर मजाल है कि वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के अलावा कोई और मुद्दा उठा दे। यूएन हो या हो ओआईसी पाकिस्तान कश्मीर के अलावा कोई मुद्दा उठाना नहीं चाहता। उन्हें कश्मीरियों पर हो रहे कथित अत्याचार के लिए बड़ा अफसोस हो रहा है, पर खुद पाकिस्तान में अपने हक के लिए लड़ रहे नागरिकों पर ढाये जा रहे ज़ुल्मों पर मौन साधे बैठा।

जिस समय इमरान खान ओआईसी में कश्मीर राग आलाप रहे थे, उसी समय पाकिस्तान में 13 पशतून नेताओं की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई। कुछ ही दिनों पहले पाकिस्तानी सेना ने इन कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी थी की उनका समय अब खत्म होने वाला है। अब अगर बलूचिस्तान और पीओके के नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में ये हमारा मुंह न ही खुलवाए तो अच्छा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार तो होता ही है साथ ही व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण ईशनिंदा कानून के तहत कई बेगुनाहों को निशाना बनाया जाता है और उन्हें मौत की सजा सुना दी जाती है। ईशनिंदा जैसे कानून की वजह से पाकिस्तान में सिर्फ ईसाई ही नहीं बल्कि अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी इसी डर में जीते हैं कि कहीं उन्हें किसी झूठे आरोप में न फंसा दिया जाए। ईश निंदा के कानून के उल्लंघन के मामलों में जिस तरह पाकिस्तान के बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल कर दिया है, उसे लिखने के लिए तो शब्द भी कम पड़ेंगे। यहां तक कि ईसाई लड़कियों एवं हिंदू महिलाओं को भी नहीं बख्शा जा रहा है। हालिया मामले में एक ईसाई महिला का अपहरण कर उसका जबरन निकाह कराया गया, और साथ ही साथ धर्म परिवर्तन भी कराया गया।

इसी से जुड़े कई और मामले सामने आते रहे हैं..हाल ही रीना और रवीना नाम की हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन इसका ताजा उदाहरण भी है। दूसरों को सलाह देने से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पीएम अपने घर के अंदर नहीं झांकते। ऐसे में तो हमें ‘वक्त’ का बहुचर्चित संवाद बहुत अच्छी तरह याद आती है। गुस्ताखी माफ, पर इमरान सेठ, जिनके खुद के घर शीशे के हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। वाह क्या दोहरा रुख है इमरान खान का ..जिनके खुद के देश में अल्पसंख्यकों की हालत बदतर है और वो दूसरे देशों को सलाह देते फिरते हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसे बर्ताव करना चाहिए।

यही नहीं पाक पीएम  इमरान खान को मुसलमानों पर चीन के द्वारा हो रहे अत्याचार से कोई मतलब ही नहीं है। यहां तक कि चीन के अधिकारीयों द्वारा अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगुर समुदाय के लोगों के रोजा रखने पर भी पाबंदी लगाने की भी खबर सामने आई थी. इस मुद्दे को भी इमरान खान ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन की बैठक में नहीं उठाया। स्पष्ट है चीन के उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार हो, या फिर पाकिस्तान से स्थानीय लड़कियों की चीनियों द्वारा चल रही तस्करी का मामला हो, इमरान खान के लिए ये कोई गंभीर मुद्दे नहीं है। कई बार इमरान खान का ये दोहरा मापदंड सामने आता रहा है लेकिन फिर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने देश की समस्याओं के अलवा अन्य देशों की समस्याओं को लेकर चिंता ज्यादा रहती है..यही वजह है कि वो सिर्फ दूसरे देशों के मुद्दों को ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाते हैं .. यदि अब भी इमरान खान समय रहते नहीं चेते, तो वो दिन दूर नहीं, जब पाकिस्तान अंदरूनी कलह के चलते चार टुकड़ों में बंट जाएगा और इमरान खान के पास हाथ मलने के अलावा कोई उपाय नहीं बचेगा।

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