राहुल अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे चुके हैं तो वो कौन है जो अब ‘बॉस’ बनकर पार्टी में ऑर्डर चला रहा है

चुनावी हार के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी में इस्तीफे की होड़ मच गयी थी। राहुल गांधी ने भी हार के बाद पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी कमिटी की बैठक में अपना इस्तीफा सौंप दिया लेकिन कमिटी ने राहुल के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े को अस्वीकार कर दिया था। गांधी परिवार के वफादारों से भरी केंद्रीय कार्यकारिणी से यही उम्मीद भी थी। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष अपने इस्तीफे पर अड़े रहे लेकिन यह पूरा ड्रामा तब खत्म हुआ जब 3 जुलाई को राहुल गांधी ने आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। कुछ दिनों पहले अशोक गहलोत और मोतीलाल वोरा का नाम भी कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए सामने लाया गया था लेकिन इन नेताओं ने भी अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है। इसके अलावा राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद किसी भी नेता को अन्तरिम अध्यक्ष नहीं बनाया गया था। हालांकि, रहस्यमयी तरीके से कांग्रेस का कोई अध्यक्ष ना होने के बाद भी पार्टी के अध्यक्ष विभिन्न कमिटियों के गठन के लिए अनुमति दे रहे हैं, और कांग्रेस द्वारा जारी की जा रही अधिसूचनाओं में भी एक अज्ञात कांग्रेस अध्यक्ष को संबोधित किया जा रहा है।

उदाहरण के तौर पर 13 जुलाई को जारी प्रेस रिलीज में लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद कार्यकारी अध्यक्ष पद और महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता पद पर नियुक्ति को सहमति दे दी है। लेकिन यहाँ किस कांग्रेस अध्यक्ष की बात हो रही यह स्पष्ट नहीं किया गया।

ऐसी ही एक अन्य अधिसूचना में कांग्रेस पार्टी के ‘किसी’ अध्यक्ष ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में कई कमिटी जैसे चुनाव कमेटी, मेनिफेस्टो कमेटी आदि की नियुक्ति की है। यह एक प्रेस रिलीज के जरिये बताया गया जिस पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर है।

लेकिन इन दो घटनाओं को देखते हुए सवाल उठने लगा है कि आखिर ये कांग्रेस अध्यक्ष कौन है। यह प्रश्न दिलचस्प होता जा रहा है कि आखिर कांग्रेस को कौन चला रहा है। किसके इशारे पर यह सभी निर्णय लिए जा रहे है। कौन है ये कांग्रेस का घोस्ट प्रेसिडेंट जो सामने आए बिना ये सभी निर्देश दिये जा रहा है और सभी उसका पालन कर रहे हैं?

राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद भी कांग्रेस के नेताओं का गांधी परिवार के प्रति मोह कम नहीं हो रहा है। उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने बयान दिया था कि राहुल गांधी ही उनके नेता थे और हमेशा रहेंगे। और उनके वजह से ही कांग्रेस को एक ठोस मजबूती मिलती है। वहीं डीके शिव कुमार ने यह कहा था कि राहुल गांधी के अध्यक्षता छोड़ने से कांग्रेस को नुकसान ही होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि गांधी परिवार ही कांग्रेस पार्टी को एकजुट रख सकती है। कांग्रेस के एक और बड़े नेता सलमान खुर्शीद ने भी राहुल को ही अपना नेता बताते हुए कहा था कि भले ही राहुल गांधी ने आधिकारिक रूप से पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है लेकिन वही हमारे नेता बने रहेंगे।

इन बड़े नेताओं के बयान के बाद यह और स्पष्ट हो जाता है कि क्या वो राहुल गांधी ही है जो सभी के सामने इस्तीफा देने के बाद भी एक घोस्ट प्रेसिडेंट के तौर पर अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं।

इसके अलावा जब 14 जुलाई को नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से अपने इस्तीफे को सार्वजनिक किया, तो भी उन्होंने सीधे तौर पर ‘कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी’ को संबोधित किया था, इसके बावजूद कि वे अब कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं।

यह भी हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी जनता को बेवकूफ़ बनाने की कोशिश कर रही है या राहुल गांधी के इस्तीफे का सिर्फ ढोंग हुआ है और वही अब भी पार्टी की अध्यक्षता संभाल रहे हैं। कांग्रेस के लिए यह निर्णायक क्षण है क्योंकि अगर इस प्रश्न का जवाब नहीं आया तो कांग्रेस के पहले से ही कमजोर जनाधार को और अधिक क्षति पहुंचेगी।

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