तनुश्री दत्ता अगर आपको पुलिस से आपत्ति है तो कोर्ट जाइये अपील करिये

हाल ही में मुंबई पुलिस ने प्रसिद्ध अभिनेता नाना पाटेकर को पूर्व अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के यौन शोषण मामले में निर्दोष करार दिया है। तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज़’ के सेट्स पर बदतमीजी से पेश आने का आरोप लगाया था। इसी से संबन्धित मामले में मुंबई पुलिस ने क्लोज़र रिपोर्ट दायर करते हुये कहा, ‘नाना पाटेकर के विरुद्ध लगाए गये आरोप निराधार हैं। ये आरोप गलत नीयत से नाना पाटेकर पर मढ़े गए थे और तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर के विरुद्ध झूठी शिकायत दर्ज़ की है।‘

लेकिन लगता है कि तनुश्री दत्ता इस बात को अभी तक नहीं पचा पायी है। शायद यही कारण है कि तनुश्री ने अब इस मामले में गवाहों को डराने और धमकाने का आरोप लगाया है। उन्होंने तो पुलिस पर नाना पाटेकर से घूस लेकर क्लीन चिट देने का आरोप भी लगाया है। तनुश्री के अनुसार, ‘पहले ही दिन से पुलिस और अभियुक्त मिले हुए थे। मैं पूछना चाहती हूं कि आखिर कितने पैसे देकर नाना और उसके लोगों ने पुलिस को ऐसी रिपोर्ट देने के लिए विवश किया है, और मुझे झूठी और ढोंगी सिद्ध करने का प्रयास किया गया है?

इतना ही नहीं, तनुश्री ने पुलिस पर अपने क्लोज़र रिपोर्ट में झूठ बोलने और साक्ष्यों के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया है। अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘नाना पाटेकर के मामले में मुंबई पुलिस मुझसे झूठ बोल रही है कि सिंटा (CINTAA) के साथ की गई मेरी शिकायत में मैंने यौन उत्पीडन की बात का जिक्र नहीं किया था। जबकि 2008 में मैंने सिंटा को अपनी शिकायत पत्र की कॉपी यौन उत्पीडन की बात का जिक्र किया गया था। इस शिकायत पत्र को 2018 की मेरी FIR में भी जोड़ा गया था। यह भ्रष्टाचार की हद है. वो कैसे सबूतों को तोड़-मरोड़ सकते हैं ताकि आरोपियों को बचा कर चीजों को उल्टा मेरे ही खिलाफ लाया जा सके.”

तनुश्री ने आगे कहा, “साल 2008 में उन्होंने मेरी एफ़आईआर भी दर्ज़ करने से मना कर दिया था और अभियुक्त को बचाने के लिए शिकायत को तोड़ मरोड़ कर अदालत के सामने पेश किया. सभी को पता है कि सिंटा ने शिकायत पर काम नहीं हो पाने के लिए एक लिखित माफीनामा जारी किया था. सिंटा के द्वारा जारी किया गया ये माफीनामा मीडिया में छपा था और हमने इसे पुलिस को सौंपा था ताकि चीजों को साबित किया जा सके.”

पर हद तो तब हो गयी, जब तनुश्री ने पुलिस पर आरोप मढ़ते मढ़ते प्रधानमंत्री मोदी को भी लपेटे में ले लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की देश को लेकर दृष्टि पर भी सवाल उठाए और पूछा की आखिर उनके देश में बेटियों को ऐसी परेशानियों से क्यों जूझना पड़ता है। तनुश्री ने कहा, ‘”मोदी जी.. भ्रष्टाचार मुक्त भारत का क्या हुआ? एक सीरियल ऑफेंडर के द्वारा देश की एक बेटी के साथ हरासमेंट होता है, भीड़ खुलेआम हमला करती है, बार बार न्याय नहीं मिलता, झूठा ठहराया जाता है. उसे धमकाया जाता है और दबाव बनाया जाता है, करियर खत्म कर दिया जाता है. उसे मजबूर कर दिया जाता है दूसरे देश में जाकर गुमनाम जिंदगी जीने के लिए और पुलिस कहती है कि शिकायत झूठी है और फर्जी है!!! यही है आपका राम राज्य़?? एक हिंदू परिवार में पैदा होने के नाते मैंने तो सुना था कि राम नाम सत्य है. तो फिर क्यों इस देश में असत्य और अधर्म की बार बार विजय होती रही है?? जवाब दीजिए मुझे…”

अब यहां पर यह जानना बहुत आवश्यक है कि नाना पाटेकर को न्यायालय से पहले पुलिस ने दोषमुक्त कर दिया है। यह पुलिस और न्यायपालिका से जुड़े कानून प्रवर्तन तंत्र का एक अहम भाग है। ऐसे में पीएम मोदी के हस्तक्षेप का कोई औचित्य ही नहीं है, क्योंकि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बट्टा लगेगा और न्याय देने की प्रक्रिया में भी बाधाएं उत्पन्न होंगी। हमारे संविधान ने भी सरकार के हर विभाग के लिए एक निश्चित सीमा तय की है। ऐसे में सरकार के किसी भी विभाग को अपनी हदें लांघकर तुष्टीकरण की राजनीति को बिलकुल बढ़ावा नहीं देना चाहिए, और न ही किसी और विभाग के काम में हस्तक्षेप करना चाहिए ।

यदि तनुश्री दत्ता को पुलिस की नीतियों से आपत्ति है, तो उन्हें इसे लेकर न्यायपालिका को सूचित करना चाहिए, न कि मीडिया और प्रधानमंत्री मोदी को। बिना किसी साक्ष्य के पुलिस पर आरोप मढ़ने से आरोप सच नहीं हो जाते। और यदि इन आरोपों के समर्थन में कोई साक्ष्य हैं भी, तो आगे का निर्णय न्यायपालिका के अधीन होना चाहिए, और ऐसे में तनुश्री दत्ता का पीएम मोदी को इस मामले में अकारण घसीटना न केवल अनुचित है, बल्कि न्यायपालिका की दृष्टि से अमर्यादित भी।

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