आखिर अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाने के क्या मायने हैं?

अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस पार्टी

(PC: PTI)

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करने से इंकार करने के बाद अब पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया है। उन्हें लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की जगह कांग्रेस की कमान सौंपी गई है, क्योंकि खड़गे को इन चुनावों में जीत हासिल नहीं हो पाई थी। अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं और प्रतिकूल स्थिति में भी उन्होंने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटें दिलवाने में कामयाबी दिलाई थी। अब माना यह जा रहा है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल के इस नेता को लोकसभा का नेता बनाकर राज्य के लोगों में अपने लिए विश्वास पैदा करना चाहती है ताकि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को थोड़ा फायदा हो सके।

अधीर रंजन को कांग्रेस के नेता के तौर पर चुना जाना एक हैरान करने वाला फैसला था क्योंकि सब लोग मनीष तिवारी, शशि थरूर और के. सुरेश जैसे नेताओं को कांग्रेस के अगले लोकसभा नेता के बड़े दावेदार के तौर पर देख रहे थे। हालांकि, कांग्रेस ने रंजन को यह ज़िम्मेदारी सौंपकर एक बड़ी राजनीतिक चाल चली है। बता दें कि रंजन बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद है और यहां उनकी पकड़ काफी मजबूत है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 1999 के बाद से वो अब तक इस सीट से एक भी लोकसभा चुनाव नहीं हारे हैं, और वे लगातार सांसद चुनते आ रहे हैं।

अधीर रंजन को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है और उन्होंने वर्ष 2003 के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत में एक अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस को इन चुनावों में कड़ी हार मिली,और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस के पास स्थानीय नेताओं की बहुत भारी कमी है। हालत ये है कि कांग्रेस को असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना जैसे राज्यों की विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी होने के दर्जा भी हासिल नहीं है। पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी के उदय से कम से कम इस राज्य में तो कांग्रेस की यह बड़ी मुश्किल हल होती दिखाई दे रही है।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के लिए इस बार के लोकसभा चुनावों में स्थिति बेहद प्रतिकूल थी। भाजपा और टीएमसी जैसी बड़ी पार्टियों के बीच सीधी टक्कर थी। लेकीन इस स्थिति में भी कांग्रेस दो सीटें पाने में कामयाब रही। वहीं राज्य में लेफ्ट पार्टियों का पूरी तरह सफाया हो चुका है और जो लोग बीजेपी और टीएमसी जैसी पार्टियों की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं ऐसे में  उनके लिए कांग्रेस एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। ऐसे में सब राज्यों में मिलती हार के बीच कांग्रेस के लिए पश्चिम बंगाल से राहत की खबर आ सकती है।

अभी अधीर रंजन चौधरी जिस पश्चिम बंगाल के बहरामपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, उस सीट पर मुस्लिमों का वर्चस्व काफी ज़्यादा है। इस राज्य में मुस्लिमों की आबादी लगभग 53 फीसदी है। ऐसे में अगर कांग्रेस अधीर रंजन चौधरी को राज्य में एक बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करती है तो उसे मुस्लिम समुदाय का भी समर्थन मिल सकता है। कुल मिलाकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए अधीर रंजन चौधरी एक बड़ा फ़ैक्टर साबित हो सकते हैं और पार्टी को पश्चिम बंगाल में अपना जनाधार मजबूत करने में आसानी हो सकती है। इसी समीकरण को देखते हुए ही इस बार कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया है।

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