सपा सांसद ने वंदे मातरम को बताया इस्लाम के खिलाफ तो भाजपा ने दिया जवाब

भारत के संविधान का 99वां अनुच्छेद के अनुसार निर्वाचित सदस्य तीसरी अनुसूची में निर्धारित प्रपत्र के अनुसार संसद के दोनों सदनों में से प्रत्येक सदस्य अपनी सीट लेने से पहले, राष्ट्रपति के समक्ष अपनी सदस्यता का शपथ लेते हैं। सभी पार्टियों के निर्वाचित सदस्यों के साथ लोकसभा में आज समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अपना शपथ उर्दू में लिया और शपथ के अंत में उन्होनें संविधान जिंदाबाद बोला पर साथ ही वंदे मातरम कहने से खुद ही इंकार कर दिया।

बता दें कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हो चुका है और संविधान के नियमों के अनुसार [पहले दो दिन लोकसभा के सभी सांसद शपथ लेंगे और ये शपथ कार्यवाहक लोकसभा अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार दिलाएंगे। सोमवार को सबसे पहले प्रधानमंत्री  मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी में शपथ ली। इसके बाद एक एक करके सभी सांसद शपथ की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं। इस दौरान आज दूसरे दिन सपा सांसद शफीकुर्रहमान ने शपथ लेने के बाद एक नए विवाद को जन्म दे दिया। दरअसल, सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने शपथ लेने के बाद बेवजह वन्दे मातरम न बोलने की बात कही और अपने तर्क देने लगे। उन्होंने कहा, ‘जहां तक वंदे मातरम का ताल्लुक है, यह इस्लाम के खिलाफ है इसलिए हम इसका अनुसरण नहीं कर सकते।’  शफीकुर्रहमान बर्क के इस कथन पर पूरे संसद में भाजपा नेताओं ने इसे शमर्नाक करार देते हुए जोर जोर से ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाने लगे जिससे शफीकुर्रहमान बर्क बिना हस्ताक्षर किये ही जाने लगे तब उन्हें हस्ताक्षर के लिए याद दिलाया गया।

जिस तरह से शफीकुर्रहमान बर्क ने यहां वंदे मातरम का मुद्दा उठाया वो न सिर्फ बेतुका था बल्कि जानबूझकर एक नए विवाद को जन्म देने वाला था। वो बिना वंदे मातरम कहे ही जय हिंद का नारा देकर भी तो अपनी शपथ पूरा कर सकते थे लेकिन उन्हें यहां भी धर्म की राजनीति करने से फुर्सत नहीं मिली। उन्होंने ऐसा करके संसद की गरिमा को भी भंग किया है जो एक जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देता। हालांकि, भाजपा के सांसदों ने अपने नारों से उनकी इस गंदी राजनीति और बेमतलब के विवाद की धज्जियां उड़ा दी।

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