सेबी के आदेश के बावजूद प्रणॉय रॉय एडिटर्स गिल्ड के पूर्ण सदस्य बने हुए हैं

एनडीटीवी

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सेक्युरिटिस एंड एक्स्चेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानि सेबी ने एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय को सेक्युरिटिस मार्केट में किसी भी प्रकार के लेनदेन करने से दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा सेबी ने दोनों को एनडीटीवी के डाइरेक्टर या कंपनी के अन्य किसी महत्वपूर्ण पद पर बने रहने पर भी दो साल के लिए रोक लगा दी है। सेबी ने आरोप लगाया है कि प्रणव रॉय और राधिका रॉय ने वीसीपीएल (विश्व प्रधान कामर्शियल प्राइवेट लिमिटेड) और आईसीआईसीआई बैंक से हुए उनके लोन एग्रीमेंट के बारे में शेयरधारकों को जानकारी नहीं दी। हालांकि, देश का लेफ्ट लिबरल मीडिया इन दोनों की निंदा करने की बजाय इन्ही के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। सेबी ने अपने आदेश में साफ कहा है कि प्रणॉय रॉय एनडीटीवी के डाइरेक्टर या कंपनी के अन्य किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं बने रह सकते हैं लेकिन उसके बाद भी उन्हें एडिटर्स गिल्ड के पूर्ण सदस्यों की सूची से नहीं हटाया गया है। आपको बता दें कि इस वक्त शेखर गुप्ता एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष हैं जो कि ‘द प्रिंट’ मीडिया समूह के संस्थापक भी हैं।

अपने 51 पेज के आदेश में सेबी ने कहा है कि प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय समेत एनडीटीवी के तीनों मुख्य प्रमोटर्स ने अपने महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन की जानकारी अन्य अंशधारियों के साथ साझा नहीं की और उन्हें अंधेरे में रखा गया। आदेश में लिखा गया है ‘एनडीटीवी के शेयरधारकों के हितों पर प्रभाव डालने वाले प्रतिकूल नियमों और शर्तों के बारे में जानकारी को छिपाकर निवेशकों को ठगने की एक योजना बनाई गई, जिससे निर्दोष निवेशकों ने एनडीटीवी के शेयरों से संबन्धित इस तरह के प्रतिकूल घटनाक्रमों से बेखबर होकर ट्रेडिंग जारी रखी’। बता दें कि एनडीटीवी के एक शेयर होल्डर ‘क्वांटम सेक्युरिटिस प्राइवेट लिमिटेड ने इस बारे में 2017 में सेबी से शिकायत की थी, कि कंपनी के कई लोन एग्रीमेंट शेयरधारकों से छुपाए गए हैं। इसी शिकायत के आधार पर अब सेबी ने यह कार्रवाई की है।

यहां हैरानी की बात तो यह है कि सेबी के आदेश के बावजूद उनसे अब तक एडिटर्स गिल्ड की पूर्ण सदस्यता नहीं छीनी गयी है। एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष और द प्रिंट के संस्थापक शेखर गुप्ता ने अब तक उनपर कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसा करके उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से प्रणॉय रॉय के गैर-कानूनी कृत्यों को अपनी स्वीकृति दी है। शेखर गुप्ता को अपने निजी पक्षपात को परे रख एडिटर्स गिल्ड जैसे संस्था की प्रतिष्ठा के लिए जल्द से जल्द प्रणॉय रॉय पर कार्रवाई करनी चाहिए और उनसे एडिटर्स गिल्ड की पूर्ण सदस्यता अविलंब छीन लेनी चाहिए।

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