अशोक गहलोत ने खुद राज्य में कोई काम नहीं किया अब बेटे की हार का ठीकरा पायलट पर फोड़ रहे हैं

अशोक गहलोत

PC: Newsd

राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद खुद को सिंहासन का राजा समझने वाली कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया और इसके साथ ही अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अपने ही दिग्गज नेताओं पर भड़ास निकाल रहे हैं। जोधपुर सीट पर बेटे वैभव की करारी हार से अशोक तिलिमिलाए से नजर आ रहे हैं और अब उन्होंने हार का ठीकरा सचिन पायलट पर फोड़ दिया है। आपको बता दें कि, राजस्थान में मिली बड़ी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अशोक पर गुस्सा जाहिर किया था।

राजस्थान की 25 में से 25 सीटों पर कमल खिलने के साथ ही पंजा(कांग्रेस) पूरी तरह से जख्मी हो गया था। दिलचस्प बात यह है कि, कांग्रेस का यह हाल तब हुआ है जब राज्य में कुछ समय पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा पेश किया था। इस बड़ी जीत के बाद राजस्थान कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता जोश से लबरेज नजर आ रहे थे, लेकिन इन लोकसभा चुनाव में मिली सबसे बड़ी हार के बाद इन सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया और अब सीएम अशोक गहलोत अपने ही नेताओं पर आरोप मढ़ने में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि, अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर लोकसभा सीट से भाजपा के नेता ने गजेंद्र सिंह शेखावत ने 274440 वोटों के भारी अंतर से हराया। इस हार से अब अशोक गहलोत पूरी तरह से तिलमिलाए हुए हैं और अब उन्होंने इस हार का जिम्मा सचिन पायलट को लेने के लिए कहा है। अशोक गहलोत ने एक चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा ‘जोधपुर सीट से मेरे बेटे का नाम सचिन पायलट ने ही सुझाया था और उनका कहना था कि इस सीट पर वैभव की बड़ी जीत होगी क्योंकि इस सीट पर हमारे 6 विधायक हैं और प्रचार भी काफी बड़े लेवल पर हुआ था। तो मुझे लगता है कि इस बड़ी हार के बाद इसका जिम्मा सचिन पायलट को ही लेना चाहिए, साथ ही इस सीट पर अब हार का पोस्टमार्ट्म होगा कि हम यह सीट क्यों नहीं जीत पाये।‘  वहीं गहलोत के इस बयान पर सचिन पायलट ने कोई प्रतिक्रिया न देते हुए हैरानी जताई है, साथ ही पायलट के समर्थकों ने अशोक के इस बयान को लेकर गुस्सा जाहिर किया है और हार के पीछे उनके काम करने के तरीके को बताया है। लेकिन अब यह तो तय है कि इन दो बड़े नेताओं के बीच आने वाले समय में आरोप-प्रत्यारोप का दौर अधिक होने से सरकार में उठापटक भी देखने को मिल सकता है।

विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा दोनों ही बड़े चुनावों में कांग्रेस के लिए सचिन पायलट ने काफी मेहनत की थी, और उनकी यह भूमिका कार्यकर्ताओं में भी नया जोश भरने में कामयाब रही थी। लेकिन अब अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी को बचाने की पूरी कोशिश करते हुए हार की ज़िम्मेदारी खुद न लेकर दूसरों पर आरोप लगाने में लगे हुए हैं। इसके पीछे की मंशा सीएम की कुर्सी बचाना तो है ही साथ ही अपने बेटे के राजनीतिक करियर में सुधार लाना भी माना जा रहा है। बता दें कि, जब 2018 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी तो सचिन पायलट का नाम ही सीएम की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था लेकिन बाद में अशोक गहलोत को राज्य का सीएम बनाया गया।

गहलोत का यह रवैया साफ दर्शाता है कि उन्हें सिर्फ कुर्सी से प्रेम है, वह राज्य का विकास और जनता की भलाई नहीं चाहते हैं। आपको बता दें कि, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मिली हार के बाद राहुल गांधी भी दोनों राज्यों के सीएम से काफी खफा नजर आए थे ऐसे में अब कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद राज्यों के गहलोत और पायलट के समर्थक आमने-सामने हैं साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी अंदरूनी बहस छिड़ गई है। अब देखना होगा कि, क्या आने वाले समय में गहलोत को अपनी कुर्सी छोडने पड़ती है या फिर वह अपनी राज्य का भला करने की बजाय अपनी घटिया राजनीति से कुर्सी बचाने पर लगे रहेंगे।

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