देश के गृहमंत्री अमित शाह इस बार फुल एक्शन मोड में आ चुके हैं। हाल ही में उन्होंने सदन में चर्चा के दौरान घोषणा की है कि वे अवैध घुसपैठियों को भारत की भूमि पर अब नहीं रहने देंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि देश की इंच-इंच जमीन से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित किया जाएगा, साथ ही उन्होंने अपनी रणनीति भी बताई कि कैसे वो देश से घुसपैठियों को देश से बाहर निकालेंगे।
राज्य सभा में प्रारम्भ हुए प्रश्नकाल के समय अमित शाह से जब सवाल किया गया कि एनआरसी पर भाजपा सरकार का वर्तमान मत क्या है, तो उन्होंने अपने उत्तर में स्पष्ट बताया, ‘सभी ने सदन में राष्ट्रपति का भाषण सुना होगा, जिस घोषणापत्र के आधार पर हम चुनकार आये हैं उसमें भी यह बात कही गई है। देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी अवैध अप्रवासी रहते हैं, घुसपैठिए रहते हैं, इनकी हम पहचान करने वाले हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हम इनको डिपोर्ट करेंगे।“
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने आगे बताया कि ऐसे अवैध शरणार्थियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने द फॉरेनर्स एक्ट 1946 के धारा 3 को लागू किया है, जो अवैध रूप से रह रहे विदेशी व्यक्तियों को पकड़कर वापिस उनके घर डिपोर्ट कराने की स्वतंत्रता देती है। इस दौरान जब उनसे यह प्रश्न पूछा गया कि अवैध घुसपैठियों को कैसे रोका जाएगा, तो अमित शाह ने इसके लिए अपनी रणनीति भी समझाई। उन्होंने बताया कि अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक बाड़ लगाएगी, बॉर्डर पर बाड़ का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक निगरानी वाले उपकरणों से किया जाएगा, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, नाइट विजन उपकरण भी शामिल होंगे। इसके साथ ही सुरक्षाबलों को सीमापार किसी भी गतिविधि के प्रति सतर्कता बढ़ाई जाएगी। इसका मतलब साफ़ है देश में घुसपैठियों को प्रवेश का कोई मौका नहीं मिलने वाला है।
अवैध शरणार्थियों की समस्या भारत के लिए कोई नयी बात नहीं है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय से ही कई बांग्लादेशी शरणार्थी हजारों की संख्या में भारत आये थे। उस समय पाकिस्तान ने ऑपरेशन सर्चलाइट के अंतर्गत पूरे पूर्वी पाकिस्तान [अब बांग्लादेश] में त्राहिमाम मचा रखा था, जिसके कारण इन शरणार्थियों के पास भारत आने के सिवा और कोई चारा नहीं था।
परंतु पिछले कुछ वर्षों में चाहे अवैध रूप से भारत में बांग्लादेशियों का प्रवेश हो, या फिर रोहिंग्या के घुसपैठियों का भारत में अनधिकृत प्रवेश हो, भारत को अवैध घुसपैठियों की समस्या के कारण बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये अवैध घुसपैठी जिस भी राज्य में प्रवेश करते हैं, वहां अपराध दर में वृद्धि का प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। ये घुसपैठिये देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. ऐसे में अमित शाह का इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना सराहनीय है.
दुर्भाग्यवश ममता बनर्जी जैसे कुछ सेक्यूलर राजनेता भी हैं, जो केवल वोट बैंक की संकुचित राजनीति के कारण इन अवैध प्रवासियों को अपने राज्य में शरण देते हैं। इससे न सिर्फ बंगाल के विकास में बाधा आती है, अपितु इन अवैध घुसपैठियों को अपनी मनमानी करने की पूर्ण स्वतन्त्रता मिलती है।
इन्ही मामलों पर संज्ञान लेते हुए भाजपा ने पिछले वर्ष नागरिकों हेतु राष्ट्रीय रजिस्टर [एनआरसी] को लागू किया था, जिसके तहत उक्त क्षेत्रों के सभी भारतीय नागरिकों की पहचान कर अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया गया। असम के बाद अब एनआरसी विशेषकर बांग्लादेश से सटे राज्यों जैसे मेघालय, पश्चिम बंगाल के अलावा देश के अन्य राज्यों में लागू जाएगी।
गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय के अनुसार, “NRC को लागू करने में सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और सरकार के पास 25 लाख से अधिक ऐसे आवेदन मिले हैं जिनमें यह कहा गया कि कुछ भारतीयों को भारत का नागरिक नहीं माना गया है जबकि NRC में कुछ ऐसे नागरिकों को भारतीय मान लिया गया है, जो बाहर से आए हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इन आवेदनों पर विचार करने के लिए सरकार को थोड़ा समय दिया जाए।“ राय ने आगे बताया कि शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार, असम में NRC को 31 जुलाई 2019 तक प्रकाशित किया जाना है।
इससे स्पष्ट है कि हमारे वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह भारत को अवैध घुसपैठियों की समस्या से मुक्त कराने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं। हाल ही में जब सरकार को एनआईए को और मजबूत बनाने के लिए एक संशोधन बिल दोनों सदनों में पारित कराना था, तब अमित शाह ने मजबूती के साथ सभी सभी सवालों के जवाब दिए थे।
जब एनआईए को और मजबूत बनाने वाले बिल का विवादित कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध किया, और पूछा की कहीं इसका दुरुपयोग तो नहीं होगा, तो अमित शाह ने उन्हीं की पूर्व सरकार की पोल खोलते हुए समझौता ब्लास्ट पर काँग्रेस द्वारा फैलाये गए हिन्दू आतंकवाद के झूठ की याद दिलाई और कहा, “समझौता ब्लास्ट के अंतर्गत सात लोगों को हिरासत में लिया गया। असली अभियुक्तों को रिहा कर एक नया केस बनाया गया, जिसके अंतर्गत एक धर्म विशेष के लोगों को निशाना बनाने का प्रयास किया गया और नए लोगों को हिरासत में लिया गया था। उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिला था। इस बात के लिए कौन दोषी है कि आज तक समझौता के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला? क्योंकि यह हम नहीं हैं।”
जबसे अमित शाह गृह मंत्री बने हैं, तब से उन्हें निरंतर अपने प्रयासों से साबित किया है कि वे केवल औपचारिकता के लिए गृह मंत्री नहीं बने है। उनके समक्ष निरंतर चुनौतियों बनी हुई है, परंतु जिस तरह अमित शाह इन चुनौतियों से बिना घबराए निरंतर भारत की वृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं, इससे एक बात तो साफ है, की अब देश के शत्रुओं की खैर नहीं।