पाकिस्तानी सेना के प्रोपेगैंडा-इन चीफ ने फेक वीडियो के सहारे बालाकोट एपिसोड को अपनी जीत बताया

दुनिया में कुछ भी हो सकता है, पर हमारा पड़ोसी देश झूठ बोलने से बाज़ आ जाये, ऐसा नहीं हो सकता। हमारे पड़ोसी देश के वज़ीर-ए-आज़म की अमेरिका में हुई बेइज्जती को एक हफ्ता भी नहीं बीता होगा की पाक आर्मी के प्रवक्ता आसिफ़ गफूर ने एक ट्वीट पोस्ट कर पाक को फिर विवादों के केंद्र में खड़ा कर दिया है।

पाक आर्मी के प्रवक्ता आसिफ गफ़ूर ने हाल ही में एक ट्वीट पोस्ट किया –

https://twitter.com/peaceforchange/status/1155328806246408194

इस ट्वीट के अनुसार भारतीय वायुसेना के एक वयोवृद्ध अफसर इस बात को स्वीकारते हैं की 27 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के हवाई हमलों के जवाब में भारतीय कार्रवाई असफल साबित हुई थी। आसिफ़ गफूर ने अप्रत्यक्ष रूप से इसी अफसर के बयानों का हवाला देते हुये बालाकोट, चकोटी और मुज़फ्फ़राबाद में भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक को भी असफल ठहराने का प्रयास किया।

हालांकि जांच पड़ताल करने पर पता चला, की जिन वयोवृद्ध अफसर की बात आसिफ गफ़ूर कर रहे थे, वे दरअसल कोई और नहीं, अपितु सेवानिर्वृत्त एयर मार्शल डेंजिल कीलर थे, जिन्होंने अपने भाई ट्रेवर के साथ मिलकर 1965 के भारत पाक युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुये पाकिस्तान के घातक सेबर  जेट मार गिराए थे, जिनके लिए इन्हे और इनके छोटे भाई ट्रेवर को भारत सरकार ने वीर चक्र के पुरस्कार से सुशोभित किया था। यही नहीं, जिस विडियो को आसिफ गफ़ूर दिखा रहे थे, वो केवल पूरी बातचीत का अंश मात्र था, और ये विडियो 2019 का नहीं, 2015 में रिलीज़ हुआ था।

वास्तविक वीडियो में एयर मार्शल डेंजिल कीलर ने 1965 के अपने अनुभव को साझा किया, जिसमें उन्होने नेहरू को वायु सेना की शुरुआती असफलताओं के लिए दोषी भी ठहराया। आपको ज्ञात हो की 1962 में स्थिति अनुकूल होने के बावजूद जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय वायुसेना को युद्धभूमि में जाने की अनुमति नहीं दी, जबकि सैन्य शक्ति के मामले में भारतीय वायुसेना उस समय की चीनी वायुसेना से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली हुआ करता था।

डेंजिल कीलर के अनुसार, ‘कुछ पराजय आपको अच्छी नहीं लगती, जिनके कारण अनुभवहीनता हो, या फिर नीतिगत पराजय हो। अनुभवहीनता के कारण अगर आप हारे, तो यह अच्छी बात नहीं है। पाकिस्तान के पास उस समय की वायुसेना के हिसाब से सभी सुविधाएं उपलब्ध थी, पर हमारे पास ऐसा कुछ नहीं था। वो युद्ध [1962] हम नेहरू के कारण हार गए थे। ये शुरू भी उनकी वजह से हुआ और वही इस युद्ध में हमारी हार का कारण भी बने। लड़ने की बात तो छोड़िए, हमारे जवानों के पास पर्याप्त ऊनी कपड़े भी नहीं थे जब उन्हे इस युद्ध में धकेला गया था।

ऐसे में आसिफ गफ़ूर का यह ट्वीट न केवल भ्रामक है, बल्कि भारत और पाक में मौजूदा तनाव की स्थिति को भड़काने की दिशा में एक बेहद बचकाना प्रयास है। इसके लिए इन्हे सोशल मीडिया पर भी जमकर लताड़ा गया। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब आसिफ गफ़ूर ने भ्रामक खबरें प्रकाशित कर स्थिति बिगाड़ने का प्रयास किया हो। पुलवामा हमले के 8 दिन बाद एक प्रेस वार्ता में आसिफ गफ़ूर ने हमले के पीछे भारत को ही दोषी ठहराया, और साथ ही साथ हर बार की तरह भारत को परमाणु बम के नाम पर धमकियाँ भी दी।

परंतु जब भारत ने एयर स्ट्राइक्स किए, तो यही आसिफ गफ़ूर जवाबी हमलों के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन के पकड़े जाने पर बड़े गर्व से बताने लागे की भारतीय वायुसेना के 2 पायलट को पकड़ लिया गया था। परंतु बाद में पता चला की उनमें से एक तो पाकिस्तानी वायुसेना का ही अफसर निकला, जिन्हें स्थानीय लोगों ने हिंदुस्तानी समझकर बहुत बुरी तरह पीटा था।

ऐसे में आसिफ गफ़ूर के भ्रामक ट्वीट से साफ पता चलता है की हमारा पड़ोसी देश आज भी भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ये विडम्बना है कि जिस देश में खाने पीने के भी लाले पड़े हों, वहाँ के अफसर स्थिति सुधारने के बजाए भारत के विरुद्ध भड़काऊ भाषण और पोस्ट देने में ही अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।      

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