शहीद भगत सिंह को हम सब जानते हैं। वही भगत सिंह जो करोड़ों युवाओं की प्रेरणा के रूप में सदा के लिए अमर हो गए। हालांकि, देश में एक और ऐसे महान क्रांतिकारी थे, जो भगत सिंह जैसे वीर और प्रतिभावान होने के बाद भी गुमनामी के अंधकार में सदा के लिए खो गए। उनका नाम था बटुकेश्वर दत्त, वही बटुकेश्वर दत्त, जिन्होंने अग्रेज़ों से भरी सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फोड़ने में भगत सिंह का साथ दिया था, और जिनकी कल 54वीं पुण्यतिथि थी। इसके लिए उन्हें भगत सिंह के साथ ही अंग्रेजों द्वारा कई यात्नाएं दी गई और कई सालों तक जेल में बंद रखा गया।
आज़ादी के बाद तो देश की सरकारों ने उन्हें हमेशा के लिए भुला दिया, लेकिन अब केंद्र की भाजपा सरकार ने उनको उनका सम्मान दिलाने का बीड़ा उठा लिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने अब पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बटुकेश्वर दत्त के नाम पर रखने की घोषणा की है। कल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने इसकी घोषणा की।
केंद्र सरकार के इस कदम से जहां एक महान क्रांतिकारी को सम्मान दिया गया है, तो वहीं इस कदम का राजनीतिक पहलू भी है। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में वोटर्स में राष्ट्रभक्ति की भावना जगाने के लिए भाजपा ने यह बढ़िया दांव चला है। इस कदम का भाजपा को फायदा भी होगा और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहकर भी इस कदम का विरोध नहीं कर सकती क्योंकि ऐसा करके वे अपने आप को स्वतन्त्रता सेनानियों का विरोधी साबित नहीं करना चाहेंगी। हालांकि, केंद्र सरकार का यह फैसला राजनीति से प्रेरित बिल्कुल नहीं है। राष्ट्र के लिए बलिदान देने वालों को भाजपा सरकार शुरू से ही सम्मान देने की बात करती आई है और इसका उदाहरण हमने कल फिर देखने को मिला।
नित्यानंद राय और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को पटना के जककनपुर स्थित आवास पर बटुकेश्वर दत्त के परिवार से मिले और देश के वीर सपूत को उनकी पुण्य तिथि पर याद किया। इसी मौके पर उन्होंने इस बात की घोषणा की और इसका कारण यह बताया कि यह स्थान बटुकेश्वर दत्त की जन्मस्थली रही है और उनकी यादों से जुडी हुई है।
नित्यानन्द राय ने इस मौके पर कहा कि बटुकेश्वर दत्त संघर्षशील क्रांतिकारी जीवन देश के लोगों के लिए प्रेरणा और आदर्श है। उन्होंने कहा ‘उन्होंने बिना किसी मान सम्मान की चिंता किए देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया और इस महान सपूत को सम्मान देना फर्ज और गर्व की बात है’।
बटुकेश्वर दत्त बेशक, एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, लेकिन शर्मनाक बात यह है कि हमारे देश का स्वतंत्र प्रशासन ने उन्हें एक सम्मानजनक नौकरी भी नहीं दे पाया। बटुकेश्वर दत्त ने कई नौकरियाँ की, जैसे एक सिगरेट कंपनी का एजेंट होना, या फिर एक छोटी सी बिस्कुट एवं ब्रेड [डबलरोटी] का कारख़ाना खोलना, या फिर परिवहन के क्षेत्र में अपने हाथ आजमाना, जिसमें से दुर्भाग्यवश उन्हें किसी में भी सफलता हाथ नहीं लगी।
ये बड़ी ही विडम्बना की बात है कि जिस क्रांतिकारी ने भगत सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर देश की स्वतन्त्रता में अपना छोटा, परंतु अहम योगदान दिया था, उसे अंत समय में उचित सुविधाएं भी नहीं मिली। ऐसे न जाने कितने आजादी के मतवाले रहे होंगे, जिन्हें स्वतंत्र भारत के प्रशासन ने सम्मान करना तो दूर की बात, उन्हें पहचानने से भी मना कर दिया होगा।
आज भाजपा सरकार ने उनके नाम पर स्टेशन का नाम रख कर सही मायनों में बटुकेश्वर दत्त का सम्मान किया है और वे इसके हकदार भी हैं। इसके लिए नित्यानन्द राय की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। हमें किसी भी हालत में इस देश के लिए खून बहाने वाले स्वतन्त्रता सेनानियों को नहीं भुलाना होगा।