राहुल गांधी को तो छोड़िए, चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद उनके सभी करीबी लापता हो गए हैं

(PC: Zee News)

वर्ष 2019 के आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के पश्चात सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी जिम्मेदारियां बखूबी संभाल ली है। जहां एक तरफ एनडीए गठबंधन के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर काम करना शुरू कर दिया है, तो वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां अभी भी अपनी अप्रत्याशित हार को पचाने में असमर्थ दिखाई दे रही हैं।

अपनी हार के बाद कांग्रेस विपक्षी खेमे का नेतृत्व करते हुए बड़े ही बचकाने कदम उठा रही है। कहीं इनके अध्यक्ष को इस्तीफा देने से रोका जा रहा है, तो कहीं हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा जा रहा है। कांग्रेस अपनी हार को लेकर इतनी हताश है कि अध्यक्ष राहुल गांधी के सभी ऐसे विश्वासपात्र भी मानो अंतर्ध्यान हो गए हैं जो चुनावों से पहले और चुनावों के दौरान राहुल गांधी के पक्ष में हवा बनाने की भरपूर कोशिश कर रहे थे।

इस सूची में वो नाम शामिल है, जिन्होंने बढ़चढ़कर न केवल राहुल गांधी की छवि को सुधारने के लिए भरसक प्रयास किया,  बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी की छवि पर दाग लगाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। इस सूची में सर्वप्रथम नाम आता है कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग की विवादित प्रमुख और राहुल गांधी की विश्वसनीय माने जाने वाली पूर्व कन्नड़ अभिनेत्री दिव्या स्पन्दना। चुनाव के परिणाम घोषित किए जाने के बाद दिव्या ने निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय मिलने पर उन्हे बधाई देने के बाद अपना ट्विटर और इंस्टाग्राम डिलीट कर दिया। ANI के अनुसार, इनके ट्विट्टर अकाउंट पे अभी कोई ट्वीट नहीं दिखाई देता, और न ही इनके ट्विट्टर   बायो में इनके सोशल मीडिया प्रमुख होने का कोई प्रमाण मिलता है। ऐसे भी अटकलें लगाई जा रही है कि इन्हें कांग्रेस के आईटी सेल के प्रमुख के पद से हटा दिया गया है। दिव्या स्पंदना पर कांग्रेस के सोशल मीडिया अभियान को विवादों में घसीटने का आरोप कई बार लग चुका है, उन्होंने पीएम मोदी अथवा भाजपा के विरुद्ध विषैले ट्वीट पोस्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सनडे गार्डियन लाइव की एक रिपोर्ट की माने तो दिव्या स्पन्दना ने न केवल कांग्रेस की सोश्ल मीडिया टीम से नाता तोड़ा है, बल्कि अपनी सेवाओं के एवज में 8 करोड़ रुपये की धनराशि मांगी है।

राहुल गांधी के एक और विश्वसनीय मातहत हैं जो आजकल गायब चल रहे हैं, और वो हैं चुनाव विश्लेषक और शक्ति एप्प के जनक प्रवीण चक्रवर्ती। वरिष्ठ नेताओं के अनुसार पार्टी द्वारा इनसे संपर्क साधने के काफी प्रयास किए गए हैं, पर इनका पता लगाने में पार्टी को असफलता ही हाथ लगी है। ये वही प्रवीण चक्रवर्ती हैं, जिन्होंने वर्ष 2019 की शुरुआत में भाजपा के अल्पमत में होने की अटकलें फैलाई थी, और ये भी दावा किया की 2019 के चुनावों में भाजपा को 130 से ज़्यादा सीटें नहीं मिलेगी।

इंडियन नेशनल काँग्रेस के डाटा एनालिटिक्स विभाग के प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती ने उसी कांग्रेस अभियान का नेतृत्व किया था, जिसने एक्ज़िट पोल के सभी आंकड़ों को झुठलाने का हरसंभव प्रयास किया। इतना ही नहीं, इन्होंने कांग्रेस को यह भी समझाया की पार्टी किसी भी सूरत में 164 से कम सीटें नहीं लाएगी। सनडे गार्डियन लाइव की रिपोर्ट के अनुसार प्रवीण चक्रवर्ती ने अपनी सेवाओं के लिए पूरे 24 करोड़ रुपये की रसीद थमाई है। मजे की बात तो यह है की इन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान इकट्ठा किए उस विशिष्ट डाटा की हार्ड डिस्क अभी तक काँग्रेस पार्टी को नहीं थमाई है, जिसके लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी को इतना बड़ा बिल थमाया है।

कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव में अप्रत्याशित पराजय से ज्यादा खतरनाक चुनाव के बाद पार्टी में हो रही वर्तमान गतिविधियां है। कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में कार्यरत 8 व्यक्तियों में से चार लोगों ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। इतना ही नहीं, पार्टी के शीर्ष सलाहकार एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता भी अब पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं, जो पार्टी के लिए बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। ऐसे में यदि कांग्रेस अपनी अपनी पार्टी में अब भी सुधार नहीं करती है, तो काँग्रेस का राजनीतिक हाशिये पर जाना लगभग तय है।   

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